27-जुलाई-2021 | उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सोमवार रात 12 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है। 14 सूत्री मांगों को लेकर यूपीसीएल, यूजेवीएनएल, पिटकुल के 10 संगठनों के करीब 3500 से अधिक बिजली कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं। इसके तहत न तो यूजेवीएनएल के विद्युत गृहों पर कर्मचारी काम करेंगे और न ही बिजली से जुड़ी किसी भी गतिविधि में सहयोग करेंगे।
वहीं, हड़ताल के बाद मंगलवार को उत्तरकाशी में सुबह मनेरी भाली एक और मनेरी पाली दो की टरबाइन थमी गई है। जिससे विद्युत उत्पादन ठप हो गया है। मनेरी भाली एक से प्रतिदिन 90 मेगा वाट व मनेरी भाली द्वितीय से प्रतिदिन 304 मेगावाट बिजली उत्पादन होती है। दोनों परियोजनाओं पर कल रात 12:00 बजे से उत्पादन ठप है। जिससे प्रतिदिन करीब सवा करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं, उत्तरकाशी के कई इलाकों में बिजली गुल है।
देहरादून के ऊर्जा निगम में सचिव ऊर्जा सौजन्या, एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल सहित कई अधिकारी मौजूद हैं। अधिकारी लगातार कर्मचारियों को समझाने में जुटे हैं। लेकिन कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। वहीं, देहरादून में भी कई फीडर से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। दून के सभी बिजलीघरों में ताले लटके हैं। अधिकारियों के मोबाइल बंद हैं। उधर, बिजली कटने की वजह से लोग भी परेशान हो रहे हैं।
राजधानी देहरादून में भी 20 फीसदी इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के लगभग सभी पावर हाउस में बिजली उत्पादन रुक गया है। रात मलेरी भाली परियोजना ठप होने की वजह से सरकार ने करीब 250 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से ली है।
बता दें कि तीनों निगमों के ऊर्जाकर्मियों की सचिव और फिर मुख्य सचिव से सोमवार शाम को वार्ता विफल हो गई थी। जिसके बाद कर्मचारियों ने रात से ही हड़ताल का एलान कर दिया।
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं।
22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों के संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ परंतु आज तक उस समझौते पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऊर्जा निगम के कार्मिक इस बात से क्षुब्ध हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रही थी।
यही नहीं, पे मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी की गई। संविदा कार्मिकों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में भी इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ।
Source;-“अमर उजाला”