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यहां मिल रहीं गोबर से बनाई चप्पलें और डिवाइस, ऐसा रहा है इस कलाकार का जज्बा

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Jan 4, 2021
यहां मिल रहीं गोबर से बनाई चप्पलें और डिवाइस, ऐसा रहा है इस कलाकार का जज्बा

गोबर का नाम सुनते ही अधिकांश लोग नाक-मुंह सिकोडऩे लगते हैं. वहीं जब कोई कहे कि वह गोबर पर रिसर्च कर रहा है तो न केवल लोग उस पर हंसेंगे, बल्कि उसको गोबर गणेश जैसे तमाम ताने भी दे देंगे. लेकिन एक ऐसे भी शख्स हैं जो न केवल गाय के गोबर पर रिसर्च कर रहे हैं, बल्कि गोबर से ऐसे-ऐसे उत्पाद भी बना रहे हैं, जिन्हें देखकर हर कोई अचंभित हो जाएगा.

यह काम कर रहे हैं अहमदाबाद के रहने वाले दिव्यकांत दुबे. दुबे 55 साल के हैं और पिछले 8-10 साल से गोबर पर काम कर रहे हैं. महज दसवीं पास दिव्यकांत पेशे से एक पेंटर हैं. साइन बोर्ड पेंट करके, मूर्तियां बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं लेकिन गोबर पर काम करके उन्हें खुशी मिलती है. इन्होंने गोबर से कई उत्पाद बनाए हैं. हाल ही में इन्होंने गाय के गोबर से चप्पलें बनाई हैं. मजबूत, टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी इन चप्पलों को बहुत ज्यादा पसंद किया जा रहा है. गाय के गोबर से बनी इन चप्पलों को आधा घंटे पानी में रखने से भी ये खराब नहींं होतीं.

गोबर की बनी ये मूर्तियां न केवल ईको फ्रेंडली हैं बल्कि विसर्जन के बाद जमीन को फायदा पहुंचाती हैं. इनके अलावा जो सबसे जरूरी और लाभदायक चीज इन्?होंने बनाई है वह है मोबाइल फोन के पीछे लगाई जाने वाली एंटी रेडिएशन डिवाइस. बेहद छोटी गाय के गोबर से बनी इस डिवाइस को फोन के पीछे चिपकाने से मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन प्रभावहीन हो जाता है. इसकी कीमत भी सिर्फ 10 रुपये रखी है. दुबे बताते हैं कि एंटी रेडिएशन को गुजरात यूनिवर्सिटी ने भी प्रभावशाली माना है. साथ ही इस रिसर्च को मंजूरी दे दी है.

दुबे कहते हैं कि उन्हें गायों से प्रेम है. दूध न देने वाली गायों को बेकार समझकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसलिए उन्होंने गोबर पर काम करना शुरू किया कि गाय को कम से कम गोबर के लिए ही लोग पाल लें और उसे लावारिस न छोड़े. वे कहते हैं कि कुछ सरकारें गाय को लेकर नीतियां बना रही हैं लेकिन अभी इन नीतियों को लोगों तक पहुंचाने और आगे बढ़ाने की जरूरत है. दुबे कहते हैं कि गोबर को सब कचरा समझते हैं लेकिन ये उतनी ही कीमती चीज है. उन्हें उम्मीद है कि धीरे-धीरे ही सही लोग गाय के गोबर के महत्व को समझेंगे और इसकी बनी चीजों का लाभ लेंगे. दुबे कहते हैं कि इस रिसर्च के लिए उन्हें बहुत पढ़ाई की भी जरूरत नहीं पड़ी. अब जब सोशल मीडिया पर वे गोबर से बनी चीजें डालते हैं तो लोग काफी पसंद करते हैं. हालांकि अन्य चीजों की तरह अभी गोबर उत्?पादों की डिमांड बनने में समय लगेगा.

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