- बांग्लादेश ने अपने यहां बाहर से आने वाले चावल पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती की है.
बांग्लादेश ने चावल पर लगने वाले आयात शुल्क को पहले के 62.5 फ़ीसदी से घटाकर 25 फ़ीसदी कर दिया है. देश के खाद्य मंत्री सधन चंद्र मजूमदार ने इसका एलान किया है.
माना जा रहा है कि देश में चावल का भंडार मज़बूत करने और इसकी रिकॉर्ड पर पहुंच चुकी क़ीमतों को नीचे लाने के मक़सद से बांग्लादेश ने यह क़दम उठाया है.
दूसरी ओर, आयात शुल्क में कटौती का सबसे बड़ा फ़ायदा भारत को होता दिख रहा है. देश में चावल की बंपर पैदावार और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपनी मज़बूत प्रतिस्पर्धी स्थिति के चलते भारत बड़े पैमाने पर बांग्लादेश को चावल निर्यात कर सकता है.
- बांग्लादेश और भारत आपस में जी2जी डील के ज़रिए भी इस चावल आयात का सौदा करना चाहते हैं.
बाढ़ के चलते पैदावार घटी
बांग्लादेश पारंपरिक तौर पर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश रहा है. लेकिन, हाल के दौर में घटते स्टॉक और स्थानीय बाज़ार में चावल की ऊंची क़ीमतों के चलते बांग्लादेश चावल के एक बड़े आयातक के तौर पर उभरा है.
- बांग्लादेश में बार-बार आई बाढ़ के चलते चावल की पैदावार घटी है.
- चावल उत्पादन के मामले में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है. इसके बाद बांग्लादेश का नंबर आता है.
- बांग्लादेश में चावल की क़रीब 3.6 करोड़ टन पैदावार होती है.
- बांग्लादेश के चावल पर आयात शुल्क घटाने का फ़ायदा भारत को होने की उम्मीद है.
2.5 लाख टन चावल आयात की डील
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, बांग्लादेश और भारत के बीच नैफ़ेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) के ज़रिए 1.5 लाख टन चावल ख़रीदने की डील पर बातचीत चल रही है.
बांग्लादेश में आई बाढ़ के चलते वहां चावल की क़ीमतों के रिकॉर्ड पर पहुंचने के बाद दोनों देशों के बीच गुज़रे तीन साल में हो रही यह इस तरह की पहली द्विपक्षीय डील है.
भारत मज़बूत स्थिति में
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. बंपर पैदावार के चलते देश में चावल का सरप्लस स्टॉक है. ऐसे में भारत अपने यहां मौजूद अतिरिक्त स्टॉक को निकालना चाहता है.
चावल निर्यात के मामले में भारत के मुख्य प्रतिस्पर्धी थाइलैंड और वियतनाम हैं. ऐसे में इन दोनों प्रतिस्पर्धी देशों को पछाड़कर बांग्लादेश को चावल निर्यात करने की बड़ी डील हासिल करने के लिए भारत तगड़े डिस्काउंट पर चावल ऑफ़र कर रहा है.
ख़बरों के मुताबिक़, भारत पारबॉइल्ड या सेला चावल को 407 डॉलर प्रति टन और सफे़द चावल को क़रीब 417 डॉलर प्रति टन पर बांग्लादेश को बेच सकता है.
माना जा रहा है कि भारत की ऑफ़र की जा रही दरें थाइलैंड और वियतनाम के मुक़ाबले क़रीब एक-तिहाई सस्ती हैं.
ख़बरों के मुताबिक़, नैफे़ड बांग्लादेश को 5 लाख टन तक चावल देने की हैसियत में है.
पिछले एक महीने में बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से 2.5 लाख टन चावल आयात करने के लिए पांच टेंडर निकाल चुका है.
बांग्लादेश के उतारे गए 1 लाख टन पारबॉइल्ड ग़ैर-बासमती चावल के इंपोर्ट के ग्लोबल टेंडर को दो भारतीय फ़र्मों ने हासिल किया है.
भारत की रिका ग्लोबल इंपेक्स लिमिटेड बांग्लादेश को 50,000 टन चावल का निर्यात 404.35 डॉलर प्रति टन पर करेगी.
दूसरी फ़र्म 50,000 टन चावल को 416 डॉलर प्रति टन की दर पर बांग्लादेश को निर्यात करेगी.
जी2जी डील की कोशिश
इसके अलावा, बांग्लादेश सरकार 1.5 लाख टन चावल भारत से ख़रीदने के लिए जी2जी, (गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट) यानी सीधे सरकारों के बीच बातचीत कर रही है.
एक प्रेस कॉन्फ्ऱेंस में बांग्लादेश के फ़ूड मिनिस्टर सधन चंद्र मजूमदार ने कहा कि जो कोई भी चावल आयात करना चाहता है उसे उनके मंत्रालय से 10 जनवरी तक मंज़ूरी हासिल करने के लिए अनुरोध करना पड़ेगा.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर विनोद कुमार कहते हैं, “बांग्लादेश में इस साल चावल का उत्पादन कम रहा है. इस वजह से वहां आयात की मांग बढ़ी है.”
