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MP का करोड़पति MBA मशरूम वाला-अशोकनगर में AC प्लांट में प्रोडक्शन- जानिए दोस्त के किस आइडिया से बदल गई किस्मत

ByPrompt Times

Apr 22, 2022 ##MP

22-अप्रैल-2022 |   अशोकनगर जिले के MBA पास 27 साल के रजत जैन। बेंगलुरु में MNC में 80 हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी। फिर नौकरी छोड़ी और मिट्‌टी से जुड़ गए। गांव आकर खेती शुरू कर दी। इसी बीच, दोस्त के आइडिया ने किस्मत बदल दी। दो साल तक ट्रेनिंग और रिसर्च के बाद मशरूम उगाना शुरू किया। आधुनिक तरीके से मशरूम उगाने लगे। अशोकनगर में 4 करोड़ की लागत से मशरूम का AC प्लांट लगाया। अब रोजाना करीब एक टन मशरूम उगा रहे हैं। मशरूम को दिल्ली, यूपी समेत देशभर के कई राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं। इससे रोजाना एक लाख रुपए कमा रहे हैं। जानते हैं रजत ने कैसे किया ये सबकुछ…

ऐसे आया आइडिया
दियाधरी गांव के रहने वाले रजत जैन ने बेंगलुरु से मार्केटिंग में MBA किया। यहीं से कैंपस सिलेक्शन हो गया। कॉलेज के दिनों से ही खुद का बिजनेस करना चाहते थे। जॉब छोड़ अशोकनगर आ गए। यहां 2018 में पहली बार 6 बीघा खेत में टमाटर समेत सब्जी उगाना शुरू किया। प्रॉफिट अच्छा हुआ। रजत ने बताया कि मशरूम की खेती से पहले मैं सब्जी उगा रहा था। हॉर्टिकल्चर पद्धति से टमाटर, ब्रोकली, शिमला मिर्च और मिर्च उगाई। इस दौरान एक दोस्त ने उन्हें मशरूम की खेती का आइडिया दिया। इसके बारे में इंटरनेट पर सर्च किया। इंदौर, ग्वालियर सहित कई जगहों पर ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के लिए मैं हिमाचल प्रदेश के सोलन भी गया था।

ऐसी चाहिए जलवायु

  • बटन मशरूम रबी के सीजन में उगाया जाता है। अक्टूबर से फरवरी का समय अनुकूल होता है।
  • बटन मशरूम के लिए 22-25 सेंटीग्रेट तापमान और 80-85 प्रतिशत नमी की जरूरत होती है।

ऐसे उगाते हैं मशरूम

रजत ने बताया कि मशरूम उगाने के 3 स्टेप होते हैं। अपनी बात करूं, तो रूम को तीन भागों में बांटा है। पहले भाग में खाद तैयार की जाती है। इसके बाद मशरूम के बीज तैयार किए जाते हैं। फिर मशरूम उगाया जाता है। अभी हम बाहर से बीज मंगवा रहे हैं। खास है कि इसमें तापमान का भी ध्यान रखा जाता है। एसी का तापमान 20 डिग्री रखा जाता है।

3 दिनों तक भूसे को खुले मैदान में रखकर पानी का छिड़काव करते हैं। बाद में इसे छांव में शिफ्ट किया। यहां सात दिन भूसा पड़ा रहता है। उसके बाद अगली जगह शिफ्ट किया जाता है। जहां जमीन में डली पाइप लाइन से 5 दिन तक गर्म हवा दी जाती है। 5 दिन के बाद इसे पॉलिथीन में पैक करके अंदर ले जाते हैं। प्लांट के अंदर कमरे में मशरूम के बीज मिलाकर तीन दिनों तक पॉलीथिन में बंद करके रखा जाता है। फिर उसे ऊपर से काटकर खोल दिया जाता है। इसके बाद मशरूम उग जाते हैं। करीब 15 दिन बाद कटिंग शुरू हो जाती है।बटन खुम्बी की फसल के लिए शुरू में 22-26 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर कवक जाल तेजी से बढ़ता है। बाद में इसके लिए 14-18 डिग्री तापमान ही उपयुक्त रहता है। इससे कम ताप पर फलनकाय की बढ़वार धीमी हो जाती है।

