24 जनवरी 2022 | अब एक ऐसी नई एक्स-रे टेक्नोलॉजी आई है, जिससे बिना RT-PCR टेस्ट किए ही ये पता लग जाएगा कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। अब तक किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या RT-PCR टेस्ट का सहारा लिया जाता है। ये तकनीक उन देशों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है, जिनके यहां RT-PCR टेस्ट की कमी है।
चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है कोरोना जांच करने वाली नई एक्स-रे तकनीक? यह टेक्नोलॉजी कैसे करती है काम? क्या ये RT-PCR की जगह ले सकती है?
एक्स-रे से होगी कोरोना की जांच
कोरोना जांच करने वाली इस नई एक्स-रे तकनीक को यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट स्कॉटलैंड (UWS) के वैज्ञानिकों प्रोफेसर नईम रमजान, गेब्रियल ओकोलो और डॉ स्टामोस कैट्सिगियनिस ने विकसित किया है। स्कॉटलैंड के रिसर्चर्स द्वारा विकसित यह एक्स-रे तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर आधारित है। इस तकनीक से किसी व्यक्ति को कोरोना है या नहीं, इसका पता कुछ ही मिनटों में चल जाएगा।
कैसे काम करती है नई एक्स-रे तकनीक?
UWS के रिसर्चर्स के मुताबिक, इस नई तकनीक में कोरोना संक्रमित मरीजों, स्वस्थ व्यक्तियों और वायरल निमोनिया से पीड़ित लोगों के करीब 3 हजार एक्स-रे इमेज का डेटाबेस होता है। AI-आधारित एक्स-रे से इन सभी इमेज के स्कैन (बारीकी से जांच) की तुलना की जाती है।
इसके बाद एक ‘डीप कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क’ नाम की AI तकनीक, एल्गोरिदम के जरिए विजुअल इमेजरी का विश्लेषण करके ये पता करती है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं। रिसर्चर्स का दावा है कि एक विस्तृत टेस्टिंग फेज में इस तकनीक ने कोरोना संक्रमण का पता लगाने में 98% सटीक रिजल्ट दिया।
एक्स-रे से कोरोना जांच के कई फायदे
इस नई तकनीक को विकसित करने वाली तीन लोगों की टीम के प्रमुख प्रोफेसर रमजान का कहना है कि ये तकनीक उन देशों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी जहां बड़ी संख्या में कोरोना टेस्ट करने के लिए जांच उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।
AI बेस्ड एक्स-रे टेक्नोलॉजी से कोरोना का पता कुछ ही मिनटों में चल जाएगा, जबकि मौजूदा RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम 2 घंटे लगते हैं। जल्द कोरोना डिटेक्ट होने से मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी।
प्रोफेसर रमजान ने कहा कि यह तकनीक कोरोना का पता लगाने में PCR टेस्ट से तेज काम करती है। उन्होंने कहा कि कोरोना का जल्द पता लगाने के लिए लंबे समय से एक शीघ्र और विश्वसनीय टूल की जरूरत थी, खासतौर पर ओमिक्रॉन फैलने के बाद से।
साथ ही प्रोफेसर रमजान ने ये भी कहा कि वायरस के गंभीर मामलों की जांच करते समय, यह टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन रक्षक साबित हो सकती है, इससे जल्द ही ये तय करने में मदद मिलती है कि किस तरह के इलाज की जरूरत है।
टेस्टिंग की कमी से जूझ रहे देशों को होगा फायदा
नई AI आधारित एक्स-रे तकनीक से खासकर उन देशों को फायदा होगा जहां RT-PCR टेस्ट पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। जब हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एसिम्प्टोमेटिक लोगों की जांच की अनिवार्यता खत्म की, तो एक्सपर्ट ने माना कि इसकी एक वजह ये भी है कि सरकार के पास देश के हर व्यक्ति की टेस्टिंग के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं।
न केवल भारत बल्कि अमेरिका ने भी हाल ही में होम आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के लिए टेस्टिंग की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। अमेरिका के इस फैसले को कई विशेषज्ञों ने वहां टेस्टिंग की पर्याप्त उपलब्धता न होने से जोड़कर देखा था। ऐसे में न केवल भारत, अमेरिका, बल्कि कई अफ्रीकी और दुनिया के गरीब देशों में कोरोना जांच के लिए AI आधारित एक्स-रे तकनीक बहुत काम आ सकती है।
RT-PCR टेस्ट को रिप्लेस कर देगी एक्स-रे तकनीक?
इस तकनीक को विकसित करने वाले प्रोफेसर रमजान ने कहा कि ये तकनीक वायरस को फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हालांकि उन्होंने माना कि एक्स-रे तकनीक पूरी तरह से R- PCR टेस्ट की जगह नहीं ले सकती है क्योंकि संक्रमण के शुरुआती चरण में कोरोना के लक्षण एक्स-रे में नजर नहीं आते हैं।
अभी किन टेस्ट के जरिए होती है कोरोना जांच?
अभी, कोरोना इंफेक्शन की पहचान के लिए दो टेस्ट मौजूद हैं-RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट।
- RT-PCR टेस्ट में वायरस के जेनेटिक मैटीरियल की पहचान की जाती है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण पकड़ने में इस टेस्ट को सबसे बेहतरीन माना जाता है। RT-PCR टेस्ट का रिजल्ट आने में 2-3 घंटे का समय लगता है।
- रैपिड एंटीजन टेस्ट में वायरस के सरफेस पर प्रोटीन की पहचान के जरिए संक्रमण का पता लगाया जाता है। एंटीजन टेस्ट का रिजल्ट आने में 15-30 मिनट लगते हैं।
- एंटीजन टेस्ट रिजल्ट को बहुत सटीक नहीं माना जाता है। यह टेस्ट कई बार पॉजिटिव व्यक्ति को भी निगेटिव बता देता है।
- RT-PCR और एंटीजन दोनों ही तरह के टेस्ट ज्यादातर केवल यह बताते हैं कि व्यक्ति पॉजिटिव है या निगेटिव। ये टेस्ट कोरोना वैरिएंट नहीं पकड़ पाते। वैरिएंट की पहचान के लिए सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग ही एकमात्र उपाय है।
- देश में 23 जनवरी 2022 तक 71.55 करोड़ कोरोना टेस्ट हुए थे। ये सभी RT-PCR और एंटीजन टेस्ट हैं।
भारत में भी हुई थी AI आधारित तकनीक से कोरोना जांच की घोषणा
मई 2021 में देश में कोरोना जांच के लिए AI आधारित तकनीक विकसित किए जाने की घोषणा हुई थी। तब डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने ATMAN AI नामक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किए जाने का ऐलान किया था, जो कि चेस्ट एक्स-रे के जरिए कोरोना की जांच करने वाली AI आधारित तकनीक है।
ATMAN AI ट्रायल के दौरान 96.73% सटीक पाई गई थी। DRDO ने कहा था कि इससे देश में कोरोना जांच तेजी से करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस तकनीक के आने के बावजूद देश कोरोना जांच के लिए अब भी मुख्यत: RT-PCR और एंटीजन टेस्ट पर ही निर्भर है।
इस सॉफ्टवेयर को DRDO के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) ने विकसित किया था, जबकि एचसीची सेंटर फॉर एकेडमिक्स एंड रिसर्च, बेंगलुरु और Ankh लाइफ केयर, बेंगलुरु के डॉक्टरों ने इसे टेस्ट और वैलिडेट किया था।
Source;-“दैनिक भास्कर”