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कोरोना के खिलाफ सख्त लॉकडाउन से क्या मिला? अब जीरो कोविड पॉलिसी के नतीजे भुगत रही चीनी अर्थव्यवस्था

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30   सितम्बर 2022 | कोरोना वायरस महामारी की लगातार मार झेल रहे चीन की अर्थव्यवस्था का हाल खस्ता है। विश्व बैंक का अनुमान है कि बीजिंग की इकोनॉमी ईस्ट-एशिया के दूसरे देशों की तुलना में इस साल धीमी गति से आगे बढ़ेगी। दरअसल, चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के चलते देश में कई सारे बिजनेस बंद हो गए और हजारों लोगों का रोजगार छिन गया।

इसके अलावा, यूक्रेन में रूसी सेना के आक्रमण के बाद चीन की एनर्जी और फूड सप्लाई पर गहरा असर पड़ा है। इसके चलते देश में महंगाई भी काफी बढ़ गई है, जिसका अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है। चीन इंफ्रास्ट्रक्चर में इंवेस्टमेंट और इंसेंटिव्स के जरिए ग्रोथ हासिल करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कोरोना को रोकने के लिए लागू जीरो कोविड पॉलिसी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

2022 में 2.8 फीसदी होगी चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ 
वर्ल्ड बैंक ने गुरुवार को अनुमान लगाया कि 2022 में चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ 2.8 फीसदी होगी। इसके लिए बीजिंग की जोरी कोविड पॉलिसी और रियल एस्टेट क्राइसिस का हवाला दिया गया। गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल अप्रैल में विश्व बैंक का अनुमान था कि चीन की अर्थव्यवस्था 5 फीसदी की विकास दर हासिल कर लेगी।

प्रोडक्शन और सप्लाई चेन बुरी तरह बाधित 
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के तहत बड़े सेंटर्स में आंशिक या पूरी तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया, जिसका बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ा। इस साल में कई शहरों में कोरोना के मामले बढ़ते नजर आए। इसके साथ ही लॉकडाउन के तहत कड़ी पाबंदियां लागू की गईं। इतनी सख्त पॉलिसी के चलते बहुत से लोगों का रोजगार चला गया। सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा लोग बेरोजगार हुए। लॉकडाउन के चलते देश की प्रोडक्शन और सप्लाई चेन बुरी तरह बाधित हुई, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा।

सोर्स:–” हिंदुस्तान” 


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