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ओमिक्रॉन की उल्टी गिनती शुरू – भारतीय वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जल्द, सिर्फ नए कोरोना वैरिएंट को बनाएगी निशाना; पुणे में की जा रही है तैयार

17 जनवरी 2022 | कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर पहले से मौजूद कोविड-19 वैक्सीन के असर को लेकर भले ही एक्सपर्ट्स में अलग-अलग तरह की राय है, लेकिन अब खासतौर पर इसी वैरिएंट को निशाना बनाने वाली वैक्सीन भी जल्द आ रही है। खास बात यह है कि ओमिक्रॉन को हराने वाली यह नई वैरिएंट स्पेसिफिक वैक्सीन भारत में ही बन रही है। पुणे की जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने इस नई तरह की वैक्सीन को तैयार किया है और जल्द ही इसके ह्यूमन ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं।

वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन देश की पहली mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन है। बता दें कि इससे पहले यही कंपनी कोरोना के अब तक सबसे खतरनाक साबित हुए डेल्टा वैरिएंट के लिए भी ऐसी ही वैरिएंट स्पेसिफिक वैक्सीन बना चुकी है। हालांकि, अभी इसके आखिरी फेज के ट्रायल के लिए भारत सरकार से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

पहले जान लें, क्या होती है mRNA टेक्नोलॉजी?
mRNA या मैसेंजर-RNA जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारे सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाता है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारे सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है।

कोरोना के दौर में वैज्ञानिकों ने पहली बार mRNA टेक्नोलॉजी पर बेस्ड वैक्सीन्स विकसित की हैं। इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे पुरानी सभी वैक्सीन्स के मुकाबले ज्यादा जल्दी और ज्यादा मात्रा में नई वैक्सीन बन सकती है। इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने खास तौर पर ओमिक्रॉन वैरिएंट से होने वाले संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अपनी वैक्सीन डेवलप की है। इंसानों पर इसके ट्रायल जल्द शुरू किए जाएंगे। देश में ओमिक्रॉन के कारण कोरोना की तीसरी लहर अपनी पीक पर आने वाली है।

डेल्टा वैरिएंट के लिए बनी mRNA वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल पूरे, फेज-3 के लिए मंजूरी बाकी
रिपोर्ट की मानें तो यह कंपनी डेल्टा वैरिएंट के लिए अलग से एक वैक्सीन तैयार कर चुकी है। इसके फेज-2 का ट्रायल 3,000 लोगों पर किया जा चुका है। फेज-3 के ट्रायल जल्द शुरू होने वाले हैं। कंपनी ने अपने जोखिम पर इस वैक्सीन का प्रोडक्शन पहले ही शुरू कर दिया है ताकि इसे सरकार से मंजूरी मिलते ही बाजार में उपलब्ध कराया जा सके। मंजूरी मिलने पर इसका प्रोडक्शन बढ़ा दिया जाएगा।

कोविड-19 की नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा के अनुसार, उन्हें जिनोवा की ओर से वैक्सीन ट्रायल का डेटा मिल गया है और उसे स्टडी किया जा रहा है।

mRNA वैक्सीन भारत के लिए बड़ी उपलब्धि
देश में बनी नेशनल कोरोना टास्क फोर्स (NCTF) के प्रमुख डॉ. वीके पॉल कहते हैं, “mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन का निर्माण भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह आगे बहुत काम आने वाली है। भारत में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन का निर्माण होना भी उतना ही उत्साहजनक है।”

चुनिंदा देशों के पास ही वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स की उपलब्धता
दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स की उपलब्धता है। हाल ही में अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कहा है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ उसकी वैक्सीन मार्च तक तैयार हो जाएगी। इसके अलावा, मॉडर्ना और एस्ट्रेजेनेका जैसी कंपनियां भी वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स बनाने में लगी हुई हैं।

जिनोवा कंपनी ​​​​​बच्चों के लिए भी बना रही वैक्सीन
जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के सीईओ डॉ संजय सिंह के अनुसार, कंपनी ने 5 से 17 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन डेवलप करना शुरू कर दिया है। सिंह का कहना है कि mRNA टेक्नोलॉजी से वैक्सीन्स जल्दी और आसानी से बन जाती हैं। जिस तरह वायरस तेजी से म्यूटेट हो रहा है, उसी तरह हम तेजी से इनके खिलाफ वैक्सीन भी विकसित कर सकते हैं।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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