राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक हल्दी, लहसुन और अदरक पर जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन करेगा। सिरमौर से इसकी पहल की जाएगी। अध्ययन में इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक बदलावों से किसानों को अवगत करवाया जाएगा। बीते वर्ष कृषि योजनाओं के प्रोत्साहन के लिए पांवटा साहिब और पच्छाद ब्लाक में नाबार्ड ने 19.50 करोड़ की राशि खर्च की। क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीक्लचर प्रोजेक्ट में जलवायु परिवर्तन से कम हो रहे उत्पादन का अध्ययन किया गया।
वाटर हारवेसटिंग सिस्टम, उठाऊ सिंचाई योजना के जरिये उत्पादन को बढ़ाया गया। अब हल्दी, अदरक और लहसुन पर हो रहे जलवायु परिवर्तन का अध्ययन कर उत्पादन बढ़ाने के तरीके तलाशे जाएंगे। मंगलवार को राजधानी शिमला के कसुम्पटी स्थित नाबार्ड के मुख्य कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक दिनेश रैना ने बताया कि वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए 3349.35 करोड़ का वित्तीय परिचालन किया गया।
ई शक्ति कार्यक्रम से स्वयं सहायता समूहों के कामकाज में पारदर्शिता लाई गई है। उन्होेंने बताया कि 31 मार्च 2021 तक नाबार्ड ने सभी जिलों को कवर करते हुए 10.41 करोड़ के कुल अनुदान संवितरण के साथ राज्य में 102 एफपीओ को मंजूरी दी। इसमें से 90 पंजीकृत किए गए हैं। वाटरशेड विकास परियोजनाओं के लिए 3.01 करोड़ रुपये की राशि संवितरण किया गया। 11 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी। ये परियोजनाओं सोलन, मंडी, सिरमौर, कांगड़ा, चंबा और शिमला जिला में कार्यान्वित की जा रही हैं। इससे फसलों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज हुई है।
2020-21 में बैंकों को दी 2505 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता
प्रदेश के किसानों को कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए फसली ऋण और निवेश ऋण प्रदान करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में नाबार्ड ने ग्रामीण सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों को 2505.99 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता जारी की। यह राशि बीते वर्ष की तुलना में 53 फीसदी अधिक रही।