18 जनवरी 2022 | भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस 2022 से पहले भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब से हर साल गणतंत्र दिवस 24 जनवरी से नहीं बल्कि 23 जनवरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से मनाया जाएगा। गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले से भव्य फ्लाईपास्ट होगा। देश के तीनों सशक्त बलों के विमान आकाश में आकर्षण का केंद्र बनेंगे। ये तो रही इस साल की बात। लेकिन क्या आपको पता हैं कि भारत का पहला गणतंत्र दिवस कैसे मनाया गया था? 1950 में जब भारत के संविधान को लागू किया गया तो कहां इस दिन का जश्न मनाया गया? पहले गणतंत्र दिवस की परेड कहां और कैसे हुई? कौन कौन इस परेड में शामिल हुआ? क्या हर साल की तरह 1950 में गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले से ही तिरंगा फहराया गया था? गणतंत्र दिवस 2022 के मौके पर जानिए देश ने कैसे और कहां मनाया था अपना पहला गणतंत्र दिवस?
कहां मनाया गया था पहला गणतंत्र दिवस?
26 जनवरी 1950 को भारत का पहला गणतंत्र दिवस की दिल्ली में हुआ था। जहां पुराना किला के सामने स्थित ब्रिटिश स्टेडियम में गणतंत्र दिवस की परेड पहली बार देखने को मिली। वर्तमान में इस जगह पर दिल्ली का चिड़ियाघर है और स्टेडियम की जगह पर नेशनल स्टेडियम स्थित है।
कैसे मनाया गया था पहला गणतंत्र दिवस?
पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के पुराना किला से देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहली बार तिरंगा झंडा फहराया था। उनके ध्वजारोहण करने के बाद परेड की शुरुआत हुई। सबसे पहले तोपों की सलामी दी गई। तोपों की आवाज से पूरा किला गूंज उठा था।
कौन-कौन हुआ था पहले गणतंत्र दिवस में शामिल?
राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद के अलावा गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे। वहीं आखिरी ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की जगह गवर्नर-जनरल का पद पर तैनात सी राजगोपालाचारी भी पहले गणतंत्र दिवस का हिस्सा बने थे।
कैसी थी पहली गणतंत्र दिवस की परेड?
हर साल राजपथ से भव्य परेड निकाली जाती है जो लाल किले तक जाती है, लेकिन 1950 की गणतंत्र दिवस परेड अब की तुलना में इतनी भव्य नहीं थी। हालांकि आजाद भारत के लिए पहली गणतंत्र दिवस की परेड किसी ऐतिहासिक दृश्य से कम भी नहीं थी। पहली गणतंत्र दिवस परेड ब्रिटिश स्टेडियम में हुई थी। जिसकी एक झलक के लिए कनॉट प्लेस पर लोग एकत्र हुए थे। इस परेड में थल, वायु और जल सेनाओं की कुछ टुकड़ियां शामिल हुई थीं। उस दिन न तो किसी तरह की झांकियां निकाली गई थी और ना ही हवाई करतब दिखाने वाले जहाज में जेट शामिल थें। हालांकि भारत के पास डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमान जरूर थे।
Source;-“अमर उजाला”