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गरीब कल्याण पैकेज ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों को भुखमरी से बचाया

ByPrompt Times

Sep 26, 2020
गरीब कल्याण पैकेज ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों को भुखमरी से बचाया

रांची : गरीब कल्याण पैकेज विषय पर ने पत्र सूचना कार्यालय व रीजनल आउटरीच ब्यूरो -रांची तथा फील्ड आउटरीच धनबाद के संयुक्त तत्वाधान में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज और मनरेगा‘ विषय पर वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें राजनीति, शिक्षा एवं समाज सेवा क्षेत्र से जुड़े राज्य के अग्रणी विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते जारी लॉकडाउन में यह पैकेज समाज के वंचितों और असहायों के लिए वरदान साबित हुआ है। वेबिनार के मुख्य अतिथि तथा धनबाद विधानसभा क्षेत्र के विधायक राज सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता की वजह से लॉकडाउन के दौरान समाज के हर कमजोर तबके महिलाएं, बुजुर्ग, विकलांग, किसान तथा दिहाड़ी मजदूर सभी तक अन्न तथा धन के रूप में सामयिक और जरूरी मदद पहुंची है। प्रधानमंत्री ने सोचा कि जो मजदूर वापस अपने गांव को लौट रहे हैं उनके पास हुनर है। उन्होंने इन मजदूरों को मनरेगा से जोड़ा और सीधे-सीधे 100 दिन रोजगार दिवस को 125 दिन कर दिया इससे पिछले चार-पांच महीनों में इन मजदूरों को करीब 25000 रुपयों की आमदनी हुई है जिससे वो अपना घर आसानी से चला पाने में सक्षम हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में उनके हुनर से 25 तरह के क्षेत्रों में जैसे कि ऊर्जा, गंगा योजना, कुसुम योजना, वेस्ट मैनेजमेंट, पशु शेड का निर्माण आदि में इनके सहयोग से काफी रचनात्मक बदलाव हुआ है।

गरीब कल्याण पैकेज पर विशेषज्ञों के विस्तार से चर्चा की

अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची अरिमर्दन सिंह ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए वेबिनार परिचर्चा में प्रवेश करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 26 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगने के बाद करीब 1,70,000 करोड़ के इस पैकेज की घोषणा इस उद्देश्य की गई कि जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं – जैसे दिहाड़ी मजदूर जो रोज कमाने खाने वाले हैं, उनकी मदद कैसे की जाए उन्हें भुखमरी से कैसे बचाया जाए । इसके तहत उन्हें रोजाना जरूरत की चीजों के लिए 3 महीने तक हर महीने जनधन खाते में 500 रुपये तथा खाना खाने के लिए 5 किलो चावल या गेहूं तथा 1 किलो दाल का सरकार ने प्रावधान किया। करीब 20 करोड़ महिलाओं को जनधन खाता में 500 रुपये की राशि दी गई, वहीं करीब 5 करोड़ महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत 3 महीने तक लगातार गैस भराने के लिए सहायता राशि दी गई। हमने राज्य के विभिन्न जिलों में इस योजना के संबंध में लोगों से जाकर बातचीत की। सभी ने कहा कि इस कठिन समय में इस योजना से उन्हें बहुत ही राहत पहुंची, जो इसकी सफलता को दर्शाता है। वेबिनार में अपनी बात रखते हुए झारखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष विकास कुमार महतो ने कहा कि झारखंड में पंचायती व्यवस्था आने के बाद से मनरेगा जैसी योजनाओं को धरातल पर उतारने में काफी सफलता मिली है। अगर हम मनरेगा को देखें तो इसमें खर्च का कोई टारगेट नहीं होता है। आप स्वरोजगार हेतु और पलायन रोकने के लिए बढ़िया से बढ़िया योजना बनाकर इसमें अपने क्षेत्र के लोगों को रोजगार दे सकते हैं । आज के समय में बागवानी तथा सब्जी आदि के लिए पंचायत से लोगों को आर्थिक मदद दी जा रही है।

पंचायत के मदद से लोगों को मिल रही है आर्थिक मदद

डॉ मुनमुन शरण, असिस्टेंट प्रोफेसर, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद ने कहा कि मनरेगा एक अति आवश्यक योजना है। 2006 में शुरू यह देशव्यापी योजना संक्रमण काल में दिहाड़ी मजदूरों को दर्दनाक स्थिति से उभारने में वरदान साबित हुई है। मेरी समझ से मनरेगा को एक बृहत आकार देने की जरूरत है। कई कमेटियों ने मनरेगा के अंदर देहाड़ी को ₹375/- करने की सिफारिश की है, कई विशेषज्ञों ने इसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से जोड़ने की भी बात कही है जो कि मेरे हिसाब से काफी लाजमी है अगर हम मनरेगा के अंदर कार्य दिवस को 100 से 200 दिन तक करने में सफलता पाएंगे तो झारखंड जैसे राज्य में जहां करीब 50 से 55% ग्रामीण गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं उन्हें इससे बाहर निकालने में बहुत मदद मिलेगी। इसके साथ ही हमें जो कुशल कारीगर वापस अपने गांव को लौटे हैं उन्हें ग्रामीण उद्योग, लघु उद्योग आदि से जोड़ने की भी जरूरत है। इससे हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था खड़ी हो सकेगी और हमारा देश स्वावलंबन की ओर बढ़ेगा तथा अनस्किल्ड लेबर को बेवजह बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वेबिनार से जुड़ी धनबाद के बाघमारा प्रखंड की प्रमुख मीनाक्षी रानी गुड़िया ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत उनके प्रखंड में 40372 जॉब कार्ड जारी किए गए हैं जिसके जरिए बागवानी, स्वच्छता योजना तथा अन्य ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यों में वापस लौटे मजदूरों को तथा मौजूद कार्ड धारकों को रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके प्रखंड में 2 लाख से ज्यादा लोगों को राशन प्रदान किया गया, वही अंत्योदय योजना के अंतर्गत 4670 कार्ड जारी किए गए हैं।

जामताड़ा के समाजसेवी ने मास्क की जानकारी दी

वेबीनार को संबोधित करते हुए जामताड़ा के समाजसेवी श्यामसुंदर हाजरा ने बताया कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने यहां प्रोफेशनल ट्रेनिंग पर मास्क बनाने काकाम किया जिसे आम जनता में वितरित किया गया वहीं जिला प्रशासन के सहयोग से लोगों को साबुन, सैनिटाइजर, दाल, चावल तथा तेल जैसी जरूरत की सुविधाएं भी उनके संस्था द्वारा दी गई। उन्होंने बताया कि गांव में मनरेगा तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से हो रहे लाभों को प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है लोग भी काफी खुश और राहत महसूस कर रहे थे खासकर के जनधन खाते में जब उन्हें 500 रुपये मिल रहे थे तथा गैस भरने के लिए भी उनके खाते में पैसे आ रहे थे तब। वेबिनार में पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी- कर्मचारियों के अलावा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादकऔर पत्रकार भी शामिल हुए। इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचारअधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन तथा तकनीकी सहायता क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी ओंकार नाथ पाण्डेय द्वारा‌ किया गया।

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