भिलाई। कोलकाता में मां जगदात्री की हर साल चार दिनों तक पूजा और आराधना होती है। अब यह नजारा भिलाई के काली बाड़ी मंदिर में भी दिखेगा। भिलाई के सबसे पुरानी काली बाड़ी मंदिर की स्थापना 60 साल पूर्व हुई थी। पहली बार यहां बंगाल में होने वाली पूजा की झलक दिखाई जाएगी। मां जगदात्री देवी की पूजा के साथ हवन, पुष्पांजलि और बलि दी जाएगी। फलों की बलि दी जाएगी। बंगाल की प्रसिद्घ सजावट की तरह ही कालीबाड़ी को भी सजाया जा रहा है।
बता दें कि पूरे भारत में पश्चिम बंगाल दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यहां दूर-दूर से भक्त पश्चिम बंगाल की पूजा देखने के लिए विशेषरूप से इन दिनों जाते हैं। यहां पर दुर्गा की पूजा के साथ, जगद्घात्री पूजा का भी विशेष स्थान है। यह पूजा ओड़िशा के कुछ स्थानों पर भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। यह तंत्र से उत्पन्ना हुई है। यह मां काली एवं दुर्गा के साथ ही सत्व के रूप में हैं। इन्हें राजस एवं तामस का प्रतीक माना जाता हैं।
यह पर्व दुर्गा नवमी के एक माह बाद मनाया जाता है। चंदन नगर प्रांत में इस पर्व का जन्म हुआ था। यह चार दिवसीय पर्व है, जिसमे मेला सजता है। जगदात्री पूजा कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर दशमी तक मनाया जाता है। जगदात्री पूजा का विवरण बकिम चंद चटर्जी ने अपने उपन्यास बंदेमातरम में किया है। यह पूजा अब सेक्टर-6 के काली बाड़ी मंदिर में भिलाई में 23 नवंबर को पहली बार जगदात्री माता की पूजा विधि विधान से की जाएगी। इसके लिए मां की छह फिट ऊंची प्रतिमा भी मंगाई गई है, हालांकिइस बार एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होगा।
काली मंदिर को भिलाई के ही कारीगरों द्वारा विभिन्न प्रकार से सजाया जा रहा है। इस बार कोलकाता की तर्ज पर भिलाई के काली बाड़ी मंदिर में जगदात्री देवी पूजा होगी, जिसमें पूरे ट्विनसिटी के लोग दर्शन पूजन कर सकेंगे।
प्रदीप राय, अध्यक्ष-काली बाड़ी समिति सेक्टर-6