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अमेरिका-चीन की क्रॉस-फायरिंग में पाकिस्तान फंसा, इधर जाएं या उधर का असमंजस

29 सितंबर 2022 | क्या प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की अमेरिका यात्रा से पाकिस्तान की कूटनीतिक मुश्किलें बढ़ गई हैं? दोनों नेताओं की यात्रा के बाद पाकिस्तान के मामले में अमेरिका और चीन की रस्साकशी जिस तरह उभर कर सामने आई है, उससे यह अटकल लगाई जा रही है। कूटनीति विशेषज्ञों में यह राय उभरी है कि अब इन दोनों बड़ी ताकतों के बीच तालमेल बना कर चलना पाकिस्तान के लिए और मुश्किल हो सकता है।

अमेरिका ने पाकिस्तान के अपने संबंधों में चीन का पहलू लाकर शरीफ सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं। विदेश मंत्री भुट्टो जरदारी से बातचीत के बाद दिए बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पाकिस्तान से कहा कि वह अपने देश में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर चीन को कर्ज राहत देने के लिए कहे। इस पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका की ये टिप्पणी ‘पाकिस्तान-चीन सहयोग की एक अवांछित आलोचना’ है। वांग ने कहा कि चीन एक ‘वास्तविक दोस्त और भाई की तरह जरूरत के वक्त में पाकिस्तान की अविलंब मदद’ के लिए आगे आया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे पाकिस्तान के लोगों को ‘वास्तविक लाभ’ हो।

इसके पहले ब्लिंकेन ने पाकिस्तान से कहा था कि विनाशकारी बाढ़ को देखते हुए वह अपने निकट सहयोगी चीन से कर्ज राहत देने को कहे। उन्होंने कहा- ‘हम यह साधारण संदेश देना चाहते हैं। जैसा कि हमने अतीत में प्राकृतिक आपदाओं के समय किया है, इस बार भी पुनर्निर्माण कार्यों में पाकिस्तान को सहायता देने के लिए खड़े हैं। मैं पाकिस्तान के अपने साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे चीन से कर्ज राहत के महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत करें। वे चीन को कर्ज भुगतान की समयसीमा दोबारा तय करने पर राजी करें, ताकि पाकिस्तान तेजी से बाढ़ के असर से उबर सके।’

ब्लिंकेन की यह टिप्पणी चीन को पंसद नहीं आई। उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ध्यान दिलाया कि चीन पाकिस्तान को 40 करोड़ युवान की मानवीय सहायता दे चुका है। चीन के आम लोगों ने भी पाकिस्तान के लिए राहत सामग्रियां जुटाई हैं। वांग ने कहा- हम बाढ़ से उबरने और ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए पाकिस्तान पाकिस्तान के लोगों की यथासंभव पूरी मदद करते रहेंगे। लेकिन चीन-पाकिस्तान सहयोग की अवांछित ओछी आलोचना करने के बदले अमेरिका को चाहिए कि वह पाकिस्तान लोगों के लिए लाभकारी कुछ कदम सचमुच उठाए।

पाकिस्तानी मीडिया में छपी टिप्पणियों में इस बात का जिक्र किया गया है कि चीन पाकिस्तान का प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक सहयोगी है। वह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर 54 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है। लेकिन अमेरिका लगातार यह कहता रहा है कि इस परियोजना का लाभ चीन को मिलेगा, जबकि पाकिस्तान कर्ज के बोझ से दब जाएगा। ऐसी आलोचनाओं को पाकिस्तान अब तक खारिज करता रहा है। लेकिन शहबाज शरीफ सरकार अमेरिका के रिश्ते बेहतर करने की कोशिश में है, उस समय पाकिस्तान का क्या रुख रहेगा, यह अभी साफ नहीं है। लेकिन चीन की प्रतिक्रिया से साफ है कि वह पाकिस्तान से अपने रिश्तों में अमेरिकी दखल बर्दाश्त नहीं करेगा।

Source:-“अमर उजाला”

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