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अब तो डॉक्‍टर्स ने भी दे दिया ग्रीन सिग्‍नल, दिल्‍ली में स्‍कूल खोलने पर बदलेगा सरकार का मूड?

ByPrompt Times

Jan 25, 2022 ##Delhi, ##school

25 जनवरी 2022 | School reopening in Delhi Latest Update : दोबारा स्‍कूल खोलने को लेकर दिल्‍ली सरकार के रुख से लगता है कि वह स्‍टूडेंट्स के 100% वैक्‍सीनेशन का इंतजार कर रही है।

  • दिल्‍ली में कोविड-19 का पीक ओवर, पिछले 24 घंटों में 5760 नए मामले
  • कोरोना वायरस की रफ्तार थमती देख स्‍कूल खोलने का बनने लगा दबाव
  • डॉक्‍टर्स और हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स ने दिया ग्रीन सिग्‍नल, गेंद सरकार के पाले में
  • शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था- 100% वैक्‍सीनेशन से मिलेगी मदद

राष्‍ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की रफ्तार (Covid-19 In Delhi) थमती नजर आ रही है। नए मामले 6,000 से कम हो गए हैं। दिल्‍ली में सोमवार को कोरोना के 5,760 नए केस दर्ज किए गए। ऐसे में ज्‍यादातर पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स, चाइल्ड स्‍पेशलिस्‍ट्स और कुछ पैरंट्स को भी लगता है कि अब स्‍कूल खुल (School Reopen In Delhi) जाने चाहिए। महाराष्‍ट्र में जहां पिछले हफ्ते रोज 40,000-45,000 केस रोज आ रहे थे, स्‍कूल खुल गए हैं। हरियाणा सरकार ने भी चरणबद्ध तरीके से स्‍कूल खोलने के संकेत दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, दिल्‍ली सरकार ने भी स्‍कूल खोलने पर विचार किया है मगर कोई फैसला नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग देखने वाले डेप्‍युटी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने हाल ही में कहा था कि स्‍टूडेंट्स का 100 फीसदी टीकाकरण हो जाने से सरकार को ऑनलाइन से ऑफलाइन मोड में शिफ्ट करने में मदद मिलेगी।

दिल्‍ली में स्‍कूल दोबारा खोलने के सिलसिले में निजी स्‍कूलों की एक एसोसिएशन, ‘ऐक्‍शन कमिटी’ ने सिसोदिया को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि 60% से ज्‍यादा योग्‍य स्‍टूडेंट्स को टीका लग चुका है।

अब जब मामले ठीक-ठाक कम होने लगे हैं और हायर क्‍लासेज वाले ज्‍यादातर स्‍टूडेंट्स को वैक्‍सीन लग चुकी है, स्‍कूल फिर से खोलने के लिए उक प्रस्‍ताव दिल्‍ली डिजास्‍टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) के सामने रखा जाएगा।

बच्‍चों को गंभीर बीमारी का खतरा कम’
महामारीविद और पब्लिक पॉलिसी एक्‍सपर्ट, डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि वर्तमान लहर में बच्‍चों और बड़ों में लगभग एक समान रफ्तार से संक्रमण फैला है। उन्‍होंने कहा कि इसके बावजूद 0-17 साल के एजग्रुप में हॉस्पिटलाइजेशन की दर बड़ों के मुकाबले बेहद कम है। उन्‍होंने कहा, ‘स्‍वस्‍थ्‍य बच्‍चों में गंभीर बीमारी का खतरा कम रहा है और इसमें नए वेरिएंट्स के आने से बदलाव नहीं आया है।’

प्रमुख हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के कंसोर्टियम, द इंडियन एसोसिाएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) ने स्‍कूल दोबारा खोलने की पुरजोर वकालत की है। IAPSM की अध्‍यक्ष डॉ सुनीला गर्ग ने कहा कि प्री-स्‍कूल क्‍लासेज भी शुरू हो जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा, ‘नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। स्‍कूल ड्रॉपआउट बढ़ा है और यहां तक कि बाल विवाह के मामले भी बढ़े हैं।’

सरकार पर सिविल सोसायटी का बढ़ रहा दबाव
पेशे से वकील और पब्लिक हेल्‍थ ऐक्टिव‍िस्‍ट, अशोक अग्रवाल ने कहा कि स्‍कूल बंद रखना गलत है। उन्‍होंने कहा, ‘कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शैक्षिक गतिविधियां जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए सरकारें न तो इंतजाम करना चाहती हैं, न ही रिस्‍क लेना चाहती हैं।’

अग्रवाल ने कहा, ‘बच्‍चों के पैरंट्स काम पर जा रहे हैं, वापस आ रहे हैं और बच्‍चों को संक्रमित कर रहे हैं। ज्‍यादातर बच्‍चों को पार्क में खेलने जाने से संक्रमण हो रहा है तो स्‍कूल बंद करने का कोई मतलब नहीं बनता। उन्‍हें खोल देना चाहिए खासतौर से तब जब डेटा उपलब्‍ध है कि बच्‍चों को वायरस से ज्‍यादा परेशानी नहीं होती।’

Source;-“नवभारतटाइम्स”

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