• April 19, 2024 1:26 pm

खेतों में ना जाए प्लास्टिक, इसलिए जगह-जगह लगाए डस्टबिन

22 अक्टूबर 2021 |  प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। सरकार और गैर सरकारी संगठनों की ओर से लोगों को जागरूक करने के साथ प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है। कई प्रकार के प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। बावजूद इसके बाजार में विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक का प्रचलन बदस्तूर जारी है। प्लास्टिक खेतों की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रहा है, प्लास्टिक खाने से पशु-पक्षियों की मौत भी हो रही है। वैज्ञानिकों ने भी प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बताया है। अब ग्रामांचलों में भी प्लास्टिक से हाने वाले दुष्प्रभाव को लोग जानने लगे हैं। गांव के खेतों में प्लास्टिक के कारण पैदावार घटने लगा है। प्लास्टिक खेतों की उर्वरा शक्ति को धीरे-धीरे नष्ट कर रहा है। यहीं कारण है कि अब ग्रामांचलों में भी लोग अपने खेतों तक प्लास्टिक को पहुंचने से रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं।

नौ टोला में लगाए 60 डस्टबिन

तोरपा प्रखंड के मरचा पंचायत के तुरीगढ़ा गांव समेत उसके आठ टोला के ग्रामीणों ने भी प्लास्टिक मुक्त अभियान का शुरू किया है। खेतों तक प्लास्टिक ना पहुंच पाए और गांव को स्वच्छ रखने की पहल की शुरुआत ग्रामिणों ने सामूहिक रूप से किया है। तुरीगढ़ा के अलावा गंझु टोली, बड़का टोली, महुआ टोली, सेमर टोली, बांध टोली, झरिया टोली, पाकर टोली, कुसुम टोली आदि स्थानों पर ग्रामीणों ने ग्राम सभा व टोला सभा की बैठक कर सामूहिक रूप से गांव को स्वच्छ रखने और प्लास्टिक मुक्त बनाने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों के मंजूरी के बाद बांस का डस्टबिन बनाने के लिए टोला सभा में जमा किए जाने वाले राशि से बांस की खरीदारी किया गया। इसके बाद ग्रामीणों ने श्रमदान कर बांस का डस्टबिन बनाया है। तुरीगढ़ा के नौ टोला में जगह-जगह 60 डस्टबिन लगाया गया है। इन डस्टबिन में ग्रामीण सभी प्रकार के प्लास्टिक डालते हैं, ताकि प्लास्टिक उड़कर खेतों में ना चला जाए। श्रमदान कर बनाए गए डस्टबिन में एकत्रित प्लास्टिक को समय-समय पर एकत्रित कर उसे प्लास्टिक के बोतल में डालकर रखा जा रहा है।

प्लास्टिक की बोतलों से बनाया जाएगा डस्टबिन

तुरीगढ़ा के ग्रामीण बताते हैं कि हजारों बोतलों में प्लास्टिक डालकर जमा किए जाने के बाद गांव में प्लास्टिक भरे बोतलों से ही डस्टबिन बनाया जाएगा। इससे ग्रामीणों को ना सिर्फ प्लास्टिक से बल्कि प्लास्टिक की बोतलों के दुष्प्रभाव से निजात मिल जाएगा। तुरीगढा सहित आठ टोला के ग्रामीणों द्वारा इस मुहिम की शुरुआत दिसंबर 2018 से किया गया है। प्लास्टिक मुक्त व स्वच्छता को लेकर विशेष पहल की शुरुआत के दौरान ग्रामीणों ने श्रमदान कर गांव के आसपास की झाड़ियों को काटकर सफाई किया गया है। वहीं 2020 में बांधटोली से डांडटोली तक पांच किलोमीटर कच्ची सड़क को श्रमदान कर ग्रामीणों ने चलने योग्य बनाया है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

तुरीगढा सहित कुल आठ टोला में पिछले तीन वर्षों से सफाई अभियान चलाया जा रहा है। सामूहिक रूप से उठाए गए पहल का परिणाम है कि आज गांव में सफाई को लेकर लोगों में जागरूकता देखी जा रही है। लोग बनाए गए बांस का डस्टबिन का उपयोग कर गांव की सफाई में अपना योगदान दे रहे हैं।

– रामदेव कांशी

ग्रामीणों की सामूहिक पहल सराहनीय है। प्लास्टिक खेतों की उपजाऊ शक्ति को कम कर देती है। प्लास्टिक अगर खेत तक नहीं पहुंचता है तो उसकी उर्वरा शक्ति बरकरार रहेगा। मैं भी घर में उपयोग किए गए रद्दी व कचरा प्लास्टिक को यहां-वहां नहीं फेंककर घर के बगल में बने डस्टबिन में डालती हूं।

– सुकरमणि देवी

वर्ष 2018 से शुरू हुए इस मुहिम से ग्रामीण काफी उत्साहित हैं। गांव की गली मोहल्ले में रहने वाले लोग प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूक हो रहे हैं। लोग बांस से बनाए गए डस्टबिन में प्लास्टिक को एकत्रित कर रहे हैं। ग्रामीण स्वच्छता को लेकर जागरूक दिख रहे हैं।

– अंजेरम कुल्लु

Source :-जागरण

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