• July 2, 2024 9:06 am

वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार के कारण सरकारी स्टॉक में 18 लाख टीके जाम पड़े हैं; आधे सितंबर तक एक्सपायर्ड

10 जून 2022 | कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच वैक्सीनेशन एक तरह से ठप पड़ा है। पहली-दूसरी डोज तो दूर बूस्टर यानी प्रीकॉशन डोज तक लगाने में हेल्थ वर्कर रुचि नहीं ले रहे हैं। फरवरी के महीने तक जहां रोज तीन लाख तक टीके लगाए जा रहे थे, वहीं अब ये आंकड़ा 15 से 16 हजार पर अटक गया है। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार के कारण सरकारी स्टॉक में 18 लाख टीके जाम पड़े हैं।

इनमें से आधे अगस्त सितंबर तक एक्सपायर हो जाएंगे। प्राइवेट में स्थिति उलट है। 18 से 59 साल के लोगों के लिए बूस्टर डोज ही नहीं हैं। कहीं कोवैक्सीन है तो कहीं कोविशील्ड। इस वजह से जो चाहते हैं उन्हें डोज लग जाए, उन्हें भी प्रीकॉशन टीका नहीं लग पा रहा है।

जून महीने के शुरुआती दिनों से कोरोना केस जैसे जैसे बढ़ने लगे हैं, सरकारी तंत्र का फोकस एक बार फिर वैक्सीनेशन पर हो गया है। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि जनवरी में तीसरी लहर के प्रकोप के बीच एक ओर जहां पहली- दूसरी डोज लगाने की होड़ मच गई थी।

वहीं लोग बूस्टर डोज भी लगवाने मांग भी करने लगे थे। मार्च से जब फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कराें बूस्टर डोज लगवाना शुरू किया गया तब तक तीसरी लहर का पीक गुजर चुका था। कोरोना से संबंधित सारी पाबंदियां भी हट चुकी थीं।

इस वजह से बूस्टर डोज लगवाने में लोगों की रुचि भी कम हो गई। इसी का असर है कि अब तक केवल साढ़े 5 लाख लोगों को ही बूस्टर डोज लगा है, जबकि टारगेट 2 करोड़ से ज्यादा है। जैसे जैसे समय गुजरता जा रहा है बूस्टर डोज लगवाने वालों की संख्या में कमी आती जा रही है।

बुधवार को मेडिकल कॉलेज के टीकाकरण सेंटर में केवल 40 लोगों ने ही टीका लगवाया। इनमें 60 साल से अधिक उम्र के बूस्टर डोज वाले भी शामिल हैं। सेंटर वालों ने बताया कभी 30 कभी 40 ही आंकड़ा पहुंच रहा है।

एक्सपायरी डेट करीब देखकर हड़बड़ाया अमला
कोरोना की 18 लाख डोज सरकारी स्टॉक में जाम होने से सरकारी अमले में हलचल मच गई है। जांच में ये भी पता चल गया है कि आधा स्टॉक अगस्त सितंबर में एक्सपायर हो जाएगा। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज की संख्या बढ़ाने की प्लानिंग शुरू कर दी है।

अफसरों का कहना है कि हाल के दिनों में केस बढ़ रहे हैं। ऐसे में जिन लोगों ने एक भी डोज नहीं लगवायी है, उन्हें पहली और जिन्होंने दूसरी डोज नहीं लगवायी उन्हें दूसरी डोज लगवाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा फ्री बूस्टर डोज के दायरे में आने वालों को भी प्रीकॉशन डोज लगाने के लिए मुहिम चलायी जाएगी।

वैक्सीन की रफ्तार बहुत धीमी है। कोरोना के मामले पड़ोसी राज्यों में बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए जल्द से जल्द वैक्सीन लगाएं। हमारे पास भरपूर मात्रा में टीके उपलब्ध हैं। -डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ रायपुर

रायपुर में केवल एक ही सेंटर
18 से 59 साल के लोगों के लिए प्रीकॉशन यानी बूस्टर डोज केवल एक ही प्राइवेट अस्पताल में लगायी जा रही है। बूस्टर डोज के लिए फीस तय की गई है, यानी लोगों को जेब से पैसे देकर डोज लगवानी है। इस सेंटर की पड़ताल के दौरान पता चला कि अस्पताल में केवल कोवैक्सीन का स्टॉक है।

कोविशील्ड की एक भी डोज नहीं है। एक ओर तो कम लोग ही बूस्टर डोज लगवाने जा रहे हैं और जो जा रहे हैं उन्हें कोविशील्ड नहीं लगायी जा रही है। ऐसे में उन्हें लौटना पड़ रहा है।

  • प्राइवेट सेंटरों में स्थिति उलट, टीकों का स्टॉक भी कम
  • 18 से 59 साल के लोगों को प्राइवेट सेंटर में लगने हैं बूस्टर

प्राइवेट वैक्सिनेशन सेंटर में प्रीकॉशन डोज
भारत सरकार के निर्देश के मुताबिक 18 से 59 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को प्रीकॉशन डोज सिर्फ प्राइवेट कोविड वैक्सीनेशन सेंटर में लगाए जाएंगे। इसके कारण उक्त आयु वर्ग के लोगों का प्रीकॉशन डोज सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर में नहीं लग रहा है।
-डॉ. वीके.भगत, राज्य टीकाकरण अधिकारी

सोर्स;- ‘’दैनिकभास्कर’’

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