जम्मू : जम्मू-कश्मीर विशेषकर जम्मू के उन क्षेत्रों में धान की कटाई का काम तीव्रता से शुरू कर दिया गया है। यद्यपि पंजाब में यह काम निपटाने के बाद बाहरी मजदूरों के यहां आने की प्रतीक्षा है। बहुत से किसानों ने स्वयं ही यह काम शुरू कर दिया है, ताकि कहीं मौसम की मार न पड़ जाए। अबकी बार धान की फसल अच्छी खासी दिखाई देती है और सरकार ने भी धान की खुशखरीद के लिए कई ग्रामीण क्षेत्रों में अपने केंद्र स्थापित कर दिए हैं। यहां किसान अपनी पैदावार बेचने में लगे हैं। वहीं उन्हें इस बात की ङ्क्षचता हो रही है कि मोटे चावलों के अतिरिक्त बासमती धान की खुशखरीद के लिए सरकार ने अभी तक कोई पग नहीं उठाया है, जबकि जम्मू संभाग के अधिकांश भागों में बासमती धान की खेती की जाती है।
इस संबंध में किसान कल्याण समिति के प्रधान जयदेव सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने सरकारी अधिकारियों पर बल दिया है कि बासमती धान की भी खुशखरीद का काम जल्द शुरू किया जाए, ताकि किसानों को उनकी पैदावार की उचित कीमत मिल सके, क्योंकि धान की पैदावार के लिए उन्हें अच्छी खासी राशि लगानी पड़ती है, परंतु उन्हें उचित कीमत नहीं मिल पाती। गत वर्ष उन्हें बासमती धान 3 हजार रुपए किं्वटल तक बेचनी पड़ी थी, जबकि बाद में इसी धान के चावल की मार्कीट में कीमत 10 हजार रुपए किं्वटल तक पहुंच गई थी।
इन नेताओं का सुझाव है कि कीमत लागत को ध्यान में रखते हुए बासमती धान की खुशखरीद के लिए सरकार को 6 हजार रुपए किं्वटल तक की कीमत देने की घोषणा करनी चाहिए, क्योंकि बासमती चावल अब भी खुली मार्कीट में 8 से 9 हजार रुपए किं्वटल तक फरोख्त हो रहे हैं तथा इन चावलों की निर्यात करने वालों को तो अच्छी खासी आय होती है। इसलिए सरकार को किसानों की परेशानियों को ध्यान में रखकर खुशखरीद के लिए निर्णय जल्द करना चाहिए।