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बंगाल की सियासत में खेला होबे के बीच नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी ममता बनर्जी

ByPrompt Times

Mar 5, 2021
पश्चिम बंगाल चुनाव- क्या टर्निंग प्वाइंट साबित होगी ममता की चोट

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव का ऐलान चुनाव आयोग कर चुका है और इसके साथ ही पश्चिम बंगाल में सियासी गर्मी बढ़ गई है। अलग अलग दलों के नेता एक दूसरे के ऊपर जमकर हमले कर रहे हैं, इन सबके बीच टीएमसी के एक विधायक का बयान चर्चा में है जिसके खिलाफ बीजेपी के बड़े नेता चुनाव आयोग से मिलकर शिकायत की। लेकिन टीएमसी विधायक ने क्या कुछ कहा था उसे जानना और समझना जरूरी है।

नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 11 मार्च को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगी और पूर्वी मिदनापुर के नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी18 जनवरी को, सीएम ने घोषणा की थी कि वह 2021 में आगामी विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम और साथ ही भवानीपुर सीटों से चुनाव लड़ेंगे।इससे पहले, ममता ने घोषणा की कि वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुख्यमंत्री को डर लग रहा है।

टीएमसी विधायक ने क्या कहा था

टीएमसी विधायक हमीदुल रहमान के मुताबिक हमारे पूर्वजों का कहना है कि जिसका नमक खाते हैं उसके साथ नमकहरामी नहीं करते हैं। चुनावों के बाद, हमें उन लोगों से मिलना होगा जो हमें धोखा देंगे। बेईमान लोगों के साथ खेले होबे (खेल खेला जाएगा)। हम सभी दीदी को हमारे सीएम के रूप में देखना चाहते हैं।

कैलाश विजयवर्गीय ने क्या कहा

हुबली में ममता बनर्जी ने कहा कि हम तो खेला करेंगे, खेला क्या होता है मतलब पोलिंग बूथ पर कब्जा, मतदाताओं को डराना, निष्पक्ष

चुनाव न होना। ये सब खेला करने की कोशिश TMC करना चाहती है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने सारी जानकारियों से चुनाव आयोग को अवगत कराया।

क्या कहते हैं जानकार

दरअसल इस तरह के बयान सिर्फ टीएमसी की तरफ से ही नहीं दिए जा रहे हैं। सभी दलों के नेता समय समय पर जहरीले बोल बोल रहे हैं। लेकिन जानकार कहते हैं कि ममता बनर्जा को लगता है कि इस दफा चुनावी मुकाबले में सिर्फ बीजेपी है। लेफ्ट और कांग्रेस हारी हुई जंग लड़ रहे हैं। लिहाजा बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच सड़क पर झड़प होती है तो नेता जुबानी जंग के जरिए एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुट गए हैं।

जानकार कहते हैं कि बंगाल की सियासत में शब्दों के जरिए नेता एक दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। लेकिन जिस तरह से टीएमसी में भगदड़ मची हुई है .उसके बाद पार्टी में एक तरह की असमंजस में है आखिर इसे किस तरह से रोका जाए। चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है और जिस तरह से टीएमसी के विधायक और नेता पार्टी छोड़ रहे हैं उसकी वजह से ना सिर्फ मतदाताओं में खराब संदेश जा रहा है, बल्कि पार्टी पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है और उसका असर यह है कि टीएमसी नेताओं की जुबां से जहरीले बोल फूट रहे हैं।

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