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सामने आया मुजफ्फरपुर का सच! डॉक्टर्स की लापरवाही के चलते निकालनी पड़ी 15 लोगों की आंखें, गंदा था ऑपरेशन थिएटर

07 दिसंबर 2021 | बिहार के मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital) में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 15 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी थीं जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया था. अब जांच में सामने आया है कि आई हॉस्पिटल का ऑपरेशन थियेटर ‘गंदा’ और ‘संक्रमित’ था जिसके चलते इतना बड़ा हादसा हो गया. एसकेएमसीएच की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की जांच रिपोर्ट में पता चला है कि ओटी में बेहद संक्रामक बैक्टीरिया मौजूद था जो कि इंसान की आंखों को सिर्फ 2 दिन में हराब कर देता है. ऑपरेशन थियेटर को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के हिसाब से साफ़ नहीं किया जा रहा था.

सोमवार को सीएस डॉ विनय कुमार शर्मा और आई हॉस्पिटल की जांच के लिए बनी टीम के सामने जांच रिपोर्ट पेश की गई थी. इस दौरान एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार और ब्रह्मपुरा थानाध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता भी मौजूद थे. चार घंटे तक सीएस चेंबर में जांच रिपोर्ट पर चर्चा की गयी और इसके हर पहलू को जाना-समझा गया, इसके बाद इसे सार्वजनिक किया गया है.

क्या सामने आया जांच में?

सीएस ने बताया कि आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सुडोमोनास और स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया पाया गया है. यह काफी खतरनाक बैक्टीरिया होता है. एक से दो दिन में ही यह आंख खराब कर देता है. सिविल सर्जन ने बताया कि एसकेएमसीएच में जिन लोगों की आंख निकाली गयी, उनमें भी यह बैक्टीरिया पाया गया है. एसीएमओ डॉ सुभाष प्रसाद सिंह ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी की रिपोर्ट को पटना स्वास्थ्य विभाग के पास भेज दिया गया है.

जिन मरीजों को आंख के इलाज के लिए पटना आईजीआईएमएस इलाज के लिए भेजा गया था वहां भी जांच में यह बैक्टीरिया पाया गया. इसके अलावा जिन लोगों की आंखें निकाली गयीं उनकी आंखों की जांच एसकेएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी लैब में की गयी. दोनों में जांच भी इस बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है. एसकेएमसीएच में 11 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी थीं. इससे पहले आई हॉस्पिटल में चार लोगों की आंखें निकाली गयी थीं. जिन लोगों की आंखें निकाली गयीं, वह अभी एसकेएमसीएच में ही भर्ती हैं.

अभी भी मरीजों का चल रहा है इलाज

CMO के मुताबिक एसकेएमसीएच में भर्ती 11 मरीजों को पूरी तरह ठीक होने के बाद ही डिस्चार्ज किया जायेगा. एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि मरीजों की स्थिति में सुधार है. वह जब तक पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते हैं, उन्हें अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जायेग. डॉक्टर उनकी हालत पर नजर रख रहे हैं.

क्या है ये बैक्टीरिया?

सुडोमोनास बैक्टीरिया मिट्टी, पानी और पौधों पर पाया जाता है, इसके अलावा यह नमी वाली जगहों पर भी पाया जाता है. सुडोमोनास बैक्टीरिया इलाज और ऑपरेशन में इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरण पर भी तेजी से पनपता है. यह मुख्य तौर पर स्किन, आंख और कान को संक्रमित करता है. जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें यह ज्यादा परेशान करता है. आंख में जाने पर इससे आंख में लालीपन, सूजन और दर्द शुरू हो जाता है. स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया किसी भी संक्रमित सामान के संपर्क में आने पर यह फैलता है.

Source :-“टीवी 9 भारतवर्ष”

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