रांची। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार राखी। इस त्योहार में भाई बहन की रक्षा का वचन देता है। जब भी मुश्किल घड़ी आई भाई बहन की मदद करने को तैयार रहता है। हालांकि कुछ ऐसी भी बहनें हैं जिन्होंने अपने भाई के लिए मां का फर्ज अदा किया है। वो कदम-कदम पर उनकी रक्षा और प्रेरणा का स्रोत बनीं हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही बहनों के बारे में, जिन्होंने अपने भाई के लिए एक बहन से भी बढ़कर भूमिका निभाई।
उच्च पद पर पहुंच गए भाई, देते हैं मां का दर्जा
मेरे तीनों भाई मुझसे से छोटे हैं। छोटे होने के कारण मैंने बचपन से उनकी पढ़ाई-लिखाई आदि में अपना पूरा योगदान दिया। भाइयों में बड़ा राजीव अस्थाना गोस्सनर कॉलेज में प्रोफेसर है। वहीं दूसरे नंबर पर राकेश अस्थाना वर्तमान में नारकोटिक्स विभाग में निदेशक है। जबकि सबसे छोटा भाई एनटीपीसी में प्रबंधक के पद पर है। भगवान की दया से मेरे भाई ऊंचे पद पर पहुंच गए हैं। मगर अभी तक मुझसे घर-परिवार, अच्छी-बुरी चीजों से जुड़ी सलाह लेते हैं।
बड़ी होने के कारण मैं आज भी उनके लिए मां के समान ही हूं। मेरे एक भाई की पत्नी को जब ब्रेन ट्यूमर हुआ तो मैंने उसका और उसकी पत्नी का हौसला बढ़ाया। अब उसकी पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ है। हर बार हम राखी में मिलते थे या पोस्ट से राखी भेज देते थे। मगर संक्रमण को देखते हुए हमने तय किया है कि जो जहां है वो वहीं अपने घर में पूजा की मौली बांधकर राखी मनाएगा। -प्रो. कामिनी कुमार, प्रो विसी, रांची विवि।
मां के जाने के बाद भाई को बेटे की तरह पाला
जब मेरा भाई काफी छोटा था, उसी समय हमारी मां का देहांत हो गया। हमारे परिवार के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। मैं और मेरी बड़ी बहन ने मिलकर पूरे घर को संभाला। भाई छोटा था, मगर हमारे रहते उसे कभी मां की कमी महसूस नहीं हुई। घर के सारे काम के बाद हम वक्त निकालकर उसे पढ़ाते। स्कूल से लेकर आज तक हम उसकी हर मुश्किल वक्त में सहायता करते आए हैं।
वो भी जब किसी समस्या में होता है तो हमारे साथ बैठकर बात करता है। अच्छी-बुरी चीजों से जुड़ी सलाह लेता है। मेरा भाई कभी रांची तो कभी गांव पर रहता है। वर्तमान में वो गांव पर है। रांची में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में हमने तय किया है कि गांव के पास ही रहने वाली मेरी एक बहन उसे हम सभी बहनों की तरफ से राखी बांधेगी। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा इस वर्ष जरूरी है। -आशा लकड़ा, मेयर, रांची।
मरीजों को राखी बांध करूंगी उनके स्वस्थ होने की कामना
राखी में भाई को राखी बांधने का अपना ही सुख है। मगर इस वर्ष मेरी कोविड वार्ड में ड्यूटी है। ऐसे में घर जाकर भाई को राखी बांधना संभव नहीं है। इसलिए मैंने तय किया है कि कोविड वार्ड के मरीजों को राखी बांधकर इस वर्ष रक्षाबंधन मनाऊंगी। यहां के सारे मरीज हमें सिस्टर कहते हैं। हम उनकी देखभाल भी करते हैं। फिर राखी के त्योहार में वो भी तो अपनी बहनों से राखी नहीं बंधवा पाएंगे। इस राखी मैं एक नया रिश्ता बनाऊंगी और उसी रिश्ते को बचाने के लिए जी जान लगा दूंगी। इसके साथ ही मैंने अपने भाई के साथ डिजिटल राखी मनाने का भी प्रोग्राम बनाया है। हालांकि राखी बांधना तो बस एक फॉर्मेलिटी है, भाई पास नहीं भी रहेगा तो प्यार और अटूट बंधन हमेशा साथ रहेगा। -रामरेखा राय, सीनियर नर्स, रिम्स।
प्रख्यात कवि गोपाल सिंह नेपाली ने कहा है…एक बहन ही भाई का धुव्रतारा है…इस रक्षाबंधन पर दैनिक जागरण ऐसी बहनों की कहानी लेकर आया है।
तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग-जाग मैं ज्वाल बनूं,
तू बन जा हहराती गंगा, मैं झेलम बेहाल बनूं,
आज बसन्ती चोला तेरा, मैं भी सज लूं, लाल बनूं,
तू भगिनी बन क्रांति कराली, मैं भाई विकराल बनूं,
यहां न कोई राधारानी, वृन्दावन, बंशीवाला,
तू आंगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरे वाला।
बहन प्रेम का पुतला हूं मैं, तू ममता की गोद बनी,
मेरा जीवन क्रीड़ा-कौतुक तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी,
मैं भाई फूलों में भूला, मेरी बहन विनोद बनी,
भाई की गति, मति भगिनी की दोनों मंगल-मोद बनी
यह अपराध कलंक सुशीले, सारे फूल जला देना।
जननी की जंजीर बज रही, चल तबीयत बहला देना ।
भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है,
संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कूल-किनारा है,
यह उन्माद, बहन को अपना भाई एक सहारा है,
यह अलमस्ती, एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है,
पागल घड़ी, बहन-भाई है, वह आजाद तराना है ।
मुसीबतों से, बलिदानों से, पत्थर को समझाना है ।
गोपाल सिंह नेपाली (कविता भाई-बहन)