बटन मशरूम रबी के सीजन में उगाया जाता है। अक्टूबर से फरवरी का समय अनुकूल है।
बटन मशरूम रबी के सीजन में उगाया जाता है। अक्टूबर से फरवरी का समय अनुकूल है।

रोजाना एक टन मशरूम उगाने वाला प्लांट
उन्होंने बताया कि दो साल पहले शुरू हुए प्रोजेक्ट में अब तक साढ़े 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च हाे चुके हैं। 8 महीने पहले ही उत्पादन शुरू हुआ है। शुरुआत में 5 महीने नुकसान हुआ। बीते 4 महीने में लेवल पर आ गया। अभी गर्मी के समय मांग अच्छी है। इस समय कीमत भी दोगुनी हो जाती है। शादी के सीजन में काफी डिमांड रहती है। देशभर में कम जगह पर ही मशरूम के AC प्लांट हैं। होली के बाद से जुलाई तक मशरूम का मुख्य सीजन होता है। यहां एक टन प्रतिदिन का प्लांट लगाया है। फिलहाल 180 से 220 रुपए प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं।

100 लोगों को दिया रोजगार
रजत का कहना है कि जब मैंने मशरूम उगाने की बात कही, तो परिवारवाले चिंतित हुए। हालांकि, भरोसा दिलाने पर वे सपोर्ट करने लगे। 95 लाख का लोन लिया। इतने पैसे नाकाफी थे। जब परिवार से रुपए लिए, तो उनका डर बढ़ा। क्योंकि यह धंधा चले न चले किसी को पता नहीं था। जैसे ही धीरे-धीरे काम शुरू किया सबकुछ सही हो गया। उन्होंने बताया कि अब करीब 100 लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा चुके हैं।

मशरूम के बीज मिलाकर तीन दिनों तक पॉलीथिन में बंद करके रखा जाता है।
मशरूम के बीज मिलाकर तीन दिनों तक पॉलीथिन में बंद करके रखा जाता है।

पंजाब के प्लांट में मजदूर बनकर सीखा काम
रजत ने बताया कि अशोकनगर या मप्र में मशरूम की खेती को लेकर बड़ा प्लांट नहीं है। पंजाब में इसका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है, इसलिए मैं मशरूम की खेती सीखने पंजाब गया। यहां कई जगह मशरूम का उत्पादन देखना चाहा, लेकिन जहां मशरूम का उत्पादन अच्छा होता था, वह तरीका नहीं बताते हैं। रजत को काम सीखने के लिए मजदूर बनकर अंदर जाना पड़ा। वहां में धीरे-धीरे सब कुछ देखा और समझा। कई जगहों पर प्रशिक्षण भी लिया। पूरा काम सीखने में लगभग 6 महीने लग गए।

बेटे ने 100 लोगों को दे दिया रोजगार
रजत का कहना है कि जब मैंने सब्जी उगाने के बाद मशरूम उगाने की बात कही तो परिवारवाले चिंतित हुए। लागत ज्यादा थी। हमारे एरिए में मशरूम खाने वाले और उगाने वाले की संख्या ना के बराबर है। हालांकि, भरोसा दिलाने पर वे सपोर्ट करने लगे। मैंने सबसे पहले ट्रेनिंग ली और फिर 95 लाख रुपए का लोन लिया। इतने पैसे नाकाफी थे। जब परिवार से रुपए लिए तो उनका डर थोड़ा और बढ़ा। क्योंकि यह धंधा चले न चले किसी को पता नहीं था, लेकिन जैसे ही धीरे-धीरे काम शुरू किया सबकुछ सही हो गया। उन्होंने बताया कि आज उसके प्लांट की वजह से करीब 100 लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा चुके हैं।

फिलहाल मार्केट में मशरूम 180 से 220 रुपए प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं।
फिलहाल मार्केट में मशरूम 180 से 220 रुपए प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं।

मशरूम खाने के फायदे
मशरूम में कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। इसमें विटामिन, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस जैसे कई तत्व होते हैं। शाकाहारियों के लिए मांस की सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करती है। मशरूम में विटामिन डी पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूती देती है। मशरूम का उपयोग करने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी भी भी बढ़ती है।

SOURCE:-दैनिक भास्कर

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