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प्रधान न्यायाधीश ने विधि स्नातकों को मानव जाति के लिए करुणा का भाव रखने की दी सलाह

31 अक्टूबर 2022 | भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) उदय उमेश ललित ने विधि संस्थानों से पढ़ाई करने वाले छात्रों को हर सुझाव पर ध्यान देने और मानव जाति एवं समाज के लिए करुणा का भाव रखने की सलाह दी। पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी आफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (डब्ल्यूबीएनयूजेएस) के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआइ ने कहा कि किसी व्यक्ति का क्षमता निर्माण कभी नहीं रुकता है और व्यक्ति मृत्युपर्यंत सीखता रहता है। सीजेआइ इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं।

न्यायमूर्ति ललित ने विधि स्नातकों से कहा, हर सुझाव पर ध्यान दें, यहीं से आपको बड़ी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने छात्रों को अध्ययन जारी रखने और अपने व्यक्तित्व में नये-नये आयाम जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। सीजेआइ ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण के गुण और मानव जाति के लिए करुणा का भाव एक व्यक्ति को किसी भी समस्या का समाधान खोजने में कभी असफल नहीं होने देता।

उन्होंने कहा कि एक वकील के रूप में कोई भी कानून का छात्र बनना कभी नहीं छोड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि एक पेशेवर, एक शिक्षाविद और एक न्यायाधीश के रूप में, हर गुजरते दिन और साल व्यक्ति सीखता रहता है, लेकिन उसकी नींव तो विधि संस्थान ही होते हैं।

समाज से जितना मिला, उससे ज्यादा वापस देने का प्रयास करें

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि विश्वविद्यालय से बाहर आने और दुनिया में कदम रखने के बाद विधि स्नातकों को समाज से जितना मिला है, उससे ज्यादा वापस देने का प्रयास करना चाहिए। बांग्लादेश के प्रधान न्यायाधीश हसन फोएज़ सिद्दीकी इस दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि थे। न्यायमूर्ति सिद्दीकी ने अपने संबोधन में कहा कि विधि स्नातक कानून से लेकर सिविल सेवा तक विभिन्न पेशों का चयन कर सकते हैं और उन्हें हर पेशा जुनून, गरिमा और सम्मान की भावना के साथ करना चाहिए।दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तीर्ण विद्यार्थियों को बधाई दी और इस दिन को उनके लिए ऐतिहासिक बताया।

400 छात्रों को मिली डिग्री

डब्ल्यूबीएनयूजेएस के कुलपति निर्मल कांति चक्रवर्ती ने कहा कि दीक्षांत समारोह में 400 छात्रों ने अपनी डिग्री प्राप्त की, जिनमें से 270 विद्यार्थी समारोह में मौजूद थे।

सोर्स : – जागरण

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