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ग्रामीण महिलाओं के आजीविका का साधन बन रही है इमली-खटास से जीवन में घुल रही मिठास

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Apr 9, 2021
ग्रामीण महिलाओं के आजीविका का साधन बन रही है इमली-खटास से जीवन में घुल रही मिठास
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रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड में उपलब्ध वनोपजों के जरिए सुदूर गांव में रहने वाले महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी का प्रयास रंग ला रहा है. राज्य के वन प्रदेशों में इमली के पेड़ों की अधिकता अब रोजगार का जरिया बन रहा है. खूंटी के शिलदा गांव की सुशीला मुंडा रौशनी इमली संग्रहण का कार्य कर खुशहाल हैं. पिछले वर्ष एक टन इमली के संग्रहण से सुशीला को 40 हजार रुपये की आमदनी हुई.

ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी अंतर्गत महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना ग्रामीण महिलाओं के लिए इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य कर अच्छी आमदनी उपलब्ध कराने में सहायक बन रहा है. इमली के संग्रहण के जरिये महिलाएं मामूली लागत से अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रही हैं. वर्तमान में राज्य के पांच जिलों सिमडेगा, रांची, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी में महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत 14,731 किसान इमली उत्पादन एवं प्रसंस्करण के कार्य से जुड़े हैं. महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के द्वारा किसानों को प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों के जरिए प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिया गया है.

पिछले वर्ष राज्य की 11 हजार महिला किसानों द्वारा 112 मीट्रिक टन इमली का संग्रहण कर तकरीबन 39 लाख से ज्यादा का व्यापार किया गया. वर्तमान में कुल 14,731 महिला किसानों द्वारा 309 मीट्रिक टन इमली का संग्रहण कर उसका व्यापार करने का लक्ष्य रखा गया है, उसमे से अबतक 86 मीट्रिक टन इमली को संग्रहित कर प्रसंस्करित किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इस पहल के जरिए और अच्छी कमाई होने की उम्मीद है.

आधुनिक मशीनों से प्रसंस्कृत करते हैं महिला किसान परियोजना के अंतर्गत इमली उत्पादन से जुड़ी महिला किसान इमली प्रसंस्करण इकाई के माध्यम से इमली केक बनाने का कार्य भी कर रही हैं. इन प्रसंस्करण इकाइयों में ग्रामीण महिलाएं इमली से बीज निकालने से लेकर पल्प तैयार कर इमली के केक बनाने का सारा काम आधुनिक मशीनों के ज़रिये कर रही हैं. प्रसंस्करण इकाइयों में काम करने वाली महिलाओं को दैनिक मानदेय भी प्राप्त होता है, जिससे उनकी अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है. इमली के केक पलाश ब्रांड के तहत बाज़ार में उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे महिला किसानों की अच्छी कमाई हो रही है.

पलाश ब्रांड के जरिए हो रही है इमली की बिक्री
ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिए प्राकृतिक रूप से राज्य में उपलब्ध इमली का प्रसंस्करण कर पलाश ब्रांड के तहत राज्य के विभिन्न पलाश मार्ट एवं सेल काउंटर पर बिक्री की जा रही है. पलाश ब्रांड के जरिये झारखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिला उद्यमियों द्वारा निर्मित वनोपज उत्पादों को एक नयी पहचान और बाजार में लोकप्रियता प्राप्त हो रही है. राज्य के विभिन्न स्थानों पर 11 ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिए समुदाय आधारित इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है. इन ग्रामीण सेवा केंद्रों का संचालन ग्रामीण महिलाओं के संगठन के द्वारा किया जाता है. वहीं पलाश ब्राण्ड के तहत अच्छी पैकेजिंग एवं मार्केटिंग कर इमली की कीमत भी अच्छी मिल रही है.


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