• April 23, 2024 12:04 pm

वीरान गुफा में है 5 लाख साल पुराना ‘खजाना’! यहां जाने वाले का बच कर लौटना है नामुमकिन

22  नवम्बर2021 | दुनिया में कई अजीबोगरीब जगह (Weird Places on Earth) मौजूद हैं जो अपने में ही बेहद विचित्र होती हैं. इन जगहों में ऐसे राज छुपे होते हैं जिनके बारे में किसी के लिए भी जान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. प्रकृति द्वारा बनाई गई ये जगहें यूं तो इंसानों द्वारा जाने के लिए बनी होती हैं मगर यहां जाना किसी के लिए भी सही नहीं होता. ऐसी ही एक जगह मेक्सिको में है जहां बेहद विशाल आकार के क्रिस्टल (Giant Crystal Caves in Mexico) मौजूद हैं. ये क्रिस्टल किसी खजाने से कम नहीं हैं मगर यहां जाना मौत के मुंह में जाने जैसा होता है.

मेक्सिको के सिएरा डी नेका पहाड़ (Sierra de Naica Mountain) के करीब 984 फीट नीचे क्रिस्टल के विशाल (Giant Crystals) पिलर यानी खंबे के आकार के क्रिस्टल मौजूद हैं जो एक गुफा में हैं इसलिए इसका नाम जायंट क्रिस्टल केव है. साल 2000 में इनके बारे में जब वैज्ञानिकों को पता चला तो वो दंग रह गए क्योंकि खुदाई के दौरान पहाड़ के इतनी नीचे ये अद्भुत नजारा देखने को मिला था. ये क्रिस्टल असल में जिप्सम से बने हुए हैं जो एक प्रकार का खनिज होता है जिसे पेपर और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में फिलर की तरह इस्तेमाल करते हैं. साथ ही इमारतें बनाने के लिए सीमेंट में भी इस्तेमाल किया जाता है.

5 लाख साल से भी ज्यादा पुराने हैं यहां के क्रिस्टल
आपको जानकर हैरानी होगी कि क्रिस्टल से बने ये खंबे 5 लाख साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कई तो इतने बड़े हैं कि उनपर आसानी से चला जा सकता है. पहाड़ के इतनी नीचे दबे रहने के कारण ये बढ़ते चले गए. साइंस हाऊ स्टफ वर्क्स वेबसाइट के अनुसार अब इस जगह पर जाना नामुमकिन है मगर एक वक्त पर जब ये जगह इंसानों के जाने के लिए खुली थी तब यहां कई मौतें हो चुकी हैं. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है यहां का भीषण तापमान जिसकी वजह से ये क्रिस्टल बने हैं.

गर्म तापमान के कारण हो जाती है लोगों की मौत
इन क्रिस्टल के नीचे बहुत गरम द्रवीभूत चट्टानें यानी मैगमा पाया जाता था और करीब 26 मिलियन साल यानी 2 करोड़ से भी ज्यादा साल पहले ये मैगमा दरारों से धीरे-धीरे बाहर आना शुरू हो गया था. इस मैगमा के बाहर आने से पहाड़ का निर्माण हो गया. और इसी मैगमा के जरिए क्रिस्टल भी बनते गए. वैज्ञानिकों के अनुसार हुआ ये होगा कि जब मैगमा बाहर निकला तो 98 फीट ऊंची और 33 फीट चौड़ी गुफा में ग्राउंड वॉटर भी मौजूद था. इस पानी में एनहाईड्राइट खनिज था. गुफा का तापमान 58 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा था. इतने तापमान में एनहाईड्राइट अपने असली रूप में रहता है मगर जैसे ही तापमान 58 से जरा कम हुआ वैसे ही इसने क्रिस्टल का आकार लेना शुरू कर दिया. जमीन के नीचे का मैगमा ऊपर के पानी को 58 डिग्री के आसपास के तापमान में रखने लगा मगर उससे ज्यादा तापमान बढ़ नहीं पाया. इस वजह से हजारों साल तक ये क्रिस्टल बनते रहे और बढ़ते रहे. इसी वजह से यहां जाने वालों को मौत नसीब हुई. एक तो तापमान इतना ज्यादा और दूसरा कि हवा में नमी 100 फीसदी बनी रहती है जिसके कारण लोग डिहाईड्रेशन से मर जाते हैं.

Source :-“न्यूज़18 हिंदी”

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