27 सितम्बर 2022 | सहरसा जिले से 16 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित महिषी प्रखंड में शक्ति पीठ के नाम से जाने वाले उग्रतारा स्थान प्रसिद्ध है। जहां सब दिन उग्रतारा माँ की श्रृंगार पूजा और आरती दो समय में होती है। प्रातः काल सुबह 4 बजे और संध्या काल के बेला में भी 4 बजे ।खासकर इस मंदिर में नवरात्रा में अष्ठमी के दिन साधकों की भीड़ लगती है। इस मंदिर में बिहार के अलावे नेपाल से भी और बंगाल से भी साधक और श्राद्धालु आते हैं।
यह मंदिर का निर्माण सन 1735 ईस्वी में रानी पद्मावती ने कराई थी।और यह स्थल पर्यटन विभाग के मानचित्र पर है।यहां वैदिक विधि से होती है माँ उग्रतारा की पूजा।लेकिन खासकर नवरात्र में तंत्रोक्त विधि से पूजा होती है।
महिषी में अवस्थित भगवती तीनो स्वरूप उग्रतारा,नील सरस्वती,एवं एकजटा रूप में विद्यमान है।ऐसी मान्यता है कि बिना उग्रतारा के आदेश के तंत्र सिद्धि पूरी नहीं होती है।यही कारण है कि तंत्र साधना करने वाले लोग यहां अवश्य आते हैं।खासकर नवरात्रा में अष्टमी के दिन यहां साधको की भीड़ उमड़ पड़ती है।
मान्यता ये भी है कि ऋषि वशिष्ठ ने उग्र तप की बदौलत भगवती को प्रसन्न किया था उनके प्रथम साधक की इस कठिन साधना के कारण ही भगवती वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा के नाम से जानी जाती है।