23 दिसंबर 2022 | भारतवंशी ब्रिटिश PM Rishi Sunak जब प्रधानमंत्री पद की रेस में थे, तो उनके कुछ बड़े वादों में से एक ये भी था कि वे कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट बंद करा देंगे. China पर हमलावर होते हुए सुनक ने सीधे आरोप लगाया कि चीन अपनी भाषा सिखाने की आड़ में असल में देशों में अपने जासूस फैला रहा है. इससे पहले भी उसपर यही आरोप कई दूसरे देश लगा चुके हैं. कहा तो ये तक जाता है कि चीन के जासूस सिर्फ एक इंटेलिजेंस एजेंसी तक सीमित नहीं, बल्कि ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड जैसे संस्थानों तक फैले हैं. वो पैसे देकर इस तरह से ब्रेनवॉश करता है कि वे चीन के पक्ष में माहौल बनाने लगें.
जासूसी और लोगों को खरीदने के खेल में माहिर है चीन!
कोविड का शुरुआती दौर शायद बहुतों को याद हो, जब देश चीन पर जानकारी छिपाने का आरोप लगा रहे थे. उस दौरान भी कई एक्सपर्ट्स ने चीन का साथ दिया था. यहां तक कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन तक पर चीन से पैसे लेकर मुंह बंद रखने का आरोप लग गया था. अपने मामले में इतना सीक्रेटिव देश दूसरों से जानकारी निकलवाने में माहिर है. उसकी डिप्लोमेटिक रणनीति का ही हिस्सा है कन्फ्यूशियस संस्थान. बता दें कि कन्फ्यूशियस चीनी दार्शनिक था. 550 ईसा पूर्व जन्मे कन्फ्यूशियस ने तत्कालीन चीनी समाज की बुराइयों को खत्म करने के लिए पढ़ाई-लिखाई की बात की थी. उन्हीं की याद में चीन में इस संस्थान का कंसेप्ट आया |
सोर्स:-“आज तक“