शहरों में खतरनाक स्तर पर पहुंच रहे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार अनूठी पहल करने जा रही है। इसके तहत सड़कों पर दौड़ते वाहनों के उत्सर्जन का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग डिवाइस मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने की योजना है। इसमें सेंसर की मदद से वाहन की श्रेणी, ईंधन का प्रकार, नंबर प्लेट, रफ्तार, फास्टैग आईडी, उत्सर्जन मानक आदि का पता किया जा सकेगा। खास बात यह है कि तय मानक से अधिक प्रदूषण फैला रहे वाहनों के ड्राइवरों को एसएमएस के जरिए अलर्ट मैसेज भी भेजा जाएगा।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस बाबत सितंबर में अंतिम मसौदा जारी कर दिया है। रिमोट सेंसिंग डिवाइस फॉर ऑनबोर्ड एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम विषयक मसौदा में सड़कों पर चल रहे वाहनों के द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण करने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
इस विषय से जुड़े मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘हिंदुस्तान’ को बताया कि रिमोर्ट सेंसिंग डिवाइस (आरएसडी) एक मोबाइल यूनिट होगी। जो शहरों में अलग अलग स्थानों पर लगाई जाएंगी। इसका पॉयलेट प्रोजेक्ट दिल्ली से शुरू किया जाएगा। सफलता मिलने पर देश के प्रमुख व बडे़ शहरों में आरएसडी व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इसकी विशेषता यह है कि उत्सर्जन मानक पता लगाने के लिए वाहन अथवा ड्राइवर को किसी प्रकार का व्यवधान का सामना नहीं करना पड़ेगा। आरएसडी तकनीक की मदद से सड़क पर दौड़ते वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन के स्तर का पता किया जा सकेगा। इसमें निजी-व्यावसायिक वाहनों की श्रेणी, ईंधन के प्रकार (पेट्रोल-डीजल-सीएनजी) का पता चल जाएगा। इसके अलावा वाहन चालक-मालिक को मोबाइल पर एसएमएस, ईमेल के जरिए अलर्ट मैसेज भेजा जा सकेगा। आरएसडी व्यवस्था में एक बार में कम से कम पांच लाख वाहनों का डाटा जमा किया जाएगा। जिसे नियमित तौर पर मंत्रालय के पोर्टल अथवा वाहन पोर्टल पर अपलो किया जाएगा। वर्तमान में सड़कों पर दौड़ते वाहनों के उत्सर्जन स्तर का पता लगाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
कैसे काम करेगी तकनीक
आरएसडी में उच्च तकनीक के कैमरे व उत्सर्जन विश्लेषक उपकरण लगे होंगे। जो लेजर की मदद से दूर से चलते हुए वाहनों की नंबर प्लेट, फास्टैग आईडी, वाहन की श्रेणी, ईंधन का प्रकार व उत्जर्सन मानक का पता लगा सकेंगे। आरएसडी डाटा का रियल टाइम मूल्यांकन करेंगे। ऑपरेटर समय समय पर उत्सर्जन डाटा का ऑडिट कर मंत्रालय के पोर्टल पर भेजेंगे।