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खतरे में भारत के नियाग्रा का अस्तित्व, ठंड से ही कम होने लगा चित्रकोट का जलस्तर, मायूस होकर लौट रहे पर्यटक

29 नवंबर 2022 |  भारत के नियाग्रा माने जाने वाले चित्रकोट का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि चित्रकोट की जैसी स्थिति गर्मीं के दिनों में देखी जाती थी वह अब नवम्बर से देखी जा रही है, यानी इस वाटरफाल का जलस्तर इतना कम हो गया है कि अब यहाँ से सिर्फ दो पतली धार ही निकल रही है। ठण्ड के मौसम में सबसे अधिक पर्यटक बस्तर आते हैं चाहे वह कहीं का भी हो बस्तर आने का एक बड़ा कारण चित्रकोट देखना रहता है।

इसका सबसे ज्यादा असर यहां के पर्यटन पर पड़ेगा। जिस तरह से ठंड में इस वाटरफाल का नजारा है उसे देखकर पर्यटक मायूस हो रहे हैं और कह रहें है कि इस दृश्य ने उन्हें निराश किया।

नहीं रूक रहे पर्यटक, ऐसा ही रहा तो तबाह हो जाएंगे यहां के व्यापार
मालूम हो कि सबसे अधिक ठंड में ही बस्तर में पर्यटक पहुंचते हैं। सोमवार को भी ऐसा ही नजारा यहां देखने को मिला। बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से लोग पहुंचे लेकिन उनका मन चित्रकोट के नजारे को देखकर बेहद निराश हो गया। पर्यटकों ने कहा कि सोशल मीडिया में जो देखा था दोस्तों के मुंह से जो इसकी तारीफ सुनी थी वैसे यहां देखने को कुछ भी नहीं मिला। यही वजह रही कि पर्यटक यहां कुछ ही देर रूके और यहां से निकल गए। अब बड़ा सवाल है कि चित्रकोट के आस-पास का पूरा व्यापार पर्यटन पर ही निर्भर है। ऐसे में यदि चित्रकोट का ही यही हाल रहा तो इससे जुड़े यहां के सभी व्यापार तबाह हो जाएंगे।

दोस्त ने झूठा सपना दिखाया
बैंगलोर निवासी नागेश ने कहा, बैंगलोर मे जॉब कर रहा था। दोस्त ने कहा बस्तर चलना है। मैंने मना किया तो चित्रकोट की बात बताई। इंटरनेट में चेक करने के बाद दोस्त ने एक वीडियो भेजा। जिसमें चित्रकोट में बेहद पानी था। यह नजारा देखने ही मैं इतने दूर से आया था। लेकिन यहां आने पर तो स्थिति पूरी अलग ही नजर आई। पूरी यात्रा बेकार हो गई। यह नजारा तो अरकू और आस-पास के इलाके में भी देख सकता था।

यह नजारा निराश करने वाला है
वेल्लूर निवासी रवि ने कहा, विशाखापटनम में रहने के दौरान काफी लोगों ने चित्रकोट की तारीफ की थी। यही सुनकर पूरे परिवार के साथ यहां आया था। 800 किमी दूर से आने के बाद यहां इतना कम पानी का चित्रकोट देखना बेहद निराश करने वाला नजारा है। ऐसा तो सोचा भी नहीं था। अब समझ नहीं आ रहा कि दो दिन कहां बिताएं। इस नजारे को देखने के लिए तो दो दिन नहीं रूका जा सकता।

 सोर्स :- ” पत्रिका”      

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