15 जून-2021 | पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी ने अभी से इसके लिए अपनी तैयारियों का अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. इसी सिलसिले में भाजपा ने मंगलवार को चुनावी राज्य में संभावित गठबंधन और पार्टी द्वारा लक्ष्य निर्धारित करने को लेकर विचार-विमर्श किया. प्रदेश के आगामी चुनाव में भाजपा बिना शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मैदान में अपनी किस्मत आजमाएगी. हाल ही में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद के चलते शिअद ने भाजपा के साथ अपना 23 साल पुराना साथ छोड़ दिया था. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा राज्य के चुनाव प्रभारी दुष्यंत गौतम के साथ मंगलवार शाम को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक के दौरान पंजाब में नए राजनीतिक गठबंधनों और समीकरणों को लेकर चर्चा हो सकती है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संग शिअद के गठबंधन के बाद, भाजपा 117 विधानसभा सीटों वाले राज्य में बदले जातीय और राजनीतिक समीकरणों पर ध्यान दे रही है.
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘सामूहिक रूप से दलित वोट बसपा के साथ नहीं है. साल 2017 में बसपा ने 111 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और करीब-करीब सभी जगहों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा था. राज्य में दलितों की आबादी 32 प्रतिशत है और फिर भी पार्टी अपनी धाक जमाने में नाकाम रही है. यही एक हिस्सा है, जहां हम दलित समुदाय के लिए शुरू की गई केंद्रीय योजनाओं के बदले मतदाताओं से उनका समर्थन मांग सकते हैं.’
शिअद और बसपा में 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन
गौरतलब है कि पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बीते 12 जून को गठबंधन कर लिया. मायावती नेतृत्व वाली बसपा पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ेगी, बाकी सीटें शिअद के हिस्से में आएंगी. बसपा पंजाब के मालवा क्षेत्र में सात, माझा में पांच और दोआबा में आठ सीटों पर चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करेगी. दोनों दलों के बीच यह गठबंधन 25 साल बाद हुआ है. इससे पहले 1996 में दोनों ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था जिसमें 13 में से 11 सीटें उनके हिस्से में आई थीं.
Source : “News18”