कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में जितना इतिहास रचते हैं, अपनी मौत के बाद भी उतना ही इतिहास रचते हैं. 27 साल के अनुजित ऐसे ही एक शख़्स थे.
कोरोना संकट के दौरान अपनी नौकरी गँवाने वाले अनुजित दूसरे काम की तलाश में थे लेकिन इसी बीच उनकी मौत हो गई.
अनुजित (उनका सिर्फ़ पहला नाम ही बताया गया है), उन्हें पिछले हफ़्ते केरल में एक हादसे के बाद ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया. वो केरल एक सेल्समैन की नौकरी के लिए जा रहे थे.
गुरुवार को अनुजित का परिवार उनकी एक इच्छा पूरी करने जा रहा है- अंगदान की इच्छा.
अनुजित की दो कॉर्निया (आंखों का एक हिस्सा), हृदय, दो किडनियां, छोटी आंत और हाथ दान किए जाएंगे. इससे आठ लोगों को नई ज़िंदगी मिल सकेगी.
जिन लोगों को अनुजित के अंग दान किए गए हैं, उनमें से तीन कोच्चि में हैं.
17 साल की उम्र में हज़ारों ज़िंदगियां बचाईं
अनुजित की ज़िंदगी से जुड़ा एक असाधारण किस्सा ये है कि आज से 10 साल पहले उनकी वजह से एक बड़ा रेल हादसा टल गया था और ‘हज़ारों यात्रियों’ की जान बचाई जा सकी थीं.
रेल हादसा रोकने के लिए अनुजित ने रेलवे ट्रैक पर दौड़ते हुए, अपनी किताबों का लाल बैग लहराया था.
जब ये सब हुआ, उस वक़्त (एक सितंबर, 2010) अनुजित सिर्फ़ 17 साल के थे. वो उस समय एक इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग संस्थान में पढ़ रहे थे.
अनुजित और उनके दोस्तों ने कोट्टारक्करा (केरल) के पास रेलवे ट्रैक में एक क्रैक देखा. ये देखकर अनुजित अपनी ज़िंदगी की परवाह न करते हुए, लाल बैग लहराते हुए रेल की पटरियों पर दौड़ गए थे.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने एक बयान में कहा, “जब मैं अनुजित को याद करती हूं तो मुझे वो चेहरा याद आता है जिसने जीते-जीते हज़ारों लोगों की ज़िंदगियां बचाईं और अब वो मरने के बाद भी आठ लोगों में ज़िंदा रहेगा.”
अनुजित के हाथ, छोटी आंत और हृदय कोच्चि के अस्पतालों में ट्रांसप्लांट के लिए एक हेलीकॉप्टर से भेजे गए. बाक़ी के अंग केरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (केआईएमस) में मरीज़ों के लिए इस्तेमाल कर लिए गए.
केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने मंगलावार को निकाले गए इन अंगों को हेलीकॉप्टर से जल्दी से जल्दी ट्रांसपोर्ट किए जाने के आदेश दिए.
केल्विन जॉय….एक और हीरो
अनुजित के साथ-साथ एर्नाकुलम के 39 वर्षीय केल्विन जॉय ने भी आठ लोगों को नई ज़िंदगी दी है.
शनिवार को ब्रेन हैमरेज के बाद केल्विन इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके परिवार ने उनकी दो कॉर्निया, हृदय, दो किडनी, छोटी आतें, दोनों हाथ और लिवर दान करने का फ़ैसला किया है.
केरल सरकार की आधुनिक अंगदान योजना मृत संजीवनी के नोडल अधिकारी डॉक्टर नोबेल ग्रेसियस ने बीबीसी को बताया, “भारत में ये पहली बार है कि दो ब्रेन डेड लोगों के अंगों से आठ-आठ यानी कुल 16 लोगों को जीने का मौका मिला है. केरल में भी ऐसा पहली बार हो रहा है. इससे पहले तक हमने एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगों से पांच लोगों की मदद की थी. एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगों से अधिकतम छह लोगों की मदद की जा सकती है.”
हालांकि डॉक्टर ग्रेसियस ने उन लोगों के नाम नहीं बताए जिनमें ये अंग ट्रांसप्लांट किए जाने वाले हैं.
उन्होंने कहा, “अभी हमें देखना होगा कि वो ट्रांसप्लांट के एक हफ़्ते या 10 दिन तक कैसे रिस्पॉन्ड कर रहे हैं. अभी हम उनके नाम ज़ाहिर नहीं कर सकते क्योंकि अगले हफ़्ते के बाद हमें उनके परिजनों से इसकी अनुमति लेनी होगी.”
भारत में आम तौर पर लोग अंगदान से कतराते हैं. यही वजह है कि साल 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार देश में अंगदान की दर काफ़ी धीमी रही है.
BBC