हालांकि, वो कहते हैं कि यह एक अस्थायी चीज़ है और बांग्लादेश में फिर से फ़सल अच्छी होने पर वहां चावल का आयात कम होगा.
वो कहते हैं, “बांग्लादेश की सरकार भारत के साथ इसे जी2जी के तौर पर करने पर ज़ोर दे रही है जिसमें वह नेफ़ेड जैसी भारत की सरकारी एजेंसियों से चावल लेना चाहते हैं. लेकिन, भारत की चावल एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को भी बांग्लादेश को इस साल ज़्यादा चावल भेजने का मौक़ा मिल सकता है.”
- भारत-बांग्लादेश के बीच 55 साल बाद चली ट्रेन
- 50 फ़ीसदी तक बढ़े दाम बांग्लादेश के ढाका ट्रिब्यून ने सरकारी कंपनी ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ बांग्लादेश (टीसीबी) के आंकड़ों का ज़िक्र करते हुए कहा है कि देश में पिछले साल के मुक़ाबले चावल की मोटी वैराइटीज़ की क़ीमत 47 फ़ीसदी से ज़्यादा बढ़ गई हैं. इसके अलावा, मीडियम और फ़ाइन चावल की क़िस्मों के दाम इसी अवधि में क्रमशः 25 फ़ीसदी और 19 फ़ीसदी से ज़्यादा बढ़ गए हैं.
ढाका ट्रिब्यून की ख़बर के मुताबिक़, बांग्लादेश राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीआरआरआई) ने हाल में ही देश में चावल की पैदावार में 10 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट का अनुमान ज़ाहिर किया है.
नेबरहुड फ़र्स्ट पर फ़ोकस
17 दिसंबर को भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ वर्चुअल मीटिंग हुई और बांग्लादेश के साथ होने वाली चावल निर्यात की डील में यह मीटिंग अहम मानी जा रही है.
इस वर्चुअल मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की जारी की गई रिलीज़ में कहा गया है, “बांग्लादेशी पक्ष ने अनुरोध किया है कि चूंकि भारत बांग्लादेश को आवश्यक कमोडिटीज़ का निर्यात उनके घरेलू बाज़ार को प्रभावित करने में एक अहम भूमिका निभाता है, ऐसे में भारत सरकार की आयात-निर्यात नीति में होने वाले किसी भी बदलाव को पहले बताया जा सकता है. भारतीय पक्ष ने इस अनुरोध को नोट कर लिया है.”
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में साउथ एशियन स्टडीज़ के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. संजय भारद्वाज कहते हैं, “पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी का फ़ोकस पड़ोसी देशों से हटकर कश्मीर और चीन पर ज़्यादा हो गया था. अब भारत ने नेबरहुड फ़र्स्ट पॉलिसी को मज़बूत करने की कोशिश की है.”
इसी सिलसिले में देश के विदेश सचिव और विदेश मंत्री ने नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और दूसरे देशों की यात्रा की भी की है.
भारद्वाज कहते हैं, “बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके़ पर 26 मार्च को बांग्लादेश भी जाएंगे. सीएए और एनआरसी को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच जो थोड़ी-बहुत उदासीनता आई थी, उसे ख़त्म करने और संबंधों को और मज़बूत करने के लिहाज़ से मोदी-शेख़ हसीना के बीच हुए वर्चुअल समिट में कई अहम फ़ैसले हुए हैं. इनमें ट्रेड, कनेक्टिविटी समेत कई समझौते हुए हैं.”
रिकॉर्ड पर पहुंचेगा भारत का चावल निर्यात
भारत का ग़ैर-बासमती चावल का निर्यात इस साल अपने रिकॉर्ड पर पहुंचने की उम्मीद है. मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) में अप्रैल से लेकर नवंबर तक देश से ग़ैर-बासमती चावल का निर्यात 70 लाख टन रहा है.
इससे पिछले वित्त वर्ष में यह निर्यात क़रीब 50 लाख टन का था. 2017-18 में यह निर्यात 80 लाख टन था. जबकि 2018-19 में देश से क़रीब 75 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट हुआ था.
इस साल देश से ग़ैर-बासमती चावल का निर्यात 1 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है. देश में पिछले साल के मुक़ाबले 15-20 फ़ीसदी ज़्यादा फ़सल हुई है और चावल का सरप्लस स्टॉक मौजूद है.
एआईआरईए के एग्ज़िक्यूटिव डायेरक्टर विनोद कुमार कहते हैं, “हम थाइलैंड और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुक़ाबले इस साल ज़्यादा मज़बूत स्थिति में हैं. भारत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इन दोनों देशों के मुक़ाबले क़रीब 100 डॉलर कम पर चावल दे रहा है. इस वजह से भारत का चावल निर्यात पूरी दुनिया में बढ़ने की उम्मीद है.”
BBC