• July 5, 2024 2:02 pm

याददाश्त ही नहीं आत्मविश्वास भी बढ़ाता है शतरंज का खेल, जानें इसे खेलने के फायदे

25 जुलाई 2023 !  शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसे बच्चे-बड़े सभी खेलना पसंद करते हैं। समय के साथ इस गेम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इस गेम से व्यक्ति ज्यादा क्रिएटिव बनता है। शतरंज के खेल को माइंड गेम के नाम से भी जाना जाता है।

दिमागी कसरत के लिए शतरंज एक शानदार गेम है। शतरंज खेलने से मेमोरी बूस्ट होती है। इससे अवसाद और चिंता का खतरा कम होता है। इस गेम से अल्जाइमर का खतरा कम हो सकता है। 20 जुलाई यानी आज दुनियाभर में विश्व शतरंज दिवस मनाया जा रहा है। तो आइए इस खास दिन पर जानें, शतरंज खेलने के क्या फायदे हैं।

शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें खिलाड़ी को चालें याद रखने और सीखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह गेम याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है। जो लोग शतरंज खेलते हैं, उनकी सीखने की क्षमता तेजी से डेवलप होती है। यह गेम अल्जाइमर और डिमेंशिया से भी बचाता है। जब आप शतरंज खेल रहे होते हैं, तो आपके मस्तिष्क को लगातार चुनौती का सामना करना पड़ता है।

जब बच्चे स्कूल में शतरंज सीखते हैं, तो उनकी पढ़ाई पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। पढ़ते समय उनकी याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होता है।

शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें सभी खिलाड़ी अकेले होते हैं। उन्हें गेम से संबंधित निर्णय खुद ही लेने होते हैं और इसके परिणाम के लिए भी खिलाड़ी ही जिम्मेदार होते हैं। अगर वो हारते हैं, तो उनकी गलती होती है और गेम जीत लेते हैं, तो इसके हकदार भी वो खुद होते हैं। इस तरह शतरंज खेलने से जिम्मेदारी का अहसास होता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इस गेम से आप खुद पर भरोसा करना सीखते हैं।

शतरंज एक पहेली की तरह है, इसे जीतने के लिए हल करने की आवश्यकता होती है। इस गेम में चालें चलने के लिए सोचने का भी अभ्यास होता है। इस गेम में आने वाली समस्या को हल करने के लिए आप दिमाग पर जोर डालते हैं, जिससे माइंड तेजी से काम करता है। शतरंज खेलने से आप किसी भी समस्या का हल भी तेजी से ढूंढना सीख जाते हैं।

शतरंज आईक्यू को बेहतर बनाता है। कई बार यह साबित हो चुका है कि शतरंज के खिलाड़ियों का आईक्यू लेवल दूसरों की तुलना में अधिक होता है। एक रिसर्च के अनुसार, जिन बच्चों ने शतरंज खेला, उनका आईक्यू उन बच्चों की तुलना में अधिक था, जो शतरंज नहीं खेलते थे।

”  सोर्स :– ” जागरण ”   

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