संयुक्त अरब अमीरात ने एसी ही चिंता जताई कि भारत , अमीरात की किसी भी उड़ान की अनुमति नहीं दे रहा।
महीनों बाद अंतर्राष्ट्रीय उड़नो ने कई शर्तों के साथ लाँकडाउन के बाद फिर से सेवाएँ शुरू कर दी हैं। इस दौरान स्थानीय एयरलाइनों के फ़ायदे के लिए विदेशी उड़नो पर प्रतिबंध भी लगाया गया। वंदे मिशन और एयर बबल के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने शुरू करने के बाद से अब तक कई देश भारत की उड़नों को लेकर आपत्ति जता चुके हैं। लेकिन बाद में इनमें से कुछ मद्दों को सुलझा लिया गया। भारत मिशन की उड़नो पर प्रतिबंध लगाते हुए अमेरिकी प्रशासन ने कहा था। कि भारत सरकार अमेरिकी एयरलाइनों की एसी ही उड़नों के संचालन पर रोक लगाकर उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रही है। लेकिन भारत और अमेरिका ने इस मुद्दे को एयर बबल स्थापित कर सुलझालिया।
संयुक्त अरब अमीरात ने एसी ही चिंता जताई कि भारत , अमीरात की किसी भी उड़ान की अनुमति नहीं दे रहा। यूएई के अधिकरों ने जून में कहा था कि यदि यूएई के नागरिकों को एयरइंडिया की उड़ाने ले जा रही हैं. तो उन्हें विशेष अनुमति की आवशयकता होगी। इसके बाद यूएई के साथ एयर बबल की स्थापना की गई। कोविड-19 की चिंता के चलते एयर इंडिया की उड़नो पर दुबई ने प्रतिबंध लगा दिया था। अब वो यात्रियों की फ़्लाइट में सवार होने की अनुमति देने से पहले परीक्षण रिपोर्ट की जाँच करते हैं।
अगस्त और सितंबर में दो बार हांगकांग ने वंदे भारत की उड़नों पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि कुछ यात्रीयों को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था। भारत और जर्मनी के बीच वर्तमान में कोई उड़ान परिचालन नहीं है। लेकिन इस बात पर चर्चा चल रही है कि जर्मनी भारतीय वाहकों को उतनी उड़ान भरने की अनुमती नहीं दे रहा है, वैसे दोनो देशों के बीच एक एयर बबल समझौता है।