अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोगों के घरों तक पहुंचने के लिए लगातार नए-नए तरीके ढूंढ रही है। इसी कड़ी में अब ममता बनर्जी की सरकार ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रशासन ने 2021 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ‘द्वारे सरकार’ मुहिम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकार के कार्यों को पंचायत और वार्ड स्तर तक पहुंचाना है। इस कार्यक्रम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि राज्य की 11 सरकारी कल्याण योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सके। यह कार्यक्रम 30 जनवरी तक चलेगा। राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होगा। यह कार्यक्रम दो महीने तक चार चरणों में चलाया जाएगा। नगरपालिका मामलों के मंत्री फरहाद हकीम ने यहां एक वार्ड कार्यालय का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए परिवर्तनकारी कदम उठाया है कि कोई भी व्यक्ति इन योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रह जाए। जो लोग पात्र हैं, उन्हें लाभ मिलेगा।
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उदाहरणार्थ ‘स्वस्थ साथी’ का लाभ राज्य की पूरी जनसंख्या को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस मकसद के लिए स्थापित शिविरों के जरिए लाभार्थियों को 11 योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इन शिविरों में हर रोज पूर्वाह्न 10 बजे से शाम चार बजे तक काम होगा। द्वारे सरकारी योजना के तहत राज्य सरकार ने कई स्कीमों को शामिल किया है। इन स्कीमों के तहत राशन कार्ड और उससे जुड़े बदलाव को घर बैठे पूरा किया जा सकेगा। आदिवासी और तापिस समुदाय के बच्चों को ₹800 सालाना के स्कॉलरशिप दी जाएगी। इस योजना को फिलहाल लागू करने के लिए अलग-अलग स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, जिला, तहसील स्तर पर भी मंथन और बैठक लगातार जारी है। हालांकि, माना जा रहा है कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ममता बनर्जी के काम को गांव-गांव तक पहुंचाना है ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को फायदा हो सके। इसके साथ ही यह योजना लोगों को तृणमूल कांग्रेस से जोड़कर रखेगी ताकि लोग भाजपा के बहकावे में ना आ सके। ऐसा पार्टी का मानना है।
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हालांकि राज्य भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने आरोप लगाया है कि तृणमूल सरकार ने लोगों के धन का इस्तेमाल करके यह चुनाव मुहिम शुरू की है। घोष ने कहा, ”वे चुनाव मुहिम के लिए लोगों का धन इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए 10 साल बाद मुहिम शुरू करनी पड़ रही है कि योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचे, तो तृणमूल के नेताओं को शर्म आनी चाहिए।” हकीम ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि घोष को पहले इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि केंद्र में भाजपा नीत सरकार ने अपने प्रचार के लिए लोगों का कितना धन इस्तेमाल किया।