पामलपुर, जेएनएन। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों ने मार्च माह के पहले पखवाड़े में मौसम पूर्वानुमान संबंधित कृषि एवं पशुपालन कार्यों की सलाह जारी की है। भूरी सरसों, गोभी सरसों व राया आदि तिलहनी फसलों पर तेले; एफिड का अधिक प्रकोप होने पर साइपरमैथरीन 10 ईसी या मिथाइल डेमिटान 25 ईसी या डाईमिथोएट 30 ईसी, 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। छिड़काव शाम के समय करें, ताकि मधुमक्ख्यिों को कीटनाशक से कम से कम क्षति पहुंचे। छिड़काव के बाद सरसों के पत्तों को साग के लिए प्रयोग न करें।
प्रदेश के निचले क्षेत्रों में मौसम के गर्म होने पर चने की फसल में फली छेदक सुंडी का प्रकोप हो सकता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए कार्बेरिल 50 डब्ल्यूपी, 2 ग्रा प्रति लीटर पानी, या लैम्बडा साइलोथ्रिन 5 ईसी, 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। गोभी प्रजाति की सब्ज़ियों में तेले व सुंडियों के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ईसी, 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। प्याज की फसल में विभिन्न रोगों के निदान के लिए इंडोफिल एम-45; 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल कर या रिडोमिल एमजैड ;25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल का छिड़काव करें।
पशुओं काे खुरमुंही का करें टीकाकरण
यदि पशुओं को खुरमुंही का टीका नहीं लगवाया है, तो जल्दी ही लगवा लें। पशुओं के बाह्य परजीवियों की रोकथाम के लिए ब्यूटाॅक्स 2-3 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर सावधनीपूर्वक छिड़काव करें। खरगोशों में प्रजनन करवा सकते हैं ताकि अप्रैल के मध्य तक बच्चे प्राप्त किए जा सकें। इनको पालने के लिए अप्रैल माह का वातावरण उपयुक्त होता है। मुर्गी पालन के लिए किसी भरोसेमंद हैचरी से ब्राॅयलर बच्चे खरीद सकते हैं, ताकि अधिक लाभ प्राप्त कर पाएं।