दुर्ग l 18-मई-2021 l जल संरक्षण हम सभी का नैतिक दायित्व : राज्यपाल उइके। प्रत्येक नागरिक को जल संरक्षण के प्रति सजग रहकर अपने स्तर पर साकारात्मक प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने व्यक्त किया। राज्यपाल सोमवार को हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आनलाइन रूप से ‘जल संरक्षण-कैच द रेन’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बातें कही।
उन्होंने कहा कि हमारे दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में भी आवश्यकतानुसार ही पीने का पानी उपयोग कर, व्यर्थ बहते नल की टोटी बंदकर पौधरोपण कर, घरों में कार की धुलाई में अपव्यय होने वाले जल की मात्रा को रोककर हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
राज्यपाल ने उपस्थित कुलपति तथा प्राचायोर् से आह्वान किया कि वे अपने-अपने शैक्षणिक संस्थानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली अनिवार्य रूप से स्थापित करें।
कुलपति डा.अरुणा पल्टा ने अपने स्वागत भाषण में जल संरक्षण की महत्ता पर विचार-विमर्श करने हेतु राजभवन के निर्देश की सराहना करते हुए कहा कि इसका श्रेय राज्यपाल को जाता है। डा.पल्टा ने कहा कि विवि के छह वषोर् के इतिहास में पहली बार किसी कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ-साथ सचिव उच्च शिक्षा तथा 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल हुए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव धनंजय देवांगन ने कहा कि ‘जलसंरक्षण’ संबंधी जागरूकता फैलाने हेतु उच्च शिक्षा संस्थानों को सबसे उत्तम माध्यम बताया।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यावरण एवं जल संरक्षणविद् तथा मैगसेस पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण को हमारे वर्तमान समय की नितांत आवश्यकता बताते हुए कहा कि उन्होंने थार मरूस्थल के नजदीक मात्र एक गांव में जल संरक्षण हेतु संरचना तैयार की थी धीरे-धीरे इसका प्रसार होते-होते यह अवधारणा राजस्थान के 8600 गांवों में विस्तारित हो गई।
इससे गांवों में तो भूजल स्तर में वृद्धि हुई ही साथ ही साथ पांच नदियों के जल स्तर में भी वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि छोटे-छोटे चेकडेम, रेन वाटर हावर्ेिस्टंग प्रणाली स्थापित कर जल को संरक्षित किया जा सकता है। डा.सिंह ने विश्वविद्यालयों में जल संसाधन पाठ्यक्रम आरंभ किए जाने पर बल दिया। इस पर राज्यपाल ने भी अपनी सहमति देते हुए कहा कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, ऐसी लोग भविष्यवाणी कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि राजभवन द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्देशानुसार प्रेषित पत्र में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को जल संरक्षण से संबंधित आनलाइन गतिविधियां संचालित करने को कहा गया है। इसी के परिपालन में हेमचंद विवि द्वारा नियमित विद्यार्थियों हेतु जल संरक्षण पर केंद्रित पोस्टर, स्लोगन तथा चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है और आगे भी होती रहेगी।
महाविद्यालयों द्वारा किए गए जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों को भी अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिता के माध्यम से पुरस्कृत किया जाएगा। कर्मचारियों हेतु जल संरक्षण पर आधारित निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। इस दौरान दुर्ग संभाग के अपर संचालक उच्च शिक्षा डा.सुशील चंद्र तिवारी, कुलसचिव डा.सीएल.देवांगन, डीएसडब्ल्यू डा.प्रशांत श्रीवास्तव सहित अन्य उपस्थित रहे।
25 कुलपति, प्राध्यापक, प्राचार्य रहे उपस्थित
कार्यक्रम में लगभग दो हजार से अधिक प्राध्यापकों, प्राचार्यों, 25 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और दुर्ग विवि के अधिकारियों, कुलसचि, कर्मचारियों, एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी, स्वयंसेवकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थी।