हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के तत्तापानी में इस बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मेला नहीं मनाया जाएगा। इस बार मेला कोरोना की भेंट चढ़ गया है। हर वर्ष मकर संक्रांति पर तत्तापानी में लोहड़ी का मेला आयोजित किया जाता है। इसमें हजारों लोग दूर-दूर से आकर स्नान करते हैं। लोग यहां तुला दान भी करवाते हैं। लोगों का मानना है कि यहां पर स्नान करने से चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। पिछली बार इसी दिन यहां पर विशालकाय पतीले में 1995 किलो खिचड़ी बनाई गई थी।
इसको गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। इस बार कोरोना महामारी के चलते यह मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अभी तक 50 लोगों से ज्यादा इकट्ठे होने की अनुमति नहीं दी है। इस कारण इस बार यह मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि यदि कोई भी नियम के उल्लंघन करता है तो उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बता दें बीते वर्ष मकर संक्रांति के पावन अवसर पर एक ही बर्तन में 1995 किलोग्राम खिचड़ी पकाने का विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज हुआ था। सवा सात फीट चौड़े, चार फीट ऊंचे बर्तन में 25 शेफ की मदद से पांच घंटे में इस खिचड़ी को तैयार किया गया। विशाल पतीले का वजन क्रेन की मदद से उठाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि ऋषि नाथ की उपस्थिति में किया गया था। खिचड़ी के नए विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि के माध्यम से सौंपा गया।
पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग की और से इस इवेंट का आयोजन किया गया था। एक ही बर्तन में 25 कुक लगाए गए जिसमें 15 विशेष शेफ थे। हरियाणा की मशहूर मार्केट जगाधरी से खिचड़ी के लिए एक बड़ा पतीला मंगाया गया था। इसमे लिए एक ईंट की एक विशेष भट्टी बनाई गई थी। करीब एक लाख की खाद्य सामग्री इसमें लगी जिसे तैयार करने में पांच क्विंटल लकड़ी लगी। पांच घंटे तक खिचड़ी पकने के बाद क्रेन की मदद से विशाल पतीले को भट्टी से उतारा गया।