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आंध्र प्रदेश में मंदिरों को लेकर क्यों गर्मा रही है राजनीति

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Jan 11, 2021
आंध्र प्रदेश में मंदिरों को लेकर क्यों गर्मा रही है राजनीति
  • मौजूदा वक़्त में आंध्र प्रदेश की राजनीति हिंदू मंदिरों के इर्दगिर्द घूम रही है. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि सरकार मंदिरों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है.
  • अलग-अलग पार्टियों के नेताओं के दौरे लगातार जारी हैं और वे राज्य में मंदिरों की मूर्तियों को तोड़े जाने के आरोप लगा रहे हैं.
  • दूसरी ओर, राज्य की सत्ता में मौजूद वाईसीपी, विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगा रही है कि वे राज्य में उनकी सरकार की चलाई जा रही विकास से जुड़ी हुई गतिविधियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के षड्यंत्र रच रही हैं.

पहले राजनीतिक और राष्ट्रीय नेताओं की मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की घटनाएं बड़े विवादों में तब्दील हो जाया करती थीं. लेकिन, अब इस तरह के विवादों के केंद्र में मंदिर आ गए हैं.
अगर आप पिछले दो वर्षों पर नज़र डालें तो यह चीज़ स्पष्ट होती है. सबसे पहले 14 नवंबर 2019 को इस तरह की चर्चाएं पैदा हुईं कि एक दुर्गा मंदिर को तोड़ा गया है.
गुंटूर के दुर्गा मंदिर से पितापुरम के मंदिरों तक
अधिकारियों का कहना था कि सड़क को चौड़ा करने के लिए इस मंदिर को किनारे हटाया गया था और कुछ लोगों ने इसी बात को ऐसे दिखाया कि जैसे इस मंदिर को तोड़ दिया गया है.
बाद में 21 जनवरी 2020 को पूर्वी गोदावरी ज़िले के पितापुरम में मौजूद मंदिरों की कई मूर्तियों को तोड़ दिया गया और इससे एक बड़ा विवाद पैदा हो गया था.

  • कई संगठनों ने इस तोड़फोड़ के विरोध में प्रदर्शनों का आयोजन किया. इसकी वजह से पुलिस को इस मामले में एक केस दर्ज करना पड़ा.

हालांकि जाँच के बाद पता चला कि इस घटना का मुख्य अभियुक्त मधुकर नाम का एक शख़्स है. पुलिस ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने सीसीटीवी फ़ुटेज की मदद से इस अभियुक्त की पहचान की थी और उसे रिमांड में भेज दिया गया.

पितापुरम पुलिस ने बीबीसी को बताया कि इस मामले में प्रगति हो रही है और उन्होंने एक केस दर्ज किया है और इसकी चार्जशीट दाख़िल की जा चुकी है.

इस घटना के 20 दिन बाद यानी कि पिछले साल 11 फ़रवरी को गुंटूर ज़िले के रोमपिचेरला में वेणुगोपाल स्वामी की मूर्तियों को तोड़े जाने की घटना सामने आई.

ठीक इसी तरह से पिछले साल 13 फ़रवरी को उद्रजावरम मंदिर के मुख्य दरवाज़े को नष्ट किए जाने का मामला प्रकाश में आया.

14 फ़रवरी को कोंडा बित्रगुंटा के प्रसन्ना वेंकटेश्वर मंदिर में रथ में आग लगाए जाने की घटना हुई. इस घटना ने एक बड़े विवाद का रूप ले लिया था.

मंदिर के प्रबंधन की ओर से इस मामले में एक एफ़आईआर (12/2000) दर्ज कराई गई. जाँच के बाद कट्टा फकीरैया नामक एक शख़्स को आईपीसी की धारा 436 के तहत गिरफ़्तार किया गया.

  • बित्रगुंटा पुलिस ने बीबीसी को बताया है कि यह मामला भी अभी कोर्ट में चल रहा है

अंतर्वेदी मंदिर के रथ को जलाए जाने की घटना से विवाद गहराया
पिछले साल सात सितंबर को एक और घटना हुई. अंतर्वेदी लक्ष्मीनरसिम्हा स्वामी मंदिर के रथ को जला दिया गया. इससे राज्य में मंदिरों के इर्दिगिर्द पहले से जारी राजनीतिक तनाव और गहरा गया.
60 साल पुराने रथ को जलाए जाने की यह घटना एक सनसनी के तौर पर फैल गई थी. कई पार्टियों ने मंदिर परिसर के अंदर रखे इस रथ को सुरक्षा न मुहैया कराए जाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे.

