चंडीगढ़। हरियाणा से राज्यसभा सदस्य एवं प्रमुख उद्योगपति डा. सुभाष चंद्रा ने केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों पर पुनर्विचार का सुझाव दिया है। सुभाष चंद्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को पत्र लिखकर न केवल किसानों व आढ़तियों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया है, बल्कि यह भी कहा है कि व्यापार तथा खेती को बचाने के लिए इन तीनों अध्यादेशों में जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए।
व्यापारियों व किसानों की बात मोदी तक पहुंचाएंगे सुभाष चंद्रा
बता दें कि हरियाणा में इन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ आंदोलन हो रहा है। भाजपा ने किसानों के सझाव लेने के लिए तीन सांसदों धर्मबीर, नायब सैनी और बृजेंद्र सिंह की एक कमेटी बनाई है, जिसने करीब चार दर्जन सुझाव प्राप्त करने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को अपनी रिपोर्ट देनी है। यह रिपोर्ट केंद्रीय कृषि मंत्री के माध्यम से केंद्र सरकार के पास जाएगी, जिसके आधार पर लोकसभा में पेश किए जाने वाले इन तीनों कृषि अध्यादेशों में बदलाव संभव है। ज्यादातर किसान चाहते हैं कि उन्हें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी मिले, जबकि व्यापारी अपनी आढत, मंडी के व्यापार पर संकट तथा सीधे भुगतान को लेकर चिंतित हैं।
अध्यादेशों पर पुनर्विचार के लिए मोदी व तोमर को पत्र लिखे
राज्यसभा सदस्य डा. सुभाष चंद्रा ने प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री को लिखे पत्रों में कहा है कि किसानों व व्यापारियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही आगे कोई फैसला लिया जाना चाहिए। काफी किसान नेता व व्यापारी प्रतिनिधियों से इस सिलसिले में मुझसे मुलाकात की है। उन्होंने तीनों नए अध्यादेशों को वापस लेने की मांग केंद्र सरकार तक पहुंचाने की अपील की है।
सुभाष चंद्रा के अनुसार व्यापारियों के प्रतिनिधियों के रूप में हरियाणा व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने मुलाकात कर व्यापारियों का पक्ष रखा। व्यापारी चाहते हैं कि केंद्र सरकार से बातचीत कर इन तीनों अध्यादेशों को वापस लिया जाए।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि तीन नए अध्यादेशों की बाबत मैं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिलकर इस समस्या का समाधान कराने की कोशिश करूंगा, ताकि देश व प्रदेश के किसान, आढ़ती व मजदूरों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि किसान हमारा अन्नदाता है और व्यापारी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी है। दोनों वर्ग का देश के विकास और तरक्की में अहम योगदान है। इन दोनों वर्ग के कारण ही देश की जनता को रोजगार मिल रहा है। इसलिए उनके सुझावों तथा मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।