• April 25, 2024 2:42 pm

पितर मोक्ष अमावस्या पर देवताओं के इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा की जयंती का संयोग

ByPrompt Times

Sep 12, 2020
पितर मोक्ष अमावस्या पर देवताओं के इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा की जयंती का संयोग

रायपुरशास्त्रीय मान्यता के अनुसार देवताओं के इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती और पितर मोक्ष अमावस्या इस बार एक साथ 17 सितंबर को है। एक ओर घर-घर में पितरों के निमित्त अर्पण-तर्पण की आखिरी परंपरा निभाई जाएगी और दूसरी ओर फैक्ट्रियों, मशीनरी दुकानों में भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाएगी। सभी तरह की मशीनों, कलपुर्जों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार कोरोना महामारी के चलते सार्वजनिक पंडालों में प्रतिमाएं नहीं विराजी जाएंगी। बढ़ई समाज शोभायात्रा नहीं निकालेगा और न ही विविध तरह के कार्यक्रम होंगे। सादगी से भगवान विश्वकर्मा की आराधना करेंगे।

देवताओं के महल बनाए

मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के आदेश पर विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए महल, भवनों का निर्माण किया था। यह भी माना जाता है कि भगवान शंकर ने सोने का महल विश्वकर्मा से ही बनवाया था, जिसे रावण ने वरदान में प्राप्त कर लिया था। भगवान विश्वकर्मा को देव बढ़ई के रूप में भी जाना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यापार, व्यवसाय, उद्योग में प्रगति होती है।

दूसरे दिन से पवित्र पुरुषोत्तम मास का शुभारंभ

मोक्ष अमावस्या के दूसरे दिन से पवित्र पुरुषोत्तम मास की शुरुआत होगी। एक महीने तक भगवान विष्णु की आराधना का दौर चलेगा।

कंप्यूटर-लैपटॉप, मोबाइल की करें पूजा

पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को विश्व का प्रथम शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने अनेक यंत्रों का आविष्कार किया। इस मान्यता के कारण उनकी जयंती पर उद्योगों में मशीनरी की पूजा की जाती है। पुराने जमाने के यंत्र अब आधुनिक युग में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के रूप में इस्तेमाल होने लगे हैं। दुनिया में जितने भी यंत्र हैं, सभी भगवान विश्वकर्मा की ही देन हैं। इनसे रोजी-रोटी कमाने वालों को विश्वकर्मा जयंती पर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल की पूजा करनी चाहिए।

माघ शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था जन्म

रायपुर विश्वकर्मा समाज के सचिव नंदकिशोर पांचाल बताते हैं कि भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव हिंदू पंचांग के माघ शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। सरकारी कैलेंडर के अनुसार हर साल 17 सितंबर को जयंती मनाई जाती है। इस दिन बढ़ई समाज के घरों और फैक्ट्रियों में पूजा का आयोजन होता है, लेकिन विश्वकर्मा समाज का आयोजन माघ में होता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी-फरवरी में आता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *