09 अगस्त 2021 | भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को हेमंत सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नई नियुक्ति नियमावली से झारखंड के आदिवासियों ,मूलवासियों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। रांची के हरमू स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि झूठे वादे और नारों के आधार पर झामुमो-कांग्रेस ने सरकार बनाई। युवाओं को बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए कि यह युवाओं की सरकार है।
एक वर्ष में 5 लाख नौकरियां देंगे और खतियान के आधार पर स्थानीय नीति परिभाषित करेंगे। लेकिन दोनों में से सरकार ने कुछ नहीं किया। दास ने कहा कि सरकार ने बेरोजगार नौजवान-नवयुवतियों समेत संपूर्ण झारखंडवासियों को धोखा देने का काम किया है। ऐसी नीति बनाई कि कहीं से भी आकर झारखंड में 10वीं या 12वीं पास कर लोग नौकरी पा सकते हैं। ऐसी असंवैधानिक नीति बनाई है। इसमें हिंदी के लिए जगह नहीं है। ऐसी नीति बनाई गई है कि यह कानूनी उलझन में फंसी रहे और नियुक्तियां न हो सके। नियुक्ति हो भी तो नियुक्ति के व्यापार का रास्ता खुल सके। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार झारखंड में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है। अब सरकार नियुक्तियों को भी उद्योग बनाना चाह रही है।कहा कि राज्य सरकार की नई नियुक्ति नियमावली राज्य की जातिगत और भाषागत संरचना को नुकसान पहुंचाने की एक बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि बंगला और ओडिया भाषा को इसमें शामिल करने का पार्टी स्वागत करती हैं, लेकिन राष्ट्र भाषा हिंदी की उपेक्षा बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
कहा कि नई नियुक्ति नियमावली के माध्यम से झारखंड में बाहरी लोगों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। नये प्रावधान के बाद देश के किसी भी हिस्से में रहनेवाला व्यक्ति सिर्फ झारखंड से 10वी और 12वीं की परीक्षा पास कर यहां नौकरी प्राप्त कर सकता है। झारखंड के अधिकांश छात्र जनजातीय भाषा की बजाय हिन्दी भाषा में पढ़ते हैं। वर्तमान सरकार ने जानबुझकर हिन्दी को ही परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया ताकि यहां के छात्रों को नुकसान हो। उन्होंने कहा कि पूर्व कि भाजपा सरकार ने 2016 में पहली से 10वीं तक की परीक्षा पास करनेवालों को नौकरी का प्रावधान किया था। उसी प्रावधान का श्रेय यह सरकार ले रही है जबकि उसने सिर्फ 10वीं की परीक्षा पास करने का प्रावधान कर यहां के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
पूर्व कि भाजपा सरकार ने जेपीएससी और एसएससी की परीक्षा में स्थानीय भाषाओं को शामिल किया था। संथाली, मुंडा, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया व अन्य भाषाओं को शामिल किया गया था। वर्तमान सरकार ने विगत डेढ़ साल में नियुक्ति तो नहीं की। आगे कि नियुक्तियों को भी उलझाने की मंशा से नियुक्ति नियामवली में संशोधन करने का काम किया है। वर्तमान सरकार ने छठीं जेपीएससी के माध्यम से गलत नियुक्ति करने का काम किया है। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं कर रही है। इसमें दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। दास ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य की सामाजिक समरसता को बर्बाद करने पर तुली हुई है। कहा कि झारखंड में इंटरमीडिएट तक क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई नहीं होती है। किसी भी विषय में स्नातक की पढ़ाई कर कोई व्यक्ति नई नीति का लाभ उठा सकता है जिसका सीधा नुकसान आदिवासियों, मूलवासियों और झारखंडवासियों को होगा।
रघुवर ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का एक साल में पांच लाख नौकरी देने का वादा हवा हवाई साबित हो गया है। उसी से बचने के लिए अब पूरे मामले को उलझाने का प्रयास चल रहा है। नई नियुक्ति नियामवली पूरी तरह से असंवैधानिक है। जिसका असर भविष्य में होनेवाली नियुक्तियां पर पड़ेगा।प्रेसवार्ता में मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक एवम सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाईक भी उपस्थित थे।
छात्रों की मांग का समर्थन
पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रघुवर दास ने झारखंड सरकार से 12वीं में गलत तरीके से अनुत्तीर्ण हुए छात्रों को ग्रेस अंक देकर पास करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पांच प्रतिशत अंक ग्रेस के रूप में देने का प्रावधान है। कुछ नंबरों से जो विद्यार्थि फेल हुए हैं, ग्रेस मार्क्स से वे पास हो जायेंगे। इसके साथ ही जिनकी प्रेक्टिकल परीक्षा नहीं हो पायी है, उसका भी अवसर छात्रों को दिया चाहिए। इससे उनका भविष्य सुरक्षित हो पायेगा।
Source;-“जागरण”