• April 19, 2024 1:58 pm

पर्यावरण पर खतरा-पटाखे बजे बगैर बिगड़ी हवा, प्रदूषण रिकॉर्ड- एक्यूआई 285, फेस्टिव सीजन में वायु प्रदूषण छू रहा पिछले साल का रिकॉर्ड, दिनभर आंखों में जलन, सांस लेने में होने लगी है परेशानी

3 नवंबर 2021 | जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही है, लगातार प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले साल की तर्ज पर ही इस बार भी उसी तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है।

वर्ष 2020 में दीपावली से दो दिन पहले यानि धनतेरस के दिन एक्यूआई में पीएम 2.5 का स्तर 291 पर था। वहीं वर्ष 2019 में 284 तक पहुंच गया था। ऐसे में इस बार भी दीपावली पर जिस तरह से बाजार और कारोबार खुले हैं तो प्रदूषण का स्तर भी पिछली बार की तरह 400 तक का आंकड़ा पार कर सकता है। वहीं मंगलवार को एक्यूआई पीएम 2.5 का स्तर 285 एमजी प्रति घन मीटर तक दर्ज किया गया।

पराली भी जल रही, सुबह छाने लगी है स्मॉग की चादर

मंगलवार काे भी आसमान में स्माॅग की चादर छाई रही। इस कारण दम घुटने लगा है और आंखों में जलन महसूस की गई। खैर, इसमें मंगलवार शाम काे हल्की बूंदाबांदी ने राहत दी है। इस बूंदाबांदी से फिलहाल आशिंक राहत मिल सकती है। हवा में नमी बढ़ने और दूसरे जिलों व राज्यों में खेताें में जलाई जा रही पराली से वातावरण फिर से प्रदूषित हाे गया है।

आने वाले दिनाें में यदि मौसम में बदलाव बना रहा तो पटाखों का धुआं भी इसमें धुल जाएगा। नहीं तो फिर से सुबह की हवा में स्मॉग सांस के रोगियों के लिए आफत बन जाएगा। चूंकि अभी से इसकी समस्या बढ़ने लगी है।

यूं बढ़ा दिनभर में पीएम 2.5

समय एक्यूआई

  • 8 बजे 282
  • 10 बजे 285
  • 12 बजे 286
  • 14 बजे 281
  • 16 बजे 279
  • 18 बजे 280
  • 20 बजे 282

नोट : सीपीसीबी से लिए गए आंकड़े।

हल्की बूंदाबांदी से बदला मौसम

वहीं मंगलवार को अचानक मौसम में बदलाव आया है। शाम के समय अचानक बादल छा गए और हल्की बूंदाबांदी दर्ज की गई। हालांकि बादल छाने और हल्की बूंदाबांदी से तापमान में तीन डिग्री का उछाल आया है। रात का तापमान 16.4 डिग्री दर्ज किया गया।

वहीं अधिकतम तापमान भी 30.1 डिग्री दर्ज किया गया। इसमें एक डिग्री की गिरावट बनी है। माैसम विशेषज्ञाें के मुताबिक पश्चिमी विक्षाेभ के आंशिक असर के कारण मंगलवार शाम से माैसम में बदलाव आ सकता है। इस दाैरान हल्की बारिश और तेज हवाओं के चलने की आशंका है।

पीएम 2.5 का करता है ज्यादा नुकसान : डॉ. अंकित

वहीं रेस्पिरेटरी मेडिसन के डॉ. अंकित खुराना बताते हैं कि लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से सांस की तकलीफ बढ़ने लगी है। लोगों को चाहिए कि वे सांसों को सुरक्षित रखने के लिए एन 95 मास्क का प्रयोग करें। चूंकि ये पीएम 2.5 काफी बारिक होने के कारण सांस के साथ फेफड़ों व दिमाग तक पहुंच जाता है, जोकि खतरनाक होता है।

Source :-“दैनिक भास्कर”

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