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नदियों के बीच अंडरग्राउंड बंकर देख सेना भी हैरान, कई दिनों तक इनमें छिपकर बैठे रहते हैं आतंकी

ByPrompt Times

Sep 22, 2020
नदियों के बीच अंडरग्राउंड बंकर देख सेना भी हैरान, कई दिनों तक इनमें छिपकर बैठे रहते हैं आतंकी

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में छिपना या स्थानीय घरों में शरण लेना बीते दिनों की बात हो गई है। सेना और सुरक्षाबलों से बचने के लिए वे अब घने बगीचों में भूमिगत बंकर बनाते हैं। यहां तक कि मौसमी नदियों में बंकर खोदकर रहते हैं। यह ट्रेंड हाल में पुलवामा और शोपियां में ऑपरेशन के दौरान देखने को मिला है क्योंकि वहां सेब के घने बगीचे और जंगल हैं। यह कहना है सेना की आतंकवाद निरोधक यूनिट 44 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल एके सिंह का।

उन्होंने बताया कि इन दोनों जिलों को आतंकियों का गढ़ माना जाता है। उनकी टीम के लिए भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं। जलस्तर के उतार-चढ़ाव और अचानक आने वाली बाढ़ से प्रभावित रामबी अरा के बीच में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था।

आतंकवादियों ने छिपने के लिए रामबी अरा के बीच में लोहे के बंकर बना रखे थे। सतर्क जवानों ने तेल के एक ड्रम का ढक्कन खुला देखा जिसका इस्तेमाल आतंकवादी बंकर में आने-जाने के रास्ते के तौर पर करते थे। संदेह के आधार पर वहां गुपचुप तरीके से नजर रखी जाने लगी। हमें यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे हैं जो आम तौर पर बारिश के मौसम में ही पानी से भरी रहती है।

प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के पांच आतंकवादियों को इस साल के शुरुआत में मार गिराया गया था। हालांकि सेना के लिए इन आतंकवादियों के मारे जाने से ज्यादा चिंता की बात यह थी कि आतंकवादी भूमिगत बंकरों को बनाने और उनमें रहने में सक्षम हैं। बताया कि तकनीकी खुफिया निगरानी और मानव संसाधनों के जरिए आसपास के इलाकों तथा खासकर शोपियां में सर्वे का आदेश दिया गया। इस पर पारंपरिक कश्मीरी घरों के अंदर तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई।

इस साल जून में बंदपोह में सेब के घने पेड़ों से ढंके और ऊंचाई वाले इलाके में स्थित एक और भूमिगत बंकर का सुरक्षाबलों ने पता लगाया। यहां आतंकवादी 12 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा भूमिगत बंकर बनाकर रह रहे थे। आतंकी वहां आराम से रह रहे थे जबकि सेना गांवों में उनकी तलाश कर रही थी। सुरक्षाबलों की नजर जब एक प्लास्टिक से जमीन के ढंके होने और वहां की मिट्टी ताजी खुदी होने पर गई तो इस बंकर का खुलासा हुआ। बताया कि ऑपरेशन में सबसे मुश्किल घड़ी उस वक्त आई जब बगीचे में एक गर्भवती समेत 50 महिलाएं मौजूद थीं। इन्हें सुरक्षित निकालकर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया और भूमिगत बंकर के आसपास पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया।

भूमिगत बंकर में सांस लेने के लिए लोहे के बक्से में लगा रखी थी पाइप
बताया कि शोपियां में आतंकियों ने नदी किनारे भूमिगत बंकर बना रखा था और लोहे के बक्से में सांस लेने के लिए पाइप लगा रखी थी। उन्होंने कहा कि यह फेहरिस्त लंबी है। उम्मीद है कि वे और भूमिगत बंकर खोज निकालेंगे।

भूमिगत बंकर का रास्ता बेसमेंट से
उन्होंने बताया कि घरों में छिपने के लिए कृत्रिम स्थान भी बनाकर रखे गए हैं। कई घरों में तो भूमिगत बंकर में जाने का रास्ता घरों के बेसमेंट से है। शोपियां के अमरबुग इलाके में एक भूमिगत कमरा खोज निकाला गया। दस फीट लंबा, आठ फीट ऊंचा तथा छह फीट गहरा यह कमरा एक मकान की चहारदीवारी से सटकर बनाया गया था। यहां इनवर्टर बैटरी की मदद से बैटरी चार्ज करने की भी सुविधा उपलब्ध थी।

युवाओं की वापसी और करियर काउंसिलिंग भी
44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभालने के बाद से कर्नल सिंह कई नागरिकों के घरों में गए जिनके रिश्तेदार आतंकवाद की राह पर चल निकले थे। अधिकारी ने उन्हें सलाह दी कि वे इन युवाओं का वापस आना सुनिश्चित करें और उन्हें हर संभव मदद का भी आश्वासन दिया। बताया कि उनकी टीम युवाओं की समस्याओं के समाधान में लगी रहती है। करियर काउंसिलिंग के साथ ही उन्हें शिक्षा के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है, लेकिन जब आतंकियों से मोर्चा लेने की बारी आती है तो उसमें पीछे नहीं हटते हैं। अब तक 47 आतंकियों को मार गिराया गया है। सात का आत्मसमर्पण कराया जा चुका है।

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