आख़िरकार, आंध्र प्रदेश सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फ़ैसला कर लिया. लेकिन सीबीआई ने इस मामले की जाँच की दिशा में अभी तक एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ाया है.

विशाखापट्टनम के सीबीआई अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि इस केस की जाँच के संबंध में अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हुआ है.

अंतर्वेदी मंदिर के रथ को जलाए जाने की घटना के बाद विरोध-प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों की कारगुज़ारियों ने नई बहस छेड़ दी.

इस दौरान दूसरे समुदायों के पूजास्थलों पर पत्थरबाज़ी की कई घटनाएं हुईं और मंत्रियों से सवाल किए गए. इन मामलों में 36 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए हैं.

पूर्वी गोदावरी ज़िले की पुलिस ने बीबीसी को बताया है कि इन घटनाओं में शामिल लोगों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है और उन्हें रिमांड में भेजा गया है. फ़िलहाल उनकी जाँच जारी है.

आंध्र प्रदेश सरकार के एंडोवमेंट डिपार्टमेंट ने फ़ंड जारी कर दिए हैं और जलाए गए रथ की जगह पर एक नया रथ लगाने के लिए इसे तैयार किया जा रहा है. इसके लिए हाल में ही एक ट्रायल रन भी किया गया है.

मंदिर अधिकारियों ने ऐलान किया है कि नया रथ फ़रवरी में होने वाले अगले रथ उत्सव तक तैयार कर लिया जाएगा.

अभी भी जारी हैं मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं
मंदिरों के साथ लगातार बढ़ते विवादों की घटनाएं देखते हुए राज्य सरकार ने फ़ैसला किया है कि वह सभी मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगवाएगी. सरकार इसका फ़ैसला पिछले साल सितंबर में ही कर चुकी है.
सरकार का दावा है कि अब तक 20,000 मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं.

आंध्र प्रदेश पुलिस ने ऐलान किया है कि उन्होंने मंदिरों के आसपास सुरक्षा को बढ़ा दिया है लेकिन, अब भी जारी तोड़फोड़ की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार की कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही हैं.

अंतर्वेदी मंदिर की घटना के कुछ दिनों के बाद ही 25 सितंबर को तुम्मुर में मौजूद अंजनेय स्वामी की मूर्ति को तोड़ दिया गया था. यह मंदिर नेल्लोर ज़िले की नायडूपेट नगरपालिका सीमा में स्थित है. इस घटना के संबंध में भी एक केस दर्ज किया गया है.

इसके बाद पाँच अक्तूबर को कुरनूल ज़िले के मंत्रालय में श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर में शेषनाग वाली मूर्ति को नुक़सान पहुँचाए जाने की घटना सामने आई थी. इस मामले में भी एक एफ़आईआर दर्ज कराई गई है. मंत्रालय पुलिस ने बीबीसी को बताया है कि उन्हें केस से संबंधित कुछ अहम जानकारियां हाथ लगी हैं और मामले की जाँच जारी है.

16 अक्तूबर को इस तरह की अफ़वाह फैली कि तुर्लापादु में श्री वीरभद्र स्वामी के मंदिर के टावर को तोड़ दिया गया है. लेकिन, पुलिस ने कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है.

तिरुमाला को लेकर शुरू से जारी हैं विवाद
जब से जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि तिरुमाला बस टिकट्स पर येरूशलम यात्रा को लेकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. बाद में टीटीडी ने ऐलान किया कि इन टिकटों को वापस ले लिया गया है.
कुछ दिन बाद ऐसी ख़बरें आईं कि तिरुमाला की पहाड़ियों में से एक पर क्रॉस इंस्टॉल कर दिया गया है. चूंकि टीटीडी ने इस बारे में शिकायत की थी, ऐसे में पुलिस ने भी इस मामले में एक केस दर्ज कर लिया.

एक मौजूदा खंबे को क्रॉस के तौर पर दर्शाए जाने को लेकर कुछ लोगों पर केस दर्ज किया गया और कुछ लोग अरेस्ट भी कर लिए गए हैं.

अलीपिरी पुलिस ने जानकारी दी है कि इस मामले में भी जाँच की जा रही है. टीटीडी अधिकारियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और जिन चीज़ों पर संदेह पैदा हो सकता है, उनके बारे में एक स्पष्टीकरण जारी किया है.

उन्होंने ऐलान किया है कि सोशल मीडिया पर “पूर्ण कुंबा” को “क्रॉस” के तौर पर दिखाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.

