• April 23, 2024 5:57 pm

PM अमृत सिद्धि योग में करेंगे कॉरिडोर का लोकार्पण; जानिए मंगल ही क्यों चुना

27  सितम्बर 2022 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण अमृत सिद्धि योग में करेंगे। 11 अक्टूबर मंगलवार की शाम 6.30 बजे अश्विनी नक्षत्र होने से विशेष योग बन रहा है। इसे विशेष फलदायी माना जा रहा है। इससे पहले PM मोदी ने यूपी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण रेवती नक्षत्र में किया था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन भी अभिजीत मुहूर्त में किया था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म इसी मुहूर्त में हुआ था।

ज्योतिषाचार्य आनंद शंकर व्यास के अनुसार उज्जैन मंगल ग्रह की उत्पत्ति का केंद्र है। महाकालेश्वर भू-मंडल के स्वामी हैं। ऐसे में मंगलवार के दिन होने वाला पूजन अधिक फलदायी होगा। PM मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में करीब 3 घंटे रहेंगे। यह योग विशेषतः नक्षत्र और वार के संयोग से बनता है। कार्य को सफलता से पूर्ण करने के लिए यह योग लाभकारी है। इस योग में किए गए मांगलिक और नए कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं।

मंगल को नहीं होते शुभ कार्य, लेकिन…
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो आमतौर पर मंगलवार को शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन उज्जैन मंगल की जन्मभूमि है। ऐसे में यहां सब मंगल ही होता है। एक साथ मंगल ग्रह का मिलना विशेष बात है। शाम 6.30 बजे गुरु अच्छी स्थिति में होगा। गुरु धर्म और न्याय का कारक गृह है, इसलिए इसका विशेष महत्व है।

लोकार्पण के बाद PM के ये हैं कार्यक्रम
PM मोदी इंदौर में प्लेन से उतरने के बाद हेलीकॉप्टर से उज्जैन पहुंचेंगे। यहां से वे शाम 6 बजे महाकाल मंदिर पहुंचेंगे। मंदिर में दर्शन के बाद महाकाल कॉरिडोर के नंदी द्वार पर 6.30 बजे पहुंचेंगे। यहां वे पूजन-अर्चन कर इलेक्ट्रिक गाड़ी से महाकाल पथ देखेंगे। इसके बाद कार्तिक मेला ग्राउंड पर सभा को संबोधित करेंगे। PM की सभा 8 बजे तक चल सकती है। चूंकि, उज्जैन से रात में हेलीकॉप्टर के टेक ऑफ की फैसिलिटी नहीं है, ऐसे में PM सड़क मार्ग से इंदौर पहुंचेंगे। यहां से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे।

CM शिवराज खुद देख रहे तैयारियां
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर उनके द्वारा किए जाने वाले विभिन्न जगहों के अवलोकन के लिए निर्धारित स्थलों पर जरूरी प्रबंध किए जाएं।

ऐसे होगी 6 दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत
लोकार्पण कार्यक्रम के प्रदेशभर में प्रसारण के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। धार्मिक अनुष्ठान करवाने वाले जनजातीय समाज के तड़वी, पटेल, पुजारा और अन्य पुजारी भी कार्यक्रम से जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें आमंत्रित करने के संबंध में निर्देश दिए हैं। 6 दिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत भगवान महाकाल की सवारी के साथ होगी। 6 से 11 अक्टूबर तक चलने वाली गतिविधियों की रूपरेखा निर्धारित की गई है। समीक्षा बैठक के दौरान उज्जैन में NIC कक्ष में संभागायुक्त संदीप यादव, कलेक्टर आशीष सिंह, आयुक्त नगर निगम अंशुल गुप्ता, सीईओ स्मार्ट सिटी आशीष पाठक, यूडीए सीईओ संदीप सोनी मौजूद थे।

पीले चावल देकर लोगों को करेंगे आमंत्रित
प्रोजेक्ट के लोकार्पण के अवसर पर उज्जैन समेत प्रदेश के सभी जिलों में प्रमुख मंदिरों की साज-सज्जा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण श्रद्धा का विषय है। इसमें शहर के प्रत्येक परिवार को आमंत्रण पत्र दिया जाएगा। सभी घरों और दुकानों में रोशनी की जाएगी। प्रमुख चौराहों और सड़कों पर विशेष साज-सज्जा होगी। महत्वपूर्ण जगह रंगोली भी बनाई जाएंगी।

793 करोड़ रुपए के महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट के पहले चरण के कामों को लगभग फाइनल टच दिया जा चुका है। इसमें महाकाल पथ, महाकाल वाटिका, रुद्रसागर तालाब के किनारे का डेवलपमेंट शामिल है। प्रोजेक्ट दो तरह से तस्वीर बदलेगा। पहला- दर्शन आसान होंगे। दूसरा- दर्शन के साथ लोग धार्मिक पर्यटन भी कर पाएंगे। कैंपस में घूमने, ठहरने, आराम करने से लेकर तमाम सुविधाएं होंगी। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि 30 सितंबर तक पहले फेज के सभी काम पूरे कर लिए गए हैं। इसके बाद मंदिर का क्षेत्रफल 47 हेक्टेयर हो जाएगा।

अब महाकाल मंदिर के बारे में जान लीजिए…
पौराणिक कथा के अनुसार दूषण नामक असुर से मानव की रक्षा के लिए महाकाल प्रकट हुए थे। असुर के वध के बाद भक्तों की प्रार्थना पर बाबा ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हुए। इसके बाद रानाजीराव शिंदे ने 1736 में मंदिर का निर्माण करवाया। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के रूप में शिव विराजित हैं। मंदिर के 3 भाग हैं, सबसे नीचे गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग है। भगवान शिव के साथ यहां माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय विराजमान हैं। बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। महाकाल ही एकमात्र मंदिर है, जहां भस्मारती होती है।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                         

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *