डिंडौरी। वन विभाग में पदस्थ रहे डिप्टी रेंजर कोमलदास ने नौकरी से वीआरएस लेकर नर्मदा किनारे मां नर्मदा नदी की सेवा में जुटे हुए हैं। नर्मदा के प्रति आस्था और साफ सफाई की अलख जगाने के लिए वे विगत 12 वर्ष से सक्रिय हैं। मूलत: दतिया जिले के रहने वाले कोमल दास वर्ष 2005 में स्थानांतरण होकर डिंडौरी जिले में आए थे।
- वन विभाग से वीआरएस ले लिया और अपने घर दतिया चले गए
मां नर्मदा की सेवा के लिए उन्होंने वर्ष 2007 में वन विभाग से वीआरएस ले लिया और अपने घर दतिया चले गए। उन्होंने बताया कि जब उनके द्वारा मां नर्मदा की सेवा करने की परिजनों से अपनी इच्छा व्यक्त की तो पत्नी, दो बेटी और एक बेटा ने मंजूरी दे दी।
वर्ष में एक बार मिलने का वादा
मां नर्मदा की सेवा करने के लिए परिजनों ने मंजूरी तो दे दी, लेकिन वर्ष में एक बार मिलने का वादा भी कोमलदास से ले लिया। कोमलदास ने वैराग्य धारण कर लिया और कोमलदास त्यागी महाराज बन गए। कोमलदास महाराज 2008 से डिंडौरी नगर के पास जोगी टिकरिया में नर्मदा नदी के किनारे कुटिया बना कर रहे हंै। नर्मदा के किनारे सुबह से ही वे घाट की सफाई करते प्रतिदिन नजर आते हैं।
- 2021 में आरंभ करेंगे अभियान
कोमलदास त्यागी जी का कहना है कि जनवरी 2021 से नर्मदाखंड में नर्मदा में फैली गंदगी और उसकी सफाई की अलख जगाने का अभियान शुरू करेंगे। कोमलदास की बड़ी बेटी आइआइआइएम हैदराबाद में प्रोफेसर है, छोटी बेटी बैंक मैनेजर। बेटा एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुका है। वर्ष में एक बार पूरा परिवार कोमलदास से मिलने जरूर आता है। कोमलदास जी का कहना है कि नर्मदा मैया की सेवा और साफ सफाई ही अब उनके जीवन का उद्देश्य बन गया है। कोमलदास त्यागी महाराज के सफाई अभियान को परिक्रमावासी सराह रहे हैं।