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परमाणु हथियार, मिसाइल, बम-बुलेट सब बेकार, Brain Control वेपन तैयार कर रहा चीन, दुश्‍मन के दिमाग को ही कर देगा पैरालाइज, अमेरिका को सता रहा डर

1जनवरी 2022| चीनी संस्थानों को ब्लैकलिस्ट करने वाले वाणिज्य विभाग ने हथियारों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है। लेकिन 2019 के कुछ सैन्य दस्तावेज इसका संकेत देते हैं कि चीन वास्तव में क्या हासिल करना चाहता है।

चीन उन हथियारों पर काम कर रहा है जिसको लेकर अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश डरे हुए हैं। दरअसल, अमेरिका ने दावा किया है कि चीन ऐसे हथियार विकसित की दिशा में काम कर रहा है जिसका इस्तेमाल दुश्मनों को मारने के बजाय उन्हें पैरालाइज करने और उनके दिमाग को कंट्रोल करने के लिए किया जा सकता है।

अमेरिका ने चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज और उससे संबद्ध 11 अनुसंधान संस्थानों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन पर सशस्त्र बलों का समर्थन करने के लिए ‘बायोटेक्नोलॉजी’ का उपयोग करने और ‘कथित मस्तिष्क-नियंत्रण हथियार’ विकसित करने का आरोप है।

“डेली मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी संस्थानों को ब्लैकलिस्ट करने वाले वाणिज्य विभाग ने हथियारों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है। लेकिन 2019 के कुछ सैन्य दस्तावेज इसका संकेत देते हैं कि चीन वास्तव में क्या हासिल करना चाहता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को ‘शरीर पर हमला करने’ के बजाय ‘दुश्मन की इच्छाशक्ति पर हमला’ करके ‘प्रतिद्वंद्वी को पैरालाइज और नियंत्रित करने’ पर ध्यान देना चाहिए। वाणिज्य विभाग ने पिछले हफ्ते एक ज्ञापन में रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को ब्लैकलिस्ट किया था। वहीं, 2019 के दस्तावेज के बारे में वाशिंगटन टाइम्स द्वारा जानकारी दी गई है।

एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज और उससे संबद्ध संस्थान अब ‘Entity List’ में शामिल हैं जिसका मतलब है कि बिना लाइसेंस के अमेरिकी कंपनियां उन्हें माल का निर्यात नहीं कर सकती हैं। यह कदम अन्य सरकारी विभागों से अमेरिकी कंपनियों के लिए चेतावनी के बीच उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि चीन बायोटेक समेत प्रमुख सेक्टर में अमेरिकी तकनीक हासिल करने की कोशिश कर रहा है।

एक अधिकारी ने एफटी से बात करते हुए कहा कि चीन जिस तकनीक को विकसित करने की कोशिश कर रहा है, उसमें ‘जीन एडिटिंग, ह्यूमन परफॉर्मेंस एन्हांसमेंट और ब्रेन मशीन इंटरफेस शामिल हैं। अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने कहा कि इस बात को लेकर भी चिंताएं हैं कि चीन ऐसे किसी वेपन का इस्तेमाल अपने नागरिकों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए भी कर सकता है, इनमें अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिम भी शामिल हैं।

Source:-” जनसत्‍ता”

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