होशंगाबाद। धार्मिक नगरी होशंगाबाद में निवासरत सेवानिवृत्त शिक्षक शास्त्री नृत्यगोपाल कटारे ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से सात समंदर पार संस्कृत की अलख जगा रहे हैं। श्री कटारे तय समय पर जब संस्कृत के श्लोक बोलते हैं तो उनके विदेशों से ऑनलाइन जुड़े शिष्य अनुसरण करते हुए श्लोकों का दोहराव करते हैं। इस प्रकार देववाणी संस्कृत के स्वर पश्चिमी देशों में भी गूंज रहे हैं।
संस्कृत भाषा का प्रथम काव्य ग्रंथ ऋग्वेद को माना जाता है। ऋग्वेद को आदिग्रंथ भी कहा जाता है। वेद, गीता, पुराण, उपनिषद,वेदांत, ब्रह्मसूत्र संस्कृत में ही हैं। संस्कृत अन्य भाषाओं की तरह केवल अभिव्यक्ति का साधन मात्र ही नहीं है। अपितु वह मनुष्य के सर्वाधिक संपूर्ण विकास की कुंजी भी है।
होशंगाबाद निवासी शास्त्री नित्यगोपाल कटारे बीते 10 वर्ष से दुनिया के अनेक देशों के लोगों को संस्कृत सीखा रहे हैं। ऑनलाइन जुड़ते हैं संस्कृत प्रेमी 67 वर्षीय कटारे बताते हैं कि वह न्यू जर्सी अमेरिका, जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया, शारजाह व अन्य विदेशों में रहने वालों को ऑनलाइन संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं। जिसमें गीता, उपनिषद, ब्रह्मसूत्र व अन्य संस्कृत ग्रंथों के श्लोकों में आने वाली कठिनाई का समाधान कि या जाता है।
उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में उन्होंने 40 से 50 लोगों को गीता और उपनिषद के साथ अन्य संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन ऑनलाइन करा रहे हैं। जिनमें आस्ट्रेलिया की लावनिया शाह, शारजाह की पूर्णिमा वर्मन, न्यूजर्सी के अनूप भार्गव आदि प्रवासी भारतीयों सहित अन्य देशों के अनेक लोग शामिल हैं।
होशंगाबाद का संस्कृत से पुराना नाता
108 वर्ष से प्राचीन गुरुकु ल में संस्कृत में वैदिक शिक्षा दी जा रही है। यहां पर प्राचीन गुरुकु ल की शिक्षा पद्धति से आर्ष गुरुकु ल महाविद्यालय संचालित है। ब्रह्मचारी, वेद, वेदांत की शिक्षा के साथ गणित, विज्ञान, कंप्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं।
गुरुकु ल अध्यक्ष स्वामी ऋस्पति परिव्राजक और प्रधानाचार्य सत्यसिंधु आर्य ने बताया कि यहां से संस्कृत सीखकर अनेक ब्रह्मचारी विदेशों में संस्कृत का अध्यापन कर रहे हैं। दूसरी ओर शहर के शर्मा परिवार के द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकु ल का संचालन कि या जा रहा है। पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा के द्वारा ऋषिकु ल का संचालन कि या जाता है।