11 मार्च 2022 | नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) भवन के सामने पिछले 67 दिनों से चल रहे किसानों का आंदोलन तीखा हो गया है। नई राजधानी बनने से प्रभावित हुए 27 गांवों के किसानों ने शुक्रवार को मंत्रालय तक मार्च का ऐलान किया है। इसे लेकर किसान अब आंदोलन स्थल पर एकत्र होना शुरू हो गए हैं। सभी से अपील फार्म भरवाया जा रहा है। बताया गया है कि 13 हजार फार्म भर जाने के बाद किसान मंत्रालय की ओर कूच करेंगे।
दूसरी ओर किसानों को रोकने के लिए नवा रायपुर की सड़कों पर दिल्ली आंदोलन के दिनाें जैसी बैरिकेडिंग की गई है। सड़क पर प्रशासन ने लोहे-कांक्रीट से बैरिकेड बनाया है। वहीं रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने मंत्रालय और आसपास के क्षेत्रों में एक दिन पहले ही धारा-144 लागू कर दी थी। किसानों का आंदोलन NRDA भवन के सामने पिछले 67 दिनों से जारी है।राखी थाना चौक से मंत्रालय महानदी भवन और सचिवालय इंद्रावती भवन परिसर तक, पुलिस मुख्यालय चौक से मंत्रालय-संचालनालय भवन तक, शीतला मंदिर चौक से मंत्रालय- संचालनालय भवन तक और पंडित दीनदयाल उपाध्याय चौक से मंत्रालय- संचालनालय भवन तक 4 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। नवा रायपुर में कैपिटल कॉम्प्लेक्स की ओर जाने वाली सड़कों को बैरिकेड लगाकर रोक दिया गया है।
कलेक्टर सौरभ कुमार और पुलिस अधीक्षक गुरुवार शाम NRDA भवन पहुंचे। आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा की। किसानों ने कहा, वे शुक्रवार को अपील आवेदन फॉर्म लेकर मुख्य सचिव को सौंपने मंत्रालय जाएंगे। अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि बीच में ही कोई सक्षम अधिकारी किसानों से अपील फॉर्म लेकर सरकार तक पहुंचा देगा। किसानों को मंत्रालय तक नहीं जाने दिया जाएगा।
आंदोलनकारियों ने मुख्य सचिव के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक कराने की मांग की। उनका कहना था, जहां पर किसानों को रोका जाए वहां पेयजल और छांव की व्यवस्था की जाए। नवा रायपुर बनाने के लिए हुए अधिग्रहण से प्रभावित गांवों के लोग 3 जनवरी से 8 मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। इनमें से अधिकांश मांगों पर पूर्ववर्ती सरकार के समय सहमति के बावजूद काम नहीं हुआ था। अभी सरकार कह रही है कि वे छह मांगों पर काम शुरू कर चुके हैं। किसान इसे अधूरा बता रहे हैं।
30 किसान नेताओं को शांति भंग का नोटिस
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया, अधिकारी आंदोलन में शामिल 30 से अधिक लोगों पर धारा 107 और 116 यानी शांति भंग का नोटिस तामील कराने आए थे। इस पर प्रशासनिक अधिकारी मौन बने हुए हैं। इसका कारण नहीं बताया गया है।
आमरण अनशन पर बैठे किसान ने पानी भी छोड़ा
इधर पांच किसान आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। यह अनशन मंगलवार से शुरू हुआ है। गुरुवार को इनमें से एक किसान राजकुमार पटेल ने पानी पीना भी छोड़ दिया है। अनशन पर बैठे दूसरे किसानों में भारत दास मानिकपुरी, दुकालू राम सिन्हा, जगत राम सोनवानी और जगतू राम पटेल भी कुछ नहीं खा रहे हैं। समिति के मुताबिक स्वास्थ्य परीक्षण में अभी उनकी स्थिति सामान्य बनी हुई है।
क्रमिक भूख हड़ताल में महिलाएं भी शामिल
आंदोलन में किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं। गुरुवार को खंडवा की दीपा वर्मा, गीता ध्रुव, राखी की रमशिला साहू, वीणा बाई साहू, पलौद की किरण साहू, सोनवती धीवर, परसदा की रानीबाई घृतलहरे, सुमित्रा बाई चंद्राकर, उपरवारा की गंगाबाई धीवर उपवास पर बैठी थीं। महिलाओं के साथ छत्तीसगढ़ अभिकर्ता एवं निवेशक कल्याण संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चन्द्राकर, पलौद के सीताराम तिवारी, नवागांव के डेरहा राम पटेल, खंडवा के जीतू वर्मा भी उपवास पर बैठे थे। किसानों की यह भूख हड़ताल शनिवार को शुरू हुई है।
इन बिंदुओं पर किसानों की सरकार से असहमति
- सन 2005 से जमीन के क्रय-विक्रय पर लगा प्रतिबंध सभी गांवों से हटाने की मांग थी। सरकार लेयर 2 व 3 के 13 गांवों का प्रतिबंध हटाया गया। लेयर 1 के 14 गावों में आज भी प्रतिबंध लागू रखा गया।
- नवा रायपुर में पंचायत आज भी संचालित है, इसे गलत तरीके से नगरीय क्षेत्र घोषित किया गया है, उसे शून्य घोषित नहीं किया गया है।
- पूरी ग्रामीण बसाहट का पट्टा मांगा जा रहा है, सरकार ने केवल 1200 से 2500 वर्गफीट तक का पट्टा स्वीकृत करने की बात कही है।
- सरकार 2012 में 18 साल के रहे विवाहित व्यक्तियों को ही 1200 वर्गफीट का पट्टा देने की बात की है। जबकि किसान संगठन 2022 की गणना पर 18 साल के प्रत्येक वयस्क को विवाहित हो या न हो 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड देने की मांग की है।
Source;- ‘’दैनिक भास्कर’’