• April 25, 2024 12:11 pm

महर्षि अरविंद पर झांकी- गणतंत्र दिवस परेड में आकर्षण का केंद्र बनेगी यह प्रस्तुति, देश मना रहा 150 वीं जयंती

25 जनवरी 2022 | 15 अगस्त 1872 को जन्मे श्री अरविंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक, योगी व कवि थे। अपने राष्ट्रवादी व स्वतंत्रता सेनानी मानस से उन्होंने भारत की परिकल्पना आत्मा के रूप में की और त्रिस्तरीय दृष्टिकोण- स्वराज, स्वदेशी व बहिष्कार प्रदान किया। 

73 वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय श्री अरविंद के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उनके जीवन व दर्शन पर केंद्रित एक झांकी 26 जनवरी की परेड में खासतौर से पेश कर रहा है। यह झांकी अपने आप में एक विशिष्ट झांकी होगी, जो महर्षि अरविंद की जीवन यात्रा के माध्यम से व्यक्तिगत व आध्यात्मिक चेतना को जोड़ने का प्रयास करेगी। 

15 अगस्त 1872 को जन्मे श्री अरविंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक, योगी व कवि थे। अपने राष्ट्रवादी व स्वतंत्रता सेनानी मानस से उन्होंने भारत की परिकल्पना आत्मा के रूप में की और त्रिस्तरीय दृष्टिकोण- स्वराज, स्वदेशी व बहिष्कार प्रदान किया। वह वंदेमातरम् जैसे समाचार पत्र का संपादन करने वाले पत्रकार थे। 

जेल में हुई अलौकिक अनुभूति
जब महर्षि जेल में बंद थे तब उन्हें एक अलौकिक व आध्यात्मिक अनुभूति हुई, जिससे वे आध्यात्मिक सुधारक बन गए और उन्होंने मानव विकास व आध्यात्मिक आविर्भाव पर अपना दर्शन प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत के प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान से भारत के पुनरुत्थान की परिकल्पना की थी। 

श्रीमां बनीं आध्यात्मिक सहयोगिनी
महर्षि अरविंद की आध्यात्मिक सहयोगिनी मीरा अल्फासा थीं, जिन्हें दीमदर अथवा श्रीमां के नाम से संबोधित किया जाता है। श्रीमां के सहयोग से पुडुचेरी में श्री अरविंद आश्रम व ओरोविल की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। 26 जनवरी को निकलने वाली झांकी में श्री अरविंंद का अद्वितीय व्यक्तित्व दर्शाया जाएगा। झांकी के अग्रिम भाग में श्री अरविंद की प्रतिमा, ओरोविल में मातृ मंदिर व बोधि वृक्ष दर्शाया जाएगा। मध्य भाग में अरविंद के जीवन की उन महत्वपूर्ण घटनाओं का सांकेतिक चित्रण है, जिसमें वे आध्यात्मिक गुरु व एक प्रखर दार्शनिक लेखक बने। झांकी के अंतिम भाग में पुडुचेरी में प्रतिष्ठित अरविंद आश्रम में श्री अरविंद और श्रीमां की दिव्य उपस्थिति और उनकी परिकल्पना में भारत माता की आकृति दर्शाई गई है। 

इस झांकी के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। यह झांकी निश्चित रूप से देश के युवाओं व प्रत्येक नागरिक में नई ऊर्जा का संचार करेगी। 

Source;-“अमर उजाला”

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