सरकारें बदलीं, लेकिन हालात नहीं
हालांकि आंध्र प्रदेश पुलिस यह कह रही है कि उन्होंने मंदिरों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है, लेकिन बड़े पैमाने पर लोग इस दावे पर यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं. अलग-अलग जगहों पर लगातार हुई घटनाओं की वजह से लोगों का भरोसा डगमगा गया है.
आंध्र प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, इस तरह की घटनाएं पिछले कुछ वक़्त से जारी हैं. आंध्र प्रदेश के डीजीपी ने ऐलान किया है कि कुछ लोग मंदिरों को और मंदिरों में मौजूद मूर्तियों को तोड़े जाने की घटनाओं में शामिल हैं और ये घटनाएं दूर-दराज़ के इलाक़ों में ज़्यादा हुई हैं. इन जगहों पर सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं हैं.

  • डीजीपी का कहना था कि ये लोग या तो चोरी या फिर किसी दूसरे मक़सद से इन कामों को अंजाम दे रहे हैं.

आंध्र प्रदेश पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2015 में इस तरह की 290 घटनाएं हुई थीं, जबकि साल 2016 में 322, साल 2017 में 318 और साल 2018 में ऐसी 267 घटनाएं हुई थीं. इन मामलों में केस दर्ज किए गए थे. इनमें रथों को जलाए जाने की घटनाएं भी शामिल हैं.

इसके बाद साल 2019 में मंदिरों में तोड़फोड़ से संबंधित 305 मामले आए और साल 2020 में सितंबर तक ऐसे 228 मामले दर्ज किए गए हैं.

हालांकि मंदिरों पर हमलों की घटनाएं नई नहीं हैं, लेकिन हिंदू प्रचार इंसीडेंट्स कमेटी के प्रतिनिधि एम केसवचारीयुलु ने बीबीसी को बताया है कि जिस तर्ज़ पर और एक के बाद एक लगातार ये घटनाएं हो रही हैं, उससे कई शंकाएं पैदा होती हैं.

उन्होंने कहा, “मौजूदा वक़्त में इस तरह की धारणा बन रही है कि आंध्र प्रदेश में मंदिर क़त्तई सुरक्षित नहीं हैं. मंदिरों की सुरक्षा करना सरकार की ज़िम्मेदारी है. पिछले दो सालों में घटित हुई इन घटनाओं में शामिल एक भी शख़्स को अब तक सज़ा नहीं मिल पाई है. ज़्यादातर घटनाओं में केस तक दर्ज नहीं किए गए हैं. जब तक हिंदू संगठन विरोध-प्रदर्शन नहीं करते हैं, तब तक कोई गिरफ़्तारी भी नहीं होती है. अगर गिरफ़्तारी होती भी है तो मामूली केस लगाए जाते हैं. ऐसे में ये अभियुक्त आसानी से बाहर निकल आते हैं.”


रामतीर्थ से विजयवाड़ा तक
गुज़रे 10 दिनों के दौरान राजनीतिक गहमा-गहमी में तेज़ी आई है. ऐसा मुख्य तौर पर विजयनगरम ज़िले में राम तीर्थम, राजमुंदरी, ईजी ज़िले और इन सबसे बढ़कर विजयवाड़ा आरटीसी कॉम्प्लेक्स से सटे मंदिरों में हुई घटनाओं की वजह से हुआ है.
वाईसीपी, चीफ़ सेक्रेटरी, एमपी विजय साई रेड्डी और बाद में टीडीपी चीफ़ और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू भी एक दिन के लिए रामतीर्थ पहुँचे.

इससे तनाव और बढ़ गया है. विजय साई रेड्डी ने एक शिकायत दर्ज कराई है कि टीडीपी नेताओं ने उनकी हत्या की कोशिश की है. इस संबंध में पुलिस ने टीडीपी से जुड़े तीन लोगों को कस्टडी में ले लिया है.

विजयनगरम के डीएसपी ने बीबीसी को बताया है कि मूर्तियां तोड़े जाने के मामले में कई लोगों को पकड़ा गया है और इस मामले की जाँच जारी है.

राजमुंदरी में सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर में मूर्ति को आंशिक तौर पर तोड़ा गया है. इस मामले की जाँच पुलिस कर रही है.

हाल में विजयवाड़ा बस-स्टैंड कंपाउंड में सीता देवी की मूर्ति को तोड़ने की घटना सामने आई है. पुलिस के मुताबिक़, इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया है. पुलिस का कहना है कि वे जाँच के बाद अभियुक्तों को पकड़ने में सफल रहेंगे.

  • “हमें गुरिल्ला युद्ध झेलना होगा”

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने टिप्पणी की है कि कुछ लोग उनकी सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
तिरुपति में पुलिस ड्यूटी मीट के आयोजन के उद्घाटन के मौक़े पर उन्होंने यह टिप्पणी की है.

