20 अक्टूबर 2021 | रांची में 21 से 30 अक्टूबर 21 तक होने वाली जूनियर हॉकी चैंपियनशिप के लिए मध्यप्रदेश टीम में मंदसौर की हॉकी खिलाड़ी सागु डाबर का चयन हुआ है। सागु ने झुग्गी-झोपड़ी से उठकर यहां तक का सफर पूरा किया है। वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा के लिए मां के साथ जाती थीं। पिता नहीं हैं, टूर्नामेंट में जाने तक के लिए उन्हें उधार लेने पड़ते थे। सागु मध्यप्रदेश प्रतियोगिता में अपनी शुरुआत 22 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ से होने वाले मैच से करेंगी। उसके बाद 23 और 25 अक्टूबर को हिमाचल और ओडिशा से मैच होंगे।
जानिए मंदसौर के खिलाड़ी सागु के संघर्ष की कहानी …
मंदसौर शहर के नूतन स्टेडियम इलाके में सागु अपनी मां मेघा डाबर के साथ रहती हैं। पिता भुवान डाबर की मौत काफी समय पहले हो चुकी है। सागु पांच बहनों और तीन भाइयों में सबसे छोटी हैं। बड़ी दो बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि पिछले दिनों एक भाई की करंट से मौत हो चुकी है। 18 साल की सागु शहर के झुग्गी-झोपड़ी में पली-बढ़ी हैं। वह मां के साथ झाड़ू-पोंछा जैसे कामों में हाथ बंटाकर अपना गुजरा करती थीं। सागु अब भी मां एक बहन और दो भाइयों के साथ झोपड़ी में रहती हैं। सागु शहर के महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय स्कूल में कक्षा 12वीं की छात्रा हैं।
सहपाठी को हॉकी खेलते देखा तो जिद की
सागु की मां मेघा ने बताया कि जब वह 7वीं कक्षा में थी, तब उसने साथ में पढ़ने वाली छात्रा को हॉकी खेलते हुए देखा तो वह भी हॉकी खेलने की जिद कर बैठी। बेटी की जिद पूरी करने के लिए मां ने पेड़ की टहनी दे दी। सागु को लकड़ी से खेलते देखकर स्कूल की एक छात्रा ने उसे पुरानी हॉकी दे दी।
सागु के हॉकी खेलने की लगन देखकर मां ने भी उसे प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। सागु रोजाना 6 बजे उठती है और 7 से 8 बजे तक तीन गाड़ियों की सफाई करती हैं। यहां उसे प्रतिमाह 1500 रुपए मिलते हैं, जिनसे वही उसका और पढ़ाई का खर्च उठाती है। वहीं इसके अलावा उसकी मां और एक बड़ी बहन सहित दो छोटे भाई भी रोजाना काम करते हैं, जिससे पूरे परिवार का पालन-पोषण चलता है। पूरे परिवार की यह उम्मीद है कि सागु एक दिन हॉकी में बड़ा मुकाम हासिल करेगी, जिससे देश का नाम रोशन होगा और परिवार की किस्मत बदलेगी।
टूर्नामेंट में जाने के लिए उधार लिया
सागु एक गरीब परिवार से होते हुए भी पूरी मेहनत करते हुए हॉकी में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहती हैं। हालात यह रहते हैं कि सागु जब-जब टूर्नामेंट में हिस्सा लेने शहर से बाहर जाती हैं तो उसे अपने कोच और साथियों से आर्थिक मदद लेनी पड़ती है।
इतना नहीं, अगर यह भी संभव नहीं हो पाता है तो सागु की मां मेघाबाई जहां काम करने जाती हैं, वहां से एडवांस में रुपए लाकर सागु देती हैं। कई बार रुपए के अभाव में सागु 3 किलोमीटर पैदल चलकर हॉकी मैदान पर प्रैक्टिस के लिए पहुंचती हैं। मोबाइल में बैलेंस तक नहीं होता। फिर भी मां का भी सपना है कि बेटी बड़ी होकर हॉकी में महारथ हासिल करे।
जिन घरों में काम किया, वहां से भी मिली मदद
सागु के हॉकी कोच अविनाश उपाध्याय और रवि कोपरगांवकर बताते हैं कि सागु हॉकी की बहुत अच्छी प्लेयर है। कम उम्र में ही सागु ने हॉकी में अच्छी सफलता पाई है। उसकी मेहनत और लगन ऐसी ही रही, तो वो बहुत आगे तक जाएगी। सागु का हॉकी से लगाव देख बाकी लोग भी उसे मदद करने लगे। जिन घरों में सागु और उसकी मां काम करती है, वहां से भी सागु को मदद मिलने लगी। सागु को जब-जब भी मदद की जरूरत होती है तो जिला हॉकी एसोसिएशन उसकी पूरी मदद करती है।
7 राष्ट्रीय मैचों में हिस्सेदारी कर चुकी हैं
सागु कक्षा 12वीं छात्रा हैं और पिछले 5 साल से हॉकी में अपनी किस्मत अजमा रही हैं। सागु देश में केरल, असम, रांची, भोपाल में नेशनल मैच का हिस्सा बन चुकी हैं। सागु का सपना है कि वह एक दिन मेडल लाकर देश का और अपनी मां का नाम ऊंचा करना चाहती हैं।
Source :- दैनिक भास्कर