8 मई 2023 ! सदस्य मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण शहडोल के न्यायालय द्वारा विचाराधीन क्लेम प्रकरण बालकरण कोल बनाम यूनाइटेड इंडिया इंडयो. कंपनी एवं मोलिया कौल बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्यो. कंपनी में ग्राम चांदपुर तहसील जैतहरी अनूपपुर निवासी पार्वती कोल एवं राजू कोल की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने पर क्रम से 10 लाख इक्यानवे हजार एवं आठ लाख 15 हजार व व्याज की क्षतिपूर्ति प्रदान का आदेश प्रथम बीमा कंपनी, वाहन मालिक व ड्राईवर के विरुद्ध दिया गया है। कुल उन्नीस लाख का मुआवजा देने का निर्देश पारित किया गया है।
पार्वती कोल जो दुर्घटना के दिन अपने भतीजे राजू कोल व रानू कोल के साथ मोटरसाईकिल में चांदपुर से ग्राम विचारपुर जा रही थी। उसी समय ग्राम विचारपुर के पहले उनकी मोटरसाईकिल को सामने तरफ से आ रही पुलिस की डायल 100 गाड़ी क्रमांक एम.पी. 04 टीए 5759 के चालक विनोद विश्वकर्मा व्दारा तेज गति व उपेक्षापूर्ण तरीके से गाड़ी चलाते हुए व उस पर नियंत्रण खोकर रांग साईड में आकर टक्कर मार दी गई थी । उसमें आई चोटों के कारण मोटरसाईकिल चालक राजू कोल की उपचार के दौरान जिला अस्पताल शहडोल में मृत्यु हो गई थी। पार्वती कोल को संजीवनी अस्पताल अनूपपुर में भर्ती किया गया था, जहां से उसकी हालत गंभीर होने पर उसके स्वजन उसे बिलासपुर ले जा रहे थे। रास्ते में घर पर रुके थे, जहां उसकी मृत्यु हो जाने पर उसका दाह संस्कार कर दिया।
दाह संस्कार के बाद लोगों के यह कहने पर कि एक्सीडेन्ट केस था उसकी सूचना पुलिस को दो तो उसकी सूचना मृतिका के पति बालकरण कोल व्दारा कोतमा थाने में दी गई थी। दुर्घटना की रिपोर्ट थाना कोतमा में डायल 100 गाड़ी क्रमांक एम.पी. 04 टी ए 5759 के चालक विनोद विश्वकर्मा के विरुद्ध तुरंत नामजद दर्ज की गई थी । मृतिका पार्वती कौल व राजू कौल मजदूरी करते थे।अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा मृतक की स्वयं की लापरवाही से दुर्घटनाग्रस्त होने मृतक की कोई नियमित आय न होने तथा डायल 100 को बिना परमिट फिटनेश के चलाये जाने के कारण बीमा पालिसी की शर्तों के उल्लंघन होने से बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिये उत्तरदायी नहीं है।
कहा गया था तथा डायल 100 वाहन के पंजीकृत मालिक की ओर से वाहन के बीमित होने से क्षतिपूर्ति अदायगी की जबाबदारी न होना कहा गया। आवेदकगण की और से दुर्घटना के चश्मदीद साक्षी रानू कोल के कथन करा कर अनावेदकगण के कथनों को झूठा साबित किया गया। साथ ही आवेदकगण के अधिवक्ता अनिल कुमार जैन का तर्क था कि मृतकों के स्व नियोजित होने से व उनकी उम्र 40 साल से कम होने से उनकी मासिक आय में 40 प्रतिशत भावी संभावनाओं के रूप में जोड़े जाने व मृतिका पार्वती की मृत्यु और दुर्घटना में आयी चोटों के मध्य कारणिक संबंधों के साबित होने से पोस्टमार्टम न होने से कोई नुकसान न होने का कथन किया व अपने तर्कों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट तथा विभिन्न हाई कोर्ट के न्यायद्रष्टांत प्रस्तुत किये।
सोर्स :-“नईदुनिया”