• June 26, 2024 1:04 pm

नवीन ने B.Sc. करने के बाद नौकरी के बदले शुरू की व्हाइट बटन मशरूम की खेती, हर महीने 40 लाख का बिजनेस

19 अप्रैल 2022 | जब कोई कॉलेज से पासआउट होता है तो सबसे पहले नौकरी की तलाश में जुट जाता है, लेकिन हरियाणा के रहने वाले नवीन राणा ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कॉलेज से निकलते हीं व्हाइट बटन मशरूम की खेती शुरू कर दी। आज वो हर महीने 40 लाख रुपए तक का बिजनेस कर रहे हैं।

ऐसे में आज की पॉजिटिव खबर में नवीन राणा की मशरूम की खेती के बारे में जानते हैं। जानते हैं कि कैसे उन्होंने इसकी शुरूआत की? और यदि आप भी ऐसा कुछ करने की सोच रहे हैं तो कैसे इसे कर सकते हैं?

कॉलेज पासआउट होते ही शुरू कर दी मशरूम की खेती
नवीन बताते हैं कि कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से 2019 में B.Sc. IT की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने जॉब नहीं किया। उनके बड़े चाचा 1996 से मशरूम की खेती कर रहे थे। यहीं से उन्हें भी लगा की जॉब की बजाय मशरूम की खेती की जाए।

जॉब करने से बेहतर हो रही आमदनी
नवीन कहते हैं कि जॉब करता तो 35-40 हजार रूपए प्रति महीने कमाता, लेकिन अभी मेरी लाखों में कमाई है। साथ ही हम गांव के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। हर रोज 15 लोग काम करते हैं। नवीन ने 2500 स्क्वायर एरिया में इसकी खेती कर रखी है। वे कहते हैं कि कुल बिजनेस का 20% तक का मुनाफा हो जाता है।

सबसे ज्यादा दिल्ली-चंडीगढ़ में सेल
नवीन राणा दिल्ली-चंडीगढ़ मंडी के लिए मशरूम की सप्लाई करते हैं। वे कहते हैं कि शुरूआत में कम प्रोड्यूस होता है, लेकिन अब धीरे-धीरे यह हर दिन का 10 क्विंटल तक पहुंच चुका है।

ये है मशरूम की खेती का प्रोसेस
नवीन बताते हैं कि मशरूम की खेती के लिए टेंपरेचर सबसे बड़ा फैक्टर है। इसके लिए 15 से 20 डिग्री का टेम्परेचर होना चाहिए। लेयर वाइज शेड बनाकर हम मशरूम की खेती कर सकते हैं। टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए AC लगा सकते हैं। अलग-अलग वैराइटी के मशरूम की खेती के लिए अलग टेम्परेचर की जरूरत होती है।

इसकी खेती के लिए सबसे पहले हम कंपोस्ट खाद तैयार करते हैं। इसके लिए गेहूं का भूसा, चावल का चोकर, सल्फर नाइट्रेट, जिप्सम, मुर्गी की खाद और गुड़ के सीरे का इस्तेमाल करते हैं।

एक बैग से 2 से 3 किलो तक मशरूम निकलता है
कंपोस्ट तैयार होने के बाद इसे बैग में भरा जाता है और साथ में मशरूम का बीज मिला दिया जाता है। फिर बैग को बने रैक पर एक कतार में रख देते हैं। करीब 15 दिन बाद पॉली बैग खोल दिया जाता है। इसमें दूसरी खाद यानी नारियल पिट्स और धान की जली भूसी मिलाई जाती है। फिर ऊपर से हर रोज हल्की मात्रा में पानी डाला जाता है।

करीब 2 महीने बाद इस बैग से मशरूम निकलने लगते हैं। एक बैग से करीब 2-3 किलो तक मशरूम निकलता है। दिन-ब-दिन मशरूम की क्वांटिटी बढ़ने लगती है। यह एरिया के हिसाब से हर रोज हजार किलोग्राम तक जा सकता है।

कहां से ले सकते हैं इसकी ट्रेनिंग?
नवीन कहते हैं कि देश में कई ऐसे संस्थान हैं जहां मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा लेवल का कोर्स भी होता है। आपI CAR के अलग-अलग ब्रांच से इसकी ट्रेनिंग ले सकते हैं।

इसके अलावा हर राज्य में कुछ सरकारी और प्राइवेट संस्थान हैं, जहां इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से इस संबंध में जानकारी ली जा सकती है। इसके साथ ही कई किसान व्यक्तिगत लेवल पर भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं। इंटरनेट और यूट्यूब से भी हम इसकी पूरी जानकारी ले सकते हैं।

Source;- ‘’दैनिक भास्कर’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *