जगदलपुर| छतीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि बोधघाट परियोजना में आदिवासियों का कोई अहित नहीं होगा। सरकार आदिवासियों के लिये जो योजनायें बेहतर तरिके से बनाई है उसमें जो भी कमी होगी उसे पूरा किया जायेगा| अपने बस्तर प्रवास पर पहुंची महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने सरकारी विश्राम गृह में पत्रकारों को संबोधित करते हुये उक्त बाते कही|
उन्होंने आगे कहा की वे स्वयं बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास कार्यो पर नजर रखती हैं|
राज्यपाल महोदया ने कहा कि बोधघाट परियोजना में बस्तर के लोगों का अहित नहीं होगा जो भी कार्य योजना बनेगी बिना ग्राम सभा के नहीं होगा,वर्ष 2022 तक बाँध का सर्वे कार्य पूरा होगा |उसके बाद ही पुनर्वास निति बनेगी और प्रभावित होने वाले गांव में ग्राम सभा आयोजित कर के ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।
प्रेस वार्ता में धर्मांतरण को गंभीर विषय बताते हुए सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि आदिवासी परंपरा संस्कृति को बचाए रखने की आवश्यकता है| धर्मांतरण कानून से नहीं रुकने वाली इसके लिए समाज को आगे आना होगा यह गंभीर विषय है इस पर मुख्यमंत्री से भी चर्चा करेंगे |
उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं से शादी कर लोग जमीन खरीद कर विक्रय करने का काम कर रहे हैं इस पर भी लगाम लगाना अति आवश्यक है| जेल में बंद आदिवासियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोना काल की वजह से बहुत सारे कार्य रुके हुए हैं मुख्यमंत्री से चर्चा कर जेल में बंद आदिवासियों को रिहा करने पर पहल जरूर की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए अच्छी व कारगर पुनर्वास नीति बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि उसे देखकर अन्य नक्सली भी मुख्यधारा में लौट सकें। बस्तर में शांति बहाली के लिए उन्होंने नक्सलियों को हथियार छोड़ मुख्यधारा में लौटने की अपील भी की है|
पोलावरम के सवाल पर राज्यपाल महोदया ने कहा कि उन्होंने स्वयं इलाके का दौरा किया है और ओडिशा सरकार से छत्तीसगढ़ को पानी दिए जाने की भी बात चल रही है|
अपने बस्तर प्रवास के दौरान राज्यपाल अनुसुईया उइके ने पांचवी अनुसूची का जिक्र करते हुए कहा कि बस्तर में इसका पालन हो रहा है और आदिवासियों के सहमति के बगैर कोई भी काम नहीं किया जाएगा बड़ी योजनाओं और उधोग स्थापित के लिये ग्रामसभा सर्वोपरि है|