उन्होंने कहा, “पुलिस को ये ध्यान रखना होगा कि किस तरह के अपराधों की वे जाँच करें, जब उनके सामने ऐसी परिस्थिति होती है जहां पर जातियों और धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने की कोशिश की जाती है. पुलिस को इस हिसाब से तकनीक विकसित करनी होगी. उन्हें हालात के हिसाब से चलने वाली सोच को बदलना होगा. अगर मंदिरों में मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है तो इससे किसे फ़ायदा होगा? अगर भावनाएं भड़केंगी तो किसे फ़ायदा होगा? झूठे प्रोपेगैंडा को फैलाए जाने और लोगों की अस्थाओं पर हमला करने से किन लोगों को फ़ायदा होगा? लोगों को यह सोचना होगा कि इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं. ये लोग किसे निशाना बना रहे हैं.”

जगन रेड्डी ने कहा, “जब अच्छे काम किए जाते हैं तो अच्छे काम किए जाने की वजह से बनने वाली छवि को नुक़सान पहुँचाने के लिए वे तोड़फोड़ वाली गतिविधियां करने से भी नहीं हिचकते हैं. 2019 से ऐसे ही हालात बने हुए हैं. जब भी कोई बड़ी सरकारी स्कीम आती है तो हमें ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है. वे दूर-दराज़ वाले इलाक़ों और कम आबादी वाली जगहों में मुश्किलें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा रात के अंधेरे में किया जाता है. इनसे निबटने के लिए पुलिस को ख़ुद में आत्मविश्वास पैदा करना होगा और इस तरह के राजनीतिक गुरिल्ला युद्ध से निबटना होगा. वे न सिर्फ़ सरकार का बल्कि पुलिस का भी नाम ख़राब करना चाहते हैं.”

  • “मुख्यमंत्री ज़िम्मेदारी से बच रहे हैं!”

टीडीपी का कहना है कि मंदिरों के साथ हो रही तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया उचित नहीं है.
टीडीपी के आधिकारिक प्रवक्ता कुमररेड्डी पट्टाभि ने बीबीसी को बताया कि चीफ़ मिनिस्टर जगन ग़ैर-ज़िम्मेदारी भरे तरीक़े से बात कर रहे हैं.

उन्होंने सवाल किया, “जिस तरह से मुख्यमंत्री मंदिरों और हिंदू धर्म पर हो रहे हमले को लेकर बोले हैं उसे अगर आप ग़ौर से देखेंगे तो ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री अपनी ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. उनके बयानों से यह साफ़ है कि वे मंदिरों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे हैं. टीडीपी के पास इस तरह की 136 घटनाओं की लिस्ट है. क्या वे एक भी शख़्स को गिरफ़्तार कर पाए हैं?”

“जगन को अपने रवैये को बदलना होगा!”
जीवीएल ने कहा, “चर्च पर पत्थरबाज़ी करने की घटना में 40 लोगों (हिंदुओं) को गिरफ़्तार किया गया था. जब सैकड़ों की संख्या में मंदिरों को तोड़ा जा रहा है तो उन्होंने क्या एक्शन लिया? आंध्र प्रदेश सरकार को अपने कामकाज के तरीक़े को बदलना होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो आने वाले दिनों में उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.”

पैदा हो रहा है तनाव”
सामाजिक कार्यकर्ता पीवी रामा राव कहते हैं कि जिस तरह से आंध्र प्रदेश की राजनीति में धार्मिक मसले बदल रहे हैं वह हर किसी के लिए चिंता की बात है.

उन्होंने कहा, “इस तरह की घटनाओं में जब भी ये घटनाएं होती हैं, तुरंत कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है. ऐसी घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई करना बेहद अहम होता है. साथ ही इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना भी ज़रूरी है. केवल विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगा देना काफ़ी नहीं होगा.”


रामा राव कहते हैं, “इस तरह की घटनाओं में पुलिस के पास शुरुआती आकलन और जानकारियां होती हैं. उसी हिसाब से एक्शन लिया जाना चाहिए. कार्रवाई करने में देरी बिलकुल नहीं होनी चाहिए. पुलिस की कार्रवाई ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे लोगों के मन में सवाल और शंकाएं पैदा हों. उन्हें पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए.”

वे कहते हैं, “इस तरह के मामलों में यह खतरा रहता है कि कुछ नेता लोगों को उकसा सकते हैं और ऐसे हालात का फ़ायदा उठा सकते हैं. एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा करने की भी चीज़ों को हवा मिल सकती है. इस तरह की घटनाओं की जड़ का पता लगाया जाना चाहिए ताकि इन घटनाओं पर पक्के तौर पर रोक लग सके.”

